Raj Kapoor@100: राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष आज से शुरू, जानिए महान फिल्मकार की गाथा और मेरे साथ उनकी जिंदगी का अंतिम संवाद

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

आज से राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है।  राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को  अविभाजित भारत के पेशावर शहर में हुआ था। यदि आज राज कपूर होते तो अपनी जिंदगी के 99 वर्ष पूर्ण कर 100 वें वर्ष में प्रवेश कर गए होते। हालांकि आज वह इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन पूरा देश ही नहीं विश्व भर में असंख्य लोग उनका जन्म शताब्दी वर्ष अपने अपने ढंग से मनाने के लिए जुट चुके हैं।  

राज कपूर (Raj Kapoor) का नाम आते ही एक शब्द जो सबसे पहले दिमाग नें उभरता है वह है ‘ग्रेट शोमैन’(Great Showman)। यूं भारतीय सिनेमा में एक से एक शानदार फ़िल्मकार हुए हैं। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) की फिल्मों की भव्यता इतनी थी कि आज बरसों बाद भी कोई और ‘ग्रेट शोमैन’ का दर्जा नहीं पा सका है। राज कपूर (Raj Kapoor) की एक खास बात यह भी रही कि वह जहां निर्माता, निर्देशक के रूप में बेहद सफल रहे वहाँ एक अभिनेता के रूप में भी उन्होंने सफलता, लोकप्रियता के कई नए आयाम बनाए।

यूं राज कपूर (Raj Kapoor) के पिता पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) भी रंगमंच और सिनेमा के चोटी के अभिनेता थे। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) ने पिता के नाम का सहारा लिए बिना अपनी एक ऐसी पहचान बनाई कि कपूर परिवार फिल्म उद्योग का सबसे मशहूर परिवार बन गया।

राज कपूर (Raj Kapoor) देश के वह अभिनेता भी हैं, जिन्होंने अपने देश के बाहर सबसे पहले अपने नाम की पताका फहराई। राज कपूर (Raj Kapoor) की रूस में तो लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी फिल्म ‘आवारा’ (Awara) का गीत ‘आवारा हूँ’ वहाँ घर घर में गाया जाने लगा। उन दिनों देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू रूस गए तो वहाँ के तत्कालीन राष्ट्रपति ने पंडित नेहरू से अपनी बातचीत में कई बार राज कपूर (Raj Kapoor) और उनकी फिल्म ‘आवारा’ (Awara) की बात की। 

पंडित नेहरू और पृथ्वीराज कपूर (Prithviraj Kapoor) के परस्पर गहरे संबंध थे। जब पंडित नेहरू स्वदेश लौटे तो उन्होंने आते ही पृथ्वीराज (Prithviraj Kapoor) से कहा, तेरे बेटे ने यह क्या फिल्म बनाई है ‘आवारा’ (Awara) कि वहाँ के राष्ट्रपति अपनी मुलाक़ात के दौरान बार बार इस फिल्म और राज कपूर (Raj Kapoor) की ही चर्चा करते रहे।

रूस ने बिना वीजा के भी राज कपूर का किया स्वागत

राज कपूर (Raj Kapoor) की रूस में लोकप्रियता की बानगी इससे भी मिलती है कि एक बार राज कपूर (Raj Kapoor) को अचानक लंदन से मॉस्को जाना पड़ा, जबकि उनके पास वहाँ के लिए वीजा भी नहीं था लेकिन रूस ने राज कपूर (Raj Kapoor) का बिना वीजा भी अपने देश में स्वागत किया। राज कपूर (Raj Kapoor) रूस में आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी पहचान बने हुए हैं।

यह बात अलग है कि राज कपूर को दुनिया से  बिदा हुए अब 35 बरस हो चले हैं। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) आज भी सिनेमा का ऐसा नाम हैं, जिनके नाम के बिना भारतीय सिनेमा अधूरा है।

सन 1948 में सिर्फ 24 बरस की उम्र में राज कपूर (Raj Kapoor) ने खुद निर्माता-निर्देशक बनकर पूरी सिनेमाई दुनिया को चौंका दिया था। हालांकि उनके आरके फिल्म्स (RK Films) के बैनर तले बनी वह पहली फिल्म ‘आग’ बुरी तरह फ्लॉप हो गयी थी। जिसे राज कपूर (Raj Kapoor) का तब बहुत से लोगों ने मज़ाक भी उड़ाया। लेकिन उन्होंने किसी भी बात की परवाह किए बिना एक साल में ही अपनी दूसरी फिल्म ‘बरसात’ बना दी।

