Mental Health: चलिए चुप्पी को तोड़ते हैं, मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हैं..भोजन जितना ही जरूरी है यह विषय

Mental Health: हम लोग मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं. जबकि यह एक बड़ी समस्या है और पहले कोविड व अब दुनियाभर में लोगों की नौकिरियां जाने संबंधी खबरों के बाद लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है. चलिए हम इस चुप्पी को तोड़ते हैं.. मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य हम में से बहुत से लोगों की प्राथमिकता नहीं है. हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य का विषय हमेशा से टैबू रहा है और लोग इस पर बात नहीं करना चाहते. यदि कोई व्यक्ति बात करता भी है तो लोग उसे टालने की कोशिश करते हैं. किसी व्यक्