Swami Ramswarup: स्वामी रामस्वरूप जिनकी वेद, शास्त्रों और गीता पर लिखी पुस्तकें विश्वभर में हो रही हैं लोकप्रिय, 84 की उम्र में भी योग, यज्ञ और वेदों के लिए है अद्भभुत समर्पण

– प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार 

Founder Editor- Punarvas Online.com

श्रीमद भगवदगीता (Srimad Bhagwat Gita) हमारा एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है जिसकी व्याख्या  पूरे विश्व में विभिन्न प्रकार से की जाती रही है। इस विश्व प्रसिद्द ग्रंथ को आदि शंकराचार्य और स्वामी रामभद्राचार्य जैसे धर्माचार्य सहित संत ज्ञानेश्वर, चैतन्यमहाप्रभु, स्वामी चिन्मयानन्द, परमहंस योगानन्द, मधुसूदन सरस्वती, महर्षि अरविंद घोष और ओशो रजनीश ने तो अपने अपने ढंग से प्रस्तुत किया ही है।

साथ ही बाल गंगाधर तिलक, विनोवा भावे, सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन, महात्मा गांधी और चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जैसे महापुरुषों ने भी गीता की व्याख्या अपने मतानुसार लिखकर, इसे विश्व में भारत का सर्वाधिक प्रसिद्द ग्रंथ  बना दिया है।

इधर अब गीता के सम्पूर्ण 18 अध्यायों को योगाचार्य स्वामी रामस्वरूप (Swami Ramswarup) ने चार भागों में प्रस्तुत कर, इसकी व्याख्या एक नए और सहज स्वरूप में की है। ‘श्रीमद भगवदगीता’–एक वैदिक रहस्य नाम से प्रकाशित उनकी ये चार पुस्तकें गीता के मूल, शब्दार्थ, भावार्थ और हिन्दी टीका सहित हैं।

स्वामी रामस्वरुप (Swami Ramswarup) आज के दौर के एक ऐसे महाज्ञानी हैं जो चारों वेदों और 6 शास्त्रों सहित उपनिषद, महाभारत, रामायण और मनुस्मृति के साथ ही अन्य धर्म ग्रन्थों के भी ज्ञाता हैं। पिछले कई बरसों से वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के योल कैंप में वेदों के साथ योग का भी भरपूर ज्ञान दे रहे हैं। जहां उनके  ‘वेद मंदिर’ आश्रम में पूरे वर्ष उनके अनुयायी आते रहते हैं.

वेद, धर्म संस्कृति और योग आदि पर उनकी अब तक 40 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। बड़ी बात यह है कि अपने जीवन के 84 वें वर्ष में भी , यज्ञ, योग और वेदों  के लिए उनका अद्द्भुत  समर्पण देखते ही बनता है।  भगवदगीता के चतुर्थ भाग के साथ उनकी एक और पुस्तक ‘वेदों से झरता सनातन सत्य’ भी हाल के बरसों में आई हैं।

बड़ी बात यह भी है कि उनकी लिखी ये धर्म पुस्तकें देश में ही नहीं विश्व के कई  देशों में भी अच्छी खासी लोकप्रिय हो रही हैं। जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन,ऑस्ट्रेलिया, कनाडा,मलेशिया,इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देश  शामिल हैं। स्वामी रामस्वरुप अपनी  पुस्तकें हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में तो लिखते ही हैं। साथ ही उनकी पुस्तकों के अनुवाद तमिल, कन्नड, गुजराती और मराठी भाषा में भी हो रहे हैं.

एक बार अंग्रेजी के सुप्रसिद्द लेखक खुशवंत सिंह ने भी स्वामी रामस्वरुप के वेद ज्ञान से प्रभावित होकर लिखा था -” मुझे जब भी वेद संबंधित कोई जानकारी चाहिए होती है तो मैं योल  कैंप के स्वामी रामस्वरुप जी से संपर्क करता हूँ।”

स्वामी रामस्वरुप कहते हैं-“मेरा उद्देश्य है कि आज जो लोग वेदों और वेद शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं, उन्हें वेदों से जोड़ा जाये। फिर दुख इस बात का भी है कि कुछ लोग अपनी अज्ञानता के कारण वेदों को गलत ढंग से परिभाषित कर अर्थ का अनर्थ कर रहे हैं। लेकिन यदि लोग आज वेदों की ओर लौटते हुए सही प्रकार से ज्ञान प्राप्त करें, नियमित योग और यज्ञ करें तो सभी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे। इसलिए मैं अपनी पुस्तकों में वेद-शास्त्रों के मूल मंत्रों की सरल और सहज शब्दों में व्याख्या कर, वेद ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना चाहता हूँ।”

यह भी पढ़ें- Ram Mandir: अयोध्या में राम लला अब सिल्क की जगह पहनेंगे सूती कपड़े, श्रीराम ट्रस्ट का नया फैसला, 2 से 3 लाख भक्त कर रहे हैं रोज दर्शन

Related Articles

Back to top button