‘बरसात’ को तो ऐसी सफलता मिली कि राज कपूर का नाम देश के चुनिन्दा बेहतरीन निर्माता, निर्देशकों की लिस्ट में शुमार हो गया। साथ ही अभिनेता के रूप में भी उनकी लोकप्रियता शिखर छूने लगी। बाल कलाकार के रूप में अपनी अभिनय यात्रा शुरू करने वाले राज कपूर (Raj Kapoor) ने कुल लगभग 60  फिल्मों में अभिनय किया।

जबकि अपने बैनर से बनाई अपनी कुल 18 फिल्मों में से उन्होने सिर्फ 10 फिल्मों का निर्देशन किया। लेकिन राज कपूर (Raj Kapoor) अपनी इसी विरासत से आज भी अमर हैं और कल भी रहेंगे।

उनकी बनाई फिल्मों में बरसात, आवारा, श्री 420, बूट पालिश, जागते रहो, अब दिल्ली दूर नहीं, जिस देश में गंगा बहती है, संगम, मेरा नाम जोकर, कल आज और कल, बॉबी, धर्म-कर्म, सत्यम शिवम सुंदरम, प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली भारतीय सिनेमा की अमूल्य धरोहर हैं। इनमें अधिकतर फिल्में कालजयी फिल्मों में शामिल हो चुकी हैं। 

राज कपूर (Raj Kapoor) के  जन्म शताब्दी वर्ष में, मुझे इस बात पर गर्व है कि राज कपूर और उनकी फिल्मों को मुझे काफी करीब से देखने, समझने का मौका मिला है। फिर मेरा यह भी सौभाग्य है कि पृथ्वीराज कपूर को छोड़कर इस कपूर परिवार के लगभग सभी सदस्यों से मिलने का मौका मुझे कई बार मिला है। 

राज कपूर (Raj Kapoor) के साथ उनके भाई शम्मी कपूर और शशि कपूर हों या इनकी पत्नी कृष्णाराज, नीला देवी और जेनिफर। या फिर राज कपूर के बेटे रणधीर, ऋषि और राजीव और बेटियाँ ऋतु नंदा और रीमा जैन। साथ ही करिश्मा, करीना और रणबीर कपूर ही नहीं शम्मी कपूर के पुत्र आदित्य, शशि कपूर के बच्चे कुणाल, करण और संजना कपूर तक सभी से मिलता रहा हूँ।

जब राज कपूर ने अपनी ज़िंदगी की अंतिम बात मेरे साथ की

लेकिन मुझे वह दिन कभी नहीं भूलेगा जब राज कपूर (Raj Kapoor) ने अपनी असली ज़िंदगी का अंतिम संवाद मेरे साथ किया। बात 2 मई 1988 की है जब राज कपूर दिल्ली में दादा साहब फाल्के सम्मान लेने आए थे। लेकिन पुरस्कार समारोह के दौरान उन्हें अस्थमा का ऐसा अटैक आया कि वह पुरस्कार लेने मंच पर नहीं पहुँच सके। तब राष्ट्रपति ने प्रोटोकॉल को नज़र अंदाज़ करते हुए स्वयं उनकी सीट तक जाकर उन्हें यह पुरस्कार देने की रस्म जैसे तैसे अदा की।

उसके बाद तो राज कपूर (Raj Kapoor) की तबीयत बहुत बिगड़ गयी। तब राष्ट्रपति भवन की एंबुलेंस में, मैं ही उनकी पत्नी कृष्णा जी के साथ राज कपूर को अस्पताल लेकर गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में मैंने ही उन्हें दाखिल कराया। यहाँ तक उस रात देर तक आईसीयू में भी मैं और कृष्णा जी ही राज कपूर (Raj Kapoor) के साथ रहे।

उसी दौरान राज कपूर (Raj Kapoor) अचेतावस्था चले गए। लेकिन उससे पहले अपनी ज़िंदगी के अंतिम शब्द मुझसे ही कहे। वे शब्द थे- ”मुझे आराम नहीं आ रहा, लगता है अब मैं ठीक नहीं हो सकूँगा, मुझे मर जाने दो।” हालांकि इसके बाद पूरे एक माह राज कपूर अचेतावस्था में रहे। उन्हें इस दौरान कभी होश नहीं आया। ठीक एक महीने बाद 2 जून 1988 को राज कपूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 

राज कपूर के वे अंतिम शब्द बरसों बाद भी मेरे कानों में गूँजते हैं। इस महान फ़िल्मकार से मेरा शायद कोई पूर्व जन्म का कोई रिश्ता रहा होगा कि उनकी अंतिम चेतना अवस्था में, उनका कोई पुत्र, पुत्री या भाई नहीं, मैं उनके साथ था।

Related Articles

Back to top button