आज का पंचांग और जानिए कैसे करें गणेश पूजन और क्या हैं इसके लाभ

🌤️  दिनांक – 19 सितम्बर 2023

🌤️ दिन – मंगलवार

🌤️ विक्रम संवत – 2080

🌤️ शक संवत -1945

🌤️ अयन – दक्षिणायन

🌤️ ऋतु – शरद ॠतु

🌤️ मास – भाद्रपद

🌤️ पक्ष – शुक्ल

🌤️ तिथि – चतुर्थी दोपहर 01:43 तक तत्पश्चात पंचमी

🌤️ नक्षत्र – स्वाती दोपहर 01:48 तक तत्पश्चात विशाखा

🌤️ योग – वैधृति 20 सितम्बर रात्रि 03:58 तक तत्पश्चात विष्कंभ

🌤️ राहुकाल – दिल्ली समयानुसार शाम 03:18 से शाम 04:50 तक

🌞 सूर्योदय-06:07

🌤️ सूर्यास्त- 18:22

दिल्ली समयानुसार

👉 दिशाशूल- उत्तर दिशा में

🚩 व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी,गणेश चतुर्थी,(चंद्र दर्शन निषिद्ध,चन्द्रास्त  :रात्रि 09:18,गणेश महोत्सव प्रारंभ,मंगलवारी चतुर्थी (सूर्योदय से दोपहर 01:43 तक)

🌷 गणेश चतुर्थी 🌷

गणेशजी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न में हुआ था। उस समय सोमवार का दिन, स्वाति नक्षत्र, सिंह लग्न और अभिजीत  मुहूर्त था। गणेशजी के जन्म के समय सभी शुभग्रह कुंडली में पंचग्रही योग बनाए हुए थे।

👉🏻 *आज यह त्यौहार 19 सितम्बर 2023 मंगलवार को मनाया जा रहा है।

➡ वैसे तो भविष्य पुराण में सुमन्तु मुनि का कथन है

“न तिथिर्न च नक्षत्रं नोपवासो विधीयते । यथेष्टं चेष्टतः सिद्धिः सदा भवति कामिका।।”

“भगवान गणेशजी की आराधना में किसी तिथि, नक्षत्र या उपवासादि की अपेक्षा नहीं होती। जिस किसी भी दिन श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवान गणेशजी की पूजा की जाय तो वह अभीष्ट फलों को देनेवाली होती है।” फिर भी गणेशजी के जन्मदिन पर की जानेवाली उनकी पूजा का विशेष महत्व है। तभी तो भविष्यपुराण में ही सुमन्तु मुनि फिर से कहते हैं की

“शुक्लपक्षे चतुर्थ्यां तु विधिनानेन पूजयेत्। तस्य सिध्यति निर्विघ्नं सर्वकर्म न संशयः ।।

एकदन्ते जगन्नाथे गणेशे तुष्टिमागते। पितृदेवमनुष्याद्याः सर्वे तुष्यन्ति भारत ।।”

“शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को उपवास कर जो भगवान गणेशजी का पूजन करता है, उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और सभी अनिष्ट दूर हो जाते हैं। श्रीगणेशजी के अनुकूल होने से  सभी जगत अनुकूल हो जाता है। जिस पर एकदन्त भगवान गणपति संतुष्ट होते हैं, उसपर देवता, पितर, मनुष्य आदि सभी प्रसन्न रहते हैं।”

➡ अग्निपुराण के अनुसार भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को व्रत करनेवाला शिवलोक को प्राप्त करता है |

➡ भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व के अनुसार

मासि भाद्रपदे शुक्ला शिवा लोकेषु पूजिता । ।

तस्यां स्नानं तथा दानमुपवासो जपस्तथा । क्रियमाणं शतगुणं प्रसादाद्दन्तिनो नृप । ।

गुडलवणघृतानां तु दानं शुभकरं स्मृतम् । गुडापूपैस्तथा वीर पुण्यं ब्राह्मणभोजनम् । ।

यास्तस्यां नरशार्दूल पूजयन्ति सदा स्त्रियः । गुडलवणपूपैश्च श्वश्रूं श्वसुरमेव च । ।

ताः सर्वाः सुभगाः स्युर्वे१ विघ्रेशस्यानुमोदनात् । कन्यका तु विशेषेण विधिनानेन पूजयेत् । ।

