वेलेंटाइन डे पर जन्म लेने वाली मधुबाला, जिंदगी भर प्यार के लिए तरसती रही

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

जिस खूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला को प्यार की मल्लिका और भारतीय सिनेमा की वीनस कहा जाता रहा है। वह खुद अपनी असली जिंदगी में प्यार के लिए अंत तक तरसती रही। जबकि मधुबाला की सुंदरता ऐसी थी कि कोई बड़ी से बड़ी हस्ती भी उन्हें एक निगाह देख लेती तो उसका मन मधुबाला के लिए मचलने लगता था। इसीलिए मधुबाला की जिंदगी में कई लोग आए लेकिन मधुबाला किसी से भी वह प्यार न पा सकीं जिसकी उन्हें चाहत थी।

यह भी संयोग है कि मधुबाला का जन्म उस 14 फरवरी को हुआ जो प्रेम दिवस यानी वेलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है. लेकिन तब भी मधुबाला का मन प्यार के लिए प्यासा रहा।

भारतीय सिनेमा की सर्वाधिक सुंदर अभिनेत्री मधुबाला को इस दुनिया से कूच किये अब 55 साल हो चले हैं। अपने सौन्दर्य के साथ अपने अभिनय में भी कई मील के पत्थर स्थापित करने वाली मधुबाला का सिर्फ 36 बरस की उम्र में 23 फरवरी 1969 को मुंबई में देहांत हो गया था। लेकिन 55 बरस बाद भी यह बेहद खूबसूरत अदाकारा भुलाये नहीं भूलती।

दिल वालों के शहर दिल्ली में जन्मीं थीं मधुबाला

दिल्ली में 14 फरवरी 1933 को जन्मीं मधुबाला का असली नाम मुमताज जहाँ था। सन 1942 में 9 साल की उम्र में ही उन्हें बाल कलाकार के रूप में पहली फिल्म मिल गयी थी-‘बसंत’। यह फिल्म उन्होंने बेबी मुमताज़ के नाम से की थी। लेकिन जब बॉम्बे टाकीज की प्रमुख और जानी मानी अभिनेत्री देविका रानी ने मुमताज को देखा तो वह उनकी सौन्दर्यता से इतनी अभिभूत हो गयीं कि उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म ‘ज्वारभाटा’ में लेने का फैसला किया।

यह दिलीप कुमार की पहली फिल्म थी, जिसमें युसूफ खान को उन्होंने दिलीप कुमार का नाम देकर प्रस्तुत किया। देविका रानी ने मुमताज जहाँ का भी नया नामकरण करके उन्हें मधुबाला बना दिया।

हालांकि परिस्थियाँ कुछ ऐसे बनीं कि मधुबाला ‘ज्वारभाटा’ में काम नहीं कर पायीं। लेकिन आगे चलकर मधुबाला जहाँ सिने पट की लाजवाब अभिनेत्री साबित हुईं, वहां दिलीप कुमार उनके करियर के साथ उनकी जिंदगी में भी आ गए।

यूँ मधुबाला की नायिका के रूप में आई पहली फिल्म केदार शर्मा की ‘नील कमल’ (1947) थी. सही मायने में बतौर नायक राज कपूर की भी यह पहली फिल्म थी। तब राज कपूर 23 साल के थे और मधुबाला 14 वर्ष की।

‘नीलकमल’ बॉक्स ऑफिस पर तो सफल नहीं हो सकी। लेकिन मधुबाला का सौन्दर्य और अभिनय सभी को इतना पसंद आया कि उन्हें तब के लगभग सभी प्रमुख और चर्चित नायकों के साथ फ़िल्में मिलती चली गयीं। जिसमें सन 1949 में आई कमाल अमरोही की ‘महल’ ने मधुबाला की जिंदगी बदल दी।  इस फिल्म में लता मंगेशकर का गाया गीत ‘आएगा आनेवाला’ भी सुपर हिट रहा और मधुबाला भी सुपर हिट हो गयीं।

जब दिलीप कुमार और मधुबाला का प्यार परवान चढ़ा

मधुबाला की छोटी सी जिंदगी जहाँ उनके शानदार अभिनय और अनुपम सौन्दर्य के लिए जानी जाती है, वहां अपने प्रेम प्रसंगों और जिंदगी की निराशाओं के लिए भी वह हमेशा चर्चित रहीं. लेकिन अफ़सोस जिंदगीभर वह सच्चे प्यार के लिए तरसती रहीं. उनके यूँ तो कई प्रेम प्रसंग रहे। लेकिन सबसे मजबूत और विख्यात रहा दिलीप कुमार–मधुबाला का प्यार।

दिलीप कुमार के साथ मधुबाला की पहली फिल्म सन 1951 में प्रदर्शित ‘तराना’ थी. उसके बाद इस जोड़ी ने ‘संगदिल’, ‘अमर’ और ‘मुग़ल-ए-आजाम’ में साथ काम किया।

‘मुग़ल ए आज़म’ की शूटिंग करीब 10 साल चली इसलिए इन दोनों को इसके लिए साथ रहने के बहुत मौके मिले और दोनों में जबरदस्त प्रेम हो गया। लेकिन इसी फिल्म के दौरान परवान चढ़ा इनका प्यार इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान ही ख़त्म हो गया। यहाँ तक फिल्म की अंतिम शूटिंग के समय तो यह हाल था कि ये दोनों परस्पर बात तक नहीं करते थे। सीन करके तुरंत दूर जाकर बैठ जाते थे।

तब मधुबाला का घायल दिल और भी टूट गया  

दिलीप कुमार से अलग होकर मधुबाला ने गायक अभिनेता किशोर कुमार से 1960 में शादी कर ली। इस शादी से पहले ही मधुबाला के दिल में छेद होने की बात पता लग चुकी थी। शादी के बाद यह भी साफ़ हो गया कि मधु अब ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकेंगी।

मधुबाला की ज्यादा तबियत ख़राब देखकर किशोर कुमार ने उन्हें अपने घर में साथ न रखकर एक अलग मकान में रहने के लिए भेज दिया। इससे मधुबाला का बीमार, घायल दिल और भी बुरी तरह टूट गया।

इन फिल्मों से अमर हैं मधुबाला

वह इस दुनिया से तो चली गयीं लेकिन उनकी मुग़ल ए आज़म, महल, हाफ टिकट, चलती का नाम गाडी, अमर, फाल्गुन, मिस्टर एंड मिसेज 55, काला पानी, जाली नोट, बरसात की रात और गेट वे ऑफ़ इंडिया जैसी फ़िल्में उन्हें आने वाले बरसों में भी ठीक ऐसे जिंदा रखेंगी जैसे अपने 55 बरसों बाद वह आज भी सभी के दिलों में बसी हैं।

बस दुख यह रहेगा कि दिलकश अभिनेत्री मधुबाला का दिल बार बार टूटता रहा।

 

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