Alok Kumar Interview: यह धरती ही नहीं आकाश और सितारों का उत्सव भी है- आलोक कुमार, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष से राम मंदिर समारोह को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सरदाना की बेहद खास बातचीत

  • प्रदीप सरदाना 

    वरिष्ठ पत्रकार 

अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर 22 जनवरी के लिए, जो  व्यापक और भव्य तैयारियां चल रही हैं वे कल्पना से भी कहीं बड़ी हैं। इन दिनों राम मंदिर पूरे देश में तो आस्था और चर्चा का सबसे बड़ा विषय है ही। साथ ही विश्व मानचित्र पर भी राम मंदिर और अयोध्या लगातार सुर्खियों में हैं। लग रहा है यह विश्व का सबसे बड़ा समारोह बनने जा रहा है !

बिल्कुल, आपका कहना ठीक है। यह देश का तो सबसे बड़ा समारोह है ही विश्व का भी। क्योंकि यह विश्व के 5 हज़ार मंदिरों में भी उसी समय होगा। इसलिए मैं कहूँगा कि पिछले 100 वर्षों में तो धरती में इस तरह का कोई और समारोह नहीं हुआ ।

ज़ाहिर है इस समारोह को लेकर खुशी और उत्सुकता तो होगी ही। लेकिन यह इतना बड़ा आयोजन है कि इसको लेकर क्या कोई चिंता भी है ?

ऐसा है राम जी का काम करते हैं तो चिंता राम जी करते हैं हम नहीं करते। आयोजन बहुत ही बड़ा है लेकिन हमको विश्वास है सब अच्छा होगा।

समारोह और इसके आमंत्रण को लेकर कुछ राजनैतिक दल आए दिन कई नए सवाल और विवाद कर रहे हैं। मैं जानना चाहता हूँ निमंत्रण देने का क्या मापदंड रहा?

हमने जहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है। वहाँ देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को बुलाया है। फिर संसद में  विपक्ष के नेता अधीर रंजन जी को भी बुलाया है। सोनिया जी काँग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन हैं, इसलिए उनको बुलाया है। फिर देश भर के 4500 संतों को तो बुलाया ही है। कोशिश है कि भारत के प्रत्येक जिले से कोई ना कोई संत आयें। प्रयत्न कर रहे हैं भारत के सभी मत, संप्रदाय जो 150 से ज्यादा हैं,वे उस दिन आयें। सिख, जैन, बौद्द परम्पराओं के भी संत आएं। अनुसूचित,आदिवासी जन जाति का भी प्रतिनिधित्व हो। इसके अलावा 2500 ऐसे लोगों को भी बुलाया है जो देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे उद्योग, व्यापार, कला, खेल, सुरक्षा आदि में शीर्ष पर हैं। जिससे यह अद्दभुत समागम होगा।

अभी तक जो लोग राम का विरोध करते थे वो भी अब राममय हो गए हैं या राममय होने का नाटक कर रहे हैं। कुछ लोग पहले निमंत्रण ना मिलने की बात कर रहे थे। अब निमंत्रण मिलने पर वहाँ जाने से इंकार कर रहे हैं। यह देख आपको क्या लगता है?

मैं इस समय किसी पर कोई आक्षेप नहीं करना चाहता। हमने मन से बुलाया है। सार्वजनिक रूप से मैंने कहा है कि हम संकल्पबद्ध हैं कि अगर वो आएंगे तो उनका स्वागत है। आना न आना उनकी इच्छा है। ये बात ठीक है कि जो राम जी का विरोध करते रहे, उनकी एक पीढ़ी तो चली गई। मुलायम सिंह जी, राजीव गांधी जी, नरसिंह राव जी चले गए। वर्तमान लोगों में भी कई लोगों ने विरोध किया है। पर उनके लिए ये एक अवसर है, राम जी को स्वीकार करने का।

निमंत्रण किसको देना है किसको नहीं, इसका फैसला मुख्य रूप से किसने किया, विश्व हिन्दू परिषद ने या श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने?

निमंत्रण तो श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का है, तय भी वही कर रहे हैं। पर क्योंकि उनके पास कोई ऐसा ढांचा, ऐसी व्यवस्था नहीं है, इसलिए निमंत्रण पहुँचाने के काम में हम लोग उनके साथ जुट गए हैं।

क्या प्रधानमंत्री जी से भी सलाह ली गई कि किनको बुलाया जाए और किनको नहीं?

इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं है, इसलिए मैं कह नहीं सकता।

विदेशों में लोग इस समारोह से कैसे जुड़ेंगे ? क्या विदेशों से कोई राष्ट्र प्रमुख या कोई बड़े राज नेता समारोह में आएंगे?

विदेश में जहां जहां हिन्दू है, वहां वहां समारोह को देखने की व्यवस्था की गई है। अब कुछ जगह का टाइम ज़ोन मेल नहीं खाता, तो वो दूसरे समय में करेंगे और बाकी सब उसी समय में। फिर लगभग 50 देशों से मंदिर प्रमुख और हिन्दू संगठन के लोगों को बुलाया है। राजनीति के लोगों को नहीं बुलाया और साथ ही उन लोगों को भी नहीं बुलाया जिनके साथ प्रोटोकॉल लगता है। क्योंकि उनके प्रोटोकॉल को पूरा करना हमारे लिए संभव नहीं है। इसलिए किसी भी राष्ट्र अध्यक्ष को हमने नहीं बुलाया है। यहाँ तक हमने भारत के भी मुख्यमंत्रियों को और राज्यपालों को नहीं बुलाया। हाँ कुछ उन्हीं मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया है जो अपनी पार्टी के अध्यक्ष हैं।

अभी हाल ही में दिग्विजय सिंह कह रहे थे कि मंदिर मे नई मूर्ति की क्या आवश्यकता है, और फिर पुरानी मूर्ति का क्या होगा? विपक्ष की तरफ से ये एक नया सवाल आया है।

उन्होंने ये सवाल उठा कर अच्छा किया। 1949 में वहाँ जो मूर्तियाँ प्रकट हुई थीं,वो प्राण प्रतिष्ठित हैं और स्वयंभू भी, उनकी पूजा हो रही है। ढांचा टूटने पर  जो मंदिर बनाया था उसमें भी उनकी ही पूजा होती रही। ऐसी सजीव मूर्तियों को पूजना बंद नहीं किया जा सकता। इसलिए राम लला की पुरानी मूर्ती भी मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होंगी। पर देखना दूर से है और पुरानी मूर्ति छोटी हैं,सबको पूरे दर्शन हो सकें। इसलिए राम जी की 5 साल की अवस्था की, 51 इंच बड़ी नयी मूर्ति बनी है। जिनके चेहरे पर वात्सल्य भी है और आशीर्वाद की मुद्रा, बाल सुलभपन और भगवान का स्वरूप भी। इसलिए अब पुरानी और नयी दोनों मूर्ति गर्भ गृह के केंद्र में एक साथ स्थापित होकर दोनों पूजनीय होंगी।

इस समय मुसलमानों का एक वर्ग मंदिर को समर्थन दे रहा है। लेकिन अभी भी ओवैसी जैसे कुछ नेता राम मंदिर को लेकर मुसलमान युवाओं को भड़का रहे हैं, कि हमारी सारी मस्जिद छिन जाएंगी, उस पर आपका क्या कहना है?

मुझे आश्चर्य होता है उन्होंने तो संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों का सर्वसम्मत फैसला है कि ये भूमि राम की है। उसके बावजूद भी वो वहां मस्जिद की बात कर रहे हैं। ये तो उनकी शपथ का उल्लंघन है। पर मुझे एक संतोष है। ये बात ठीक है कि मीडिया ओवैसी को बहुत दिखाता है, पर मुसलमान ओवैसी की कुछ सुनते नहीं हैं। देश के सभी हिन्दू मुसलमानों ने कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया। मुझे लगता है कि धीरे धीरे ओवैसी जैसे लोग अब अप्रासंगिक होते जाएंगे।

पर कुछ गिने चुने लोग ऐसी बातें भी कर रहे हैं कि जब काँग्रेस की सरकार आएगी तो हम मंदिर फिर से तुड़वा देंगे!

किसमें साहस है, किसने माँ का दूध पिया है जो अब मंदिर को तोड़ सके। अब गौरी,गज़नी,औरंगजेब या बाबर के जमाने का भारत नहीं है। मुसलमान भी इस देश के नागरिक हैं, हमारे भाई हैं, पर अगर वो कानून का उल्लंघन करेंगे, किसी की धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम करेंगे या अपमानित करेंगे तो हमारा कानून अपना काम करने में समर्थ है।

आश्चर्य और प्रसन्नता की बात तो ये है कि अब तो मुस्लिम देशों में भी मंदिर बन रहे हैं, फरवरी में अबू धाबी में भी एक विशाल हिन्दू मंदिर शुरू होने जा रहा है!

