Hayee Padosan: कॉमेडी अवतार में दिखे प्रियंका शर्मा के मनमोहक रंग, साहित्य कला परिषद ने किया नाटक ‘हाए पड़ोसन’ का मंचन

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक

हाल ही में साहित्य कला परिषद ने दिल्ली में ‘हास्य रंग’ उत्सव का आयोजन किया। तीन दिवसीय इस समारोह में 3 जनवरी को कमानी सभागार में नाटक ‘हाए पड़ोसन’ का मंचन भी किया गया।

इस नाटक का लेखन और निर्देशन तो प्रियंका शर्मा ने अच्छे से किया ही । साथ ही नाटक में मुख्य पात्र प्रेम की भूमिका भी प्रियंका ने स्वयं की है। प्रियंका आज के दौर में दिल्ली की प्रसिद्द रंगकर्मी हैं। अपने अभिनय और निर्देशन से वह लगातार नाटकों और अपने पात्र को जीवंत करती रही हैं। इस बार भी प्रियंका ने सभी का दिल जीत लिया।

‘हाए पड़ोसन’ में सिर्फ तीन पात्र हैं प्रेम, राहुल और माया। प्रेम और राहुल एक साथ रहते हैं। राहुल एक पत्रिका का प्रकाशन करता है और प्रेम उसमें विभिन्न नामों से लेख लिखता है। हालांकि पत्रिका की वित्तीय स्थिति बेहद खराब है। इधर उधर से पैसे लेकर उसका प्रकाशन हो रहा है। जिस जगह ये रहते हैं उसका किराया ना देना पड़े, इसके लिए राहुल ने मकान मालिक की लड़की को प्यार और शादी का झांसा दिया हुआ है।

लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब पंजाब से आई एक लड़की माया उनके पड़ोस में आती है। नए पड़ोसी होने के नाते जब वह प्रेम के घर आती है तो प्रेम उस पर लट्टू हो जाता है। वह माया के प्रति अपनी दीवानगी को राहुल से छिपाता है। लेकिन राहुल जल्द ही सच जान लेता है।

यूं माया की सगाई किसी से हो चुकी है और जल्द उसकी शादी होने वाली है। इसलिए जब वह देखती है कि प्रेम उसके घर में तांक-झांक के साथ उस पर भी नज़र रखे है तो वह गुस्से में प्रेम के घर आकर उसे फटकारती है। राहुल इस दौरान प्रेम को बचाता है। जबकि प्रेम की हरकतों के कारण माया की नौकरी चली जाती है। ऐसे में राहुल माया को अपनी जेब में पड़े बचे खुचे रुपए देकर उसकी मदद करता है। हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि माया और राहुल् में प्यार हो जाता है और प्रेम देखता रह जाता है। लेकिन बाद में प्रेम ही माया को कहता है कि वह राहुल से नाता जोड़ ले।

अंत में नाटक संदेश देता है कि लड़कियां ओछी हरकतें करने वालों को नहीं, लड़कियों  को सम्मान देने वाले व्यक्तियों  को पसंद करती हैं। चाहे ओछी हरकत वाला कितना ही मासूम और अच्छे दिल का क्यों ना हो।

नाटक में इसके कथानक और संवाद में तो हास्य है ही। लेकिन उस हास्य को गति और विभिन्न रंग देने के लिए हिन्दी फिल्मों के कई लोकप्रिय गीतों का भरपूर इस्तेमाल किया गया है। जादू तेरी नज़र,मेरे रंग में रंगने वाली, राजा को रानी से प्यार हो गया, ये बंधन तो प्यार का बंधन है और तुमसे मिले दिल में उठा दर्द करारा जैसे गीत नाटक को रंगीन बनाए रखते हैं।

जहां तक अभिनय की बात है तो राहुल की भूमिका में कपिल सारस्वस्त ने भी अच्छा काम किया। माया तलवार की भूमिका में निकिता रावत भी ठीक रहीं। निकिता की तारीफ इसलिए भी करनी पड़ेगी कि एक दृश्य में वह कपिल को बहुत ही सहजता से अपनी बाहों में उठाकर चल पड़ती हैं। फिल्मों में तो नायक, नायिका को बाहों में उठाता है लेकिन यहाँ अभिनेत्री, अभिनेता को बाहों में उठाकर दिखा देती है कि म्हारी छोरियाँ भी छोरों से कम नहीं।

साथ ही ‘हाए पड़ोसन’ में प्रेम की भूमिका भी किसी अभिनेता ने ना करके एक अभिनेत्री ने की है। इससे भी संदेश मिलता है कि लड़कियां कहीं भी लड़कों से कमजोर नहीं। यदि वे ठान लें तो बहुत कुछ बदल सकती हैं। यहाँ भी प्रियंका शर्मा ने अपने शानदार अभिनय से, दर्शकों के उदास चेहरों को हँसते चेहरों में बदल दिया। जबकि प्रियंका ने पहली बार हास्य भूमिका की है। फिर भी वह पूरे नाटक को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं।

 

Related Articles

Back to top button