मुंबई में गुलज़ार से व्यास सम्मान पाकर भावुक हुईं पुष्पा भारती

हाल ही में मुंबई में  फिल्मकार गुलजार ने 89 वर्षीया विदुषी डॉ पुष्पा भारती को 33 वां ‘व्यास सम्मान’ समर्पित किया, तो एसपी जैन सभागार देर तक तालियों से गूँजता रहा।

भवन्स कॉलेज परिसर में आयोजित यह अनुपम समारोह वहाँ उपस्थित जनों को बरसों याद रहेगा।  जब पुरस्कार ग्रहण करने के लिए पुष्पा जी मंच की ओर धीरे-धीरे बढ़ रही थीं ,तब गुलजार मंच से कह रहे थे, ‘मंच की ओर आते यह कदम सदी के कदम हैं, साहित्य के कदम हैं।’

गुलजार ने कहा,’मैं उन्हें पी बी कहता हूँ । इसका मतलब पुष्पा भारती नहीं, प्रिय भाभी है। भारती जी (डॉ धर्मवीर भारती) की परछाईं से,उनकी खुशबू से साहित्य की श्रेष्ठता का बोध होता था।पुष्पा जी के लेखन में समयगत सच्चाइयां दर्ज हैं।’

इस मौके पर भावुकता से सराबोर पुष्पा भारती ने कहा,’आज मेरा रोम-रोम कह रहा है-कृतज्ञता,कृतज्ञता,कृतज्ञता’।

उधर भवंस की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘नवनीत’ के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने कहा,’ पुष्पा जी का  पत्रकार रूप बहुत कम लोगों को पता है। वह सोनिया गांधी का इंटरव्यू लेने वाली देश की पहली पत्रकार हैं, जो आज भी याद किया जाता है।’

केके बिरला फाउंडेशन के निदेशक डॉ सुरेश ऋतुपर्ण ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया व संचालन अतुल तिवारी ने किया।चौपाल व केके बिरला फाउंडेशन के इस आयोजन में शर्मिष्ठा वसु ने डॉ धर्मवीर भारती जी की ‘कनुप्रिया’ के कुछ अंश प्रस्तुत किये।अभिषेक पांडेय ने कुछ प्रेम पत्रों का वाचन किया। कविता गुप्ता ने पुरस्कृत कृति से कुछ लेखों को पढ़कर सुनाया।

इस मौके पर भारती जी की दोनों पुत्रियां-पारमिता व प्रज्ञा,नाती अंशुमान, गायिका इला अरुण ,केके रैना, उत्तम सिंह,पत्रकार के विक्रम राव और लेखिका सूर्यबाला सहित कला,साहित्य,संस्कृति के कुछ अन्य विशिष्ट लोग भी उपस्थित थे।

के के बिड़ला फाउंडेशन द्वारा 1991 में स्थापित ‘व्यास सम्मान’ साहित्यिक दुनिया का एक प्रतिष्ठित सम्मान है। यह किसी भारतीय नागरिक को पिछले 10 बरसों में प्रकाशित  हिन्दी साहित्य के उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। सुप्रसिद्द लेखिका पुष्पा भारती को यह सम्मान उनके संस्मरण ‘यादें, यादें और यादें’ के लिए दिया गया है। जिसमें 4 लाख रुपए की राशि, एक प्रशस्ति पत्र और पट्टिका देकर सम्मानित किया गया।

पुस्तक में माखनलाल चतुर्वेदी, निराला,  हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, कवि प्रदीप, राही मासूम रज़ा, विष्णु कान्त शास्त्री, कमलेश्वर के साथ उनके पति और लेखक धर्मवीर भारती के भी अनूठे संस्मरण हैं।

11 जून 1935 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्मीं पुष्पा भारती कुछ बरस तक कोलकाता और मुंबई के महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य भी करती रहीं। बाद में उनका लेखन  भी इतना पसंद किया गया कि उनके संस्मरण, जीवनी और रेखा चित्र, साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर बन गए हैं।

Related Articles

Back to top button