ये बहुत आनंद की बात है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं मंदिर के लिए उनसे कहा था। वो तैयार हो गए, और अब मंदिर भी तैयार हो गया है।

सिर्फ 3 साल से भी कम की अवधि में मंदिर तैयार हो गया है। क्या आपको विश्वास था कि सब समय से होगा? साथ ही  इसके निर्माण का दूसरा चरण कब पूरा होगा?

हमको विश्वास था और हम पीएम नरेन्द्रमोदी जी की सरकार को धन्यवाद देते हैं।जहां जहां भी कोई तकलीफ या बाधा आई, हमें सरकार की उच्चतम संस्थाओं और विशेषज्ञों ने पूरी मदद की। सरकार की इतनी बड़ी मदद के बिना मंदिर इतने कम समय में तैयार नहीं हो सकता था। इसलिए हम उनके आभारी हैं। दूसरा चरण भी साथ साथ चल रहा है। अगले साल हम आपको कहेंगे कि दूसरे तल पर भी मंदिर बन गया है,राम दरबार भी सज गया है, अब आप दोबारा आइए।

मंदिर बनने से अयोध्या क्या पूरे उत्तर प्रदेश में अकल्पनीय विकास हो रहा है।  कुछ लोग कहते थे कि मंदिर से क्या होगा, इससे कौनसा विकास होता है। लेकिन मंदिर बनने से विकास और रोजगार की अपार नए द्वार खुल गए हैं। आप क्या कहेंगे?

पूरे अवध में संपन्नता आएगी। आपको बता दूँ अयोध्या में जिसके भी पास 3 कमरों का मकान है, उसने एक कमरा सजा लिया है, आगंतुकों के लिए। उसका अच्छा किराया मिलता है। फिर रोज असंख्य यात्रियों का आना जाना है, जो खाना बनाते हैं,खेती करते हैं,होटल चलाते हैं,रिक्शा-टैक्सी चलाते हैं, समान ढोते हैं उन सबके लिए कितना बड़ा रोज़गार सृजन हो गया है ये। मंदिरों के चारों तरफ तो एक बड़ी अर्थ व्यवस्था चलती है जो बहुत बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार प्रदान करती है। अब हवाई जहाज़ वहां जाएंगे, ट्रेन के स्टेशन नए और बड़े बन गए हैं, रेलवे की नई लाइने बिछ रही हैं। जो नगर विश्व के आध्यात्म के केंद्र में होगा वहाँ तो राम राज्य जैसी संपन्नता आनी ही है।

अब इतना बड़ा सपना साकार होने जा रहा है, जिसके पीछे एक लंबी यात्रा रही है, बहुत लोगों का संघर्ष रहा है। आप इस पावन मौके पर किस-किस को याद कर रहे हैं?

मैं सोच रहा था कि 22 जनवरी को ज़्यादा भीड़ नीचे होगी या आसमान में होगी। जो कार सेवक पुलिस की गोलियों से मारे गए, वो संत जिन्होंने हमारा नेतृत्व किया,वे सब भी तो देखने आएंगे। हिन्दू समाज की इन 500 साल की जो पीढ़ियाँ राम को हृदय में रख कर गईं हैं। सरदाना जी ऐसा कौन सा देवता  नहीं होगा जो अपने वाहन पर बैठ कर उस दिन नहीं आएगा। तो ये केवल धरती का उत्सव नहीं है, ये आकाश का भी है, सितारों का भी है। मैं आज ज्ञात और अज्ञात, दोनों लोगों को श्रद्धा से स्मरण करता हूँ। अशोक सिंघल जी को, महंत अवैद्यनाथ जी, रामकृष्ण परमहंस जी को, हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, देवरा बाबा और वाम देव जी को। जब 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में  प्रधानमंत्री जी मंदिर निर्माण के शुभारंभ में आए थे तो मैंने अनुभव किया था कि ये सभी हमारे साथ हैं। तो 22 जनवरी को तो ये सब होंगे ही।

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