Ulfat Mukhibova: ताशकंद में हिंदी और भारतीय साहित्य को लेकर उल्फ़त मुहीबोवा कर रही हैं कई बड़े काम, राज कपूर के गीत सुन जागा था हिंदी प्रेम

प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

हाल ही में साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi) के एक समारोह के दौरान ताशकंद (Tashkent) से आई विद्वान उल्फ़त मुहीबोवा (Ulfat Mukhibova) से मुलाक़ात हुई तो मन प्रसन्न हुआ। आश्चर्य हुआ कि उल्फ़त (Ulfat Mukhibova) ताशकंद (Tashkent) में रहकर हिन्दी, भारतीय साहित्य और भक्ति काल को लेकर बरसों से कई बड़े काम कर रही हैं। इसके लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi) सचिव के. श्रीनिवासराव (K Sreenivasarao) ने उल्फ़त को अपने ‘प्रवासी मंच’ (Pravasi Manch) से सम्मानित किया।

प्रदीप सरदाना और उल्फ़त मुहीबोवा

उल्फ़त मुहीबोवा (Ulfat Mukhibova) ताशकंद (Tashkent) राजकीय प्राच्य विद्या संस्थान में हिन्दी की प्रोफेसर हैं। वह बताती हैं-‘’मैं जब कक्षा 5 में पढ़ती थी तब राज कपूर (Raj Kapoor) और दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की फिल्मों के गीत सुन मुझमें हिन्दी सीखने की ललक जागी। सन 1974 में वहाँ राज कपूर (Raj Kapoor) से मुलाक़ात के बाद तो मेरा हिन्दी प्रेम और भी बढ़ गया।”

उल्फ़त मुहीबोवा (Ulfat Mukhibova) ने आगे कहा “फिर मैंने मध्यकालीन भारतीय साहित्य पर शोध किया तो मैंने कबीर, सूरदास, तुलसीदास और मीरा सहित कई महान हस्तियों के बारे में जाना। अब मैं ताशकंद (Tashkent) में हिन्दी पढ़ाने के साथ ‘बीसवीं सदी के हिन्दी उपन्यास’ पर अपनी नयी पुस्तक भी लिख रही हूँ।”

उल्फ़त मुहीबोवा (Ulfat Mukhibova) ने यह भी कहा “इससे पहले मेरी 10 से अधिक पुस्तकें आ चुकी हैं। उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में हिन्दी, भारत, भारतीय साहित्य और सिनेमा संस्कृति (Indian Literature and Cinema Culture) को जानने और समझने का युवाओं में भी काफी उत्साह है। यही कारण है कि सिर्फ उनके संस्थान से ही हर बरस 50 से 70 विद्यार्थी हिन्दी में स्नातक बनते हैं। इनमें से स्नातक बनने के बाद कई विद्यार्थी हिन्दी में एम ए करते हैं और फिर पीएचडी भी।‘’

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