Bismillah Khan: आज तक गूंज रही है ‘गूंज उठी शहनाई’ की शहनाई

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

सन 1959 में एक फिल्म आई थी-‘गूंज उठी शहनाई’। फिल्म में राजेन्द्र  कुमार, अमिता और अनीता गुहा मुख्य कलाकार थे। यह फिल्म उस साल की शिखर की 5 हिट फिल्मों में थी। राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar) तो इस फिल्म से जबरदस्त लोकप्रिय हो गए। इस फिल्म के बाद उन्हें इतनी फिल्म मिल गईं कि तीन साल तक उनके पास एक तारीख तक नहीं बची। लेकिन इस फिल्म को आज 65 बरस बाद भी फिल्म में बज़ी शहनाई के लिए शिद्दत से याद किया जाता है।

यह ऐसी पहली फिल्म थी जिसमें फिल्म का नायक शहनाई बजाता है। साथ ही पूरी फिल्म में इसके लगभग सभी गीतों में शहनाई बजती रहती है। इससे बड़ी बात यह थी कि पूरी फिल्म में जहां भी शहनाई बजती है वह उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) की शहनाई होती है।

शहनाई के शहंशाह उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ (Ustad Bismillah Khan) की कभी फिल्म संगीत में दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन इस फिल्म के निर्देशक विजय भट्ट ने जब ‘गूंज उठी शहनाई’ बनानी की योजना बनाई तो उन्होंने कहा यह फिल्म तभी मुकम्मल मानी जाएगी जब इसमें बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) शहनाई बजाएँ। ‘राम राज्य’ और ‘बैजू बावरा’ सरीखी फिल्म बना चुके भट्ट का यह विचार सभी को पसंद आया लेकिन बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) को इसके लिए तैयार कौन करेगा? तब इस फिल्म के संगीतकार वसंत देसाई को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गयी। जिन्होंने उस्ताद को इस फिल्म के लिए राजी कर लिया।

बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) ने इस फिल्म में ऐसी शहनाई बजाई की उसकी गूंज आज तक कायम है। उनकी शहनाई फिल्म के गीतों में तो सभी का दिल मोहती ही है साथ ही फिल्म में शुरू से अंत तक शहनाई का जितना इस्तेमाल इस फिल्म में हुआ है उतना किसी और फिल्म में नहीं हुआ। तेरे सुर और मेरे गीत, ‘जीवन में पिया तेरा साथ रहे और दिल का खिलौना हाय टूट गया, जैसे इस फिल्म के गीत भी उस्ताद की शहनाई की तान की खूबसूरत बानगी पेश करते हैं। इस फिल्म की सफलता के बाद ही फिल्म संगीत में शहनाई को शामिल करने का सही सिलसिला शुरू हुआ।

बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) इस फिल्म के अलावा सिर्फ सत्यजित राय की बांग्ला फिल्म ‘जलसाघर’, दक्षिण के सुपर स्टार रहे राज कुमार की कन्नड फिल्म ‘सन्नादी अपन्ना’ के अलावा आशुतोष गोवालिकर की फिल्म ‘स्वदेश’ के लिए अपनी शहनाई के सुर दिये।

बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) का जन्म आज से ठीक 108 साल पहले 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमराँव में हुआ था। शहनाई वादन में देश-विदेश में जो सम्मान बिस्मिल्लाह खाँ (Ustad Bismillah Khan) को मिला उतना किसी और को नहीं मिला।

पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल और वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सरदाना से आधारशिला शिखर पुरस्कार प्राप्त करते हुए बिस्मिल्ला खान

बिस्मिल्लाह खाँ (Ustad Bismillah Khan) ऐसे शहनाई वादक थे जिन्होंने देश आज़ाद होने पर 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से शहनाई बजाई थी। बनारस के विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) के कपाट भी बरसों तक उस्ताद के शहनाई वादन से खुलते रहे। लेकिन 21 अगस्त 2006 को उनके इंतकाल के बाद यह सिलसिला थम गया।लेकिन उनकी शहनाई अमर है। बिस्मिल्लाह खाँ (Bismillah Khan) अकेले ऐसे संगीतज्ञ रहे जिन्हें पदमश्री,पदमभूषण और पदमविभूषण,संगीत नाटक अकादमी और आधारशिला शिखर पुरस्कार (Aadharshila Award) के साथ भारत रत्न (Bharat Ratna) भी मिला।

 

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