केजरीवाल और आतिशी उपराज्यपाल पर बार बार झूठे आरोप लगाते हैं – वीरेन्द्र सचदेवा
नई दिल्ली, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना दिल्ली के साधारण नागरिकों के हित में काम करते हैं, अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए काम करते हैं। केजरीवाल सरकार की समस्या यह है कि इसी कारण केजरीवाल सरकार से उनका अक्सर टकराव होता है। यह खेदपूर्ण है कि संवैधानिक मंत्री पद पर बैठी आतिशी हो या फिर स्वयं मुख्यमंत्री केजरीवाल यह राजनीतिक द्वेष भाव से बार-बार सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे उपराज्यपाल पर झूठे आरोप लगाते हैं।
उपरोक्त कथन दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा का है। उन्होंने यह बात 14 अप्रैल को एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। पत्रकार वार्ता में प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर, अजय सहरावत एवं मीडिया रिलेशन विभाग के सह-प्रमुख विक्रम मित्तल उपस्थित थे।
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा–‘’आम आदमी पार्टी झूठ, भ्रम और अफवाह फैलाने के सिद्धांत पर बनी पार्टी है। दिल्ली की बिजली मंत्री आतिशी ने भी अपनी पार्टी की इन्हीं तीनों कलाओं का अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में खूब प्रदर्शन किया। ‘’
असल में आतिशी ने 14 अप्रैल को ही अपनी एक कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के उपराज्यपाल पर यह आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल ने बिजली सब्सिडी की फाइल को रोक दिया है, इसलिए कल से दिल्ली में उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी नहीं मिलेगी।
इस पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने आतिशी पर पलटवार कहा है-‘’ यह खेदपूर्ण है कि आतिशी ने यह झूठा और भ्रमात्मक बयान जारी किया जबकि उपराज्यपाल उनकी प्रेसवार्ता से काफी पहले बिजली सब्सिडी फाइल को अपनी स्वीकृति दे चुके थे।‘’
4 अप्रैल को स्वीकृत हुई फ़ाइल को एलजी के पास 11 अप्रैल को भेजा
वीरेन्द्र सचदेवा ने इस पहलू की असली कहानी बताते हुए कहा- “मुख्यमंत्री केजरीवाल जवाब दें कि पावर सब्सिडी से जुड़ी फाइल जो कैबिनेट में 4 अप्रैल को स्वीकृत हो गई थी उसे उपराज्यपाल को 11 अप्रैल को क्यों भेजा? साफ है कि कहीं न कहीं उनकी मंशा थी कि 11 अप्रैल के बाद 13, 14, 15 अप्रैल को तीन दिन का अंबेडकर जयंती और सप्ताहांत अवकाश है। केजरीवाल सरकार ने सोचा कि इस कारण यदि फाइल स्वीकृत होने में विलंब हुआ तो उपराज्यपाल पर आक्षेप लगाएंगे जो आज करने का प्रयास भी किया पर टीम केजरीवाल के दुर्भाग्यवश उपराज्यपाल ने सब्सिडी की फाइल संभवतः 13 अप्रैल को देर रात ही स्वीकृत कर दी।”
उपराज्यपाल ने सरकार से पूछे हैं सवाल
वीरेन्द्र सचदेवा कहते हैं कि जहां तक बिजली विभाग से जुड़े मामलों का मुद्दा है तो उपराज्यपाल ने पांच विशेष बिंदुओं पर सरकार से सवाल पूछे हैं। जिन पर केजरीवाल सरकार जवाब देने से बच रही है क्योंकि यह सवाल कहीं न कहीं केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसलिए भाजपा मांग करती है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं सामने आए और पावर डिस्कॉम के 6 वर्ष से रुके हुए ऑडिट, सभी गरीबों को बिजली सब्सिडी सुनिश्चित ना करने, पावर डिस्कॉम के डी.ई.आर.सी. द्वारा ऑडिट अनिवार्य ना करने, सीधा सी.ए.जी. से ऑडिट ना कराकर केवल उनसे जुड़े ऑडिटर से ऑडिट की बात करने और पावर डिस्कॉम के ऑडिट संबंधित सर्वोच्च न्यायालय की केस को लंबित पड़े रहने संबंधित पांच सवालों का जवाब दें।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने पिछले 6 साल में 13549 करोड़ रुपये सब्सिडी के रुप में पावर डिस्कॉम को दिया है। लेकिन दिल्ली सरकार न उस सब्सिडी का ऑडिट कराना चाहती है और ना ही वे सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में देना चाहती है। आखिर क्यों ?
किरायेदार बिजली मीटर योजना का अता पता नहीं
सचदेवा कहते हैं-‘’पावर सब्सिडी के खेल का एक सच यह भी है कि आज भी दिल्ली में किराये के मकानों में रह रहे गरीबों को पावर सब्सिडी का कोई लाभ नहीं मिल रहा है और 2019 में घोषित केजरीवाल सरकार की किरायेदार बिजली मीटर योजना का कोई अता पता नहीं है। केजरीवाल सरकार का सब्सिडी खेल भ्रष्टाचार का खेल है और भाजपा मांग करती है कि सभी उपभोक्ताओं को पहली 200 यूनिट बिजली खपत पर सब्सिडी का लाभ दिया जाए।‘’