🙏🏻 भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ है, इस दिन जो स्नान, दान उपवास, जप आदि सत्कर्म किया जाता है, वह गणपति के प्रसाद से सौ गुना हो जाता है | इस चतुर्थी को गुड़, लवण और घृत का दान करना चाहिये, यह शुभ माना गया है और गुड़ के अपूपों (मालपुआ) से ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिये तथा उनकी पूजा करनी चाहिये | इस दिन जो स्त्री अपने सास और ससुर को गुड़ के पुए तथा नमकीन पुए खिलाती है वह गणपति के अनुग्रह से सौभाग्यवती होती है | पति की कामना करनेवाली कन्या विशेषरूप से इस चतुर्थी का व्रत करे और गणेशजी की पूजा करें |

➡ गरुड़पुराण के अनुसार “सोमवारे चतुर्थ्यां च समुपोष्यार्चयेद्गणम्। जपञ्जुह्वत्स्मरन्विद्या स्वर्गं निर्वाणतां व्रजेत् ॥” सोमवार, चतुर्थी तिथिको उपवास रखकर व्रती को विधि – विधान से गणपतिदेव की पूजा कर उनका जप, हवन और स्मरण करना चाहिये | इस व्रत को करने से उसे विद्या, स्वर्ग तथा मोक्ष प्राप्त होता है |

➡ शिवपुराण के अनुसार “वर्षभोगप्रदा ज्ञेया कृता वै सिंहभाद्रके” जब सूर्य सिंह राशिपर स्थित हो, उस समय भाद्रपदमास की चतुर्थी को की हुई गणेशजी की पूजा एक वर्ष तक मनोवांछित भोग प्रदान करती है

➡ अग्निपुराण अध्याय 301 के अनुसार

पूजयेत्तं चतुर्थ्याञ्च विशेषेनाथ नित्यशः ।।

श्वेतार्कमूलेन कृतं सर्व्वाप्तिः स्यात्तिलैर्घृतैः ।

तण्डुलैर्दधिमध्वाज्यैः सौभाग्यं वश्यता भवेत् ।।

गणेशजी की नित्य पूजा करें, किंतु चतुर्थी को विशेष रूप से पूजा का आयोजन करें। सफ़ेद आक की जड़ से उनकी प्रतिमा बनाकर पूजा करें। उनके लिए तिल की आहुति देने पर सम्पूर्ण मनोरथों की प्राप्ति होती है। यदि दही, मधु और घी से मिले हुए चावल से आहुति दी जाय तो सौभाग्य की सिद्धि एवंय शिवत्व की प्राप्ति होती है।

गणेश जी को मोदक (लड्डू), दूर्वा घास तथा लाल रंग के पुष्प अति प्रिय हैं । गणेशजी अथर्वशीर्ष में कहा गया है “यो दूर्वांकुरैंर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति” अर्थात जो दूर्वांकुर के द्वारा भगवान गणपति का पूजन करता है वह कुबेर के समान हो जाता है। “यो मोदकसहस्रेण यजति स वाञ्छित फलमवाप्रोति” अर्थात जो सहस्र (हजार) लड्डुओं (मोदकों) द्वारा पूजन  करता है, वह वांछित फल को प्राप्त करता है।

गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को 21 लड्डू, 21 दूर्वा तथा 21 लाल पुष्प (अगर संभव हो तो गुड़हल) अर्पित करें।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं एवम् बधाई।

दिनांक 19 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1 है । आप साहसी और जिज्ञासु हैं। आपका मूलांक सूर्य ग्रह के द्वारा संचालित होता है। आप अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं। आपकी मानसिक शक्ति प्रबल है। आपको समझ पाना बेहद मुश्किल है। आप आशावादी होने के कारण हर स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं।

आप सौन्दर्यप्रेमी हैं। आपमें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला आपका आत्मविश्वास है। इसकी वजह से आप सहज ही महफिलों में छा जाते हैं। आप राजसी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। आपको अपने ऊपर किसी का शासन पसंद नहीं है।

शुभ दिनांक : 1, 10, 19, 28

शुभ अंक : 1, 10, 19, 28, 37, 46, 55, 64, 73, 82

शुभ वर्ष : 2026, 2044, 2053, 2062

ईष्टदेव : सूर्य उपासना तथा मां गायत्री

शुभ रंग : लाल, केसरिया, क्रीम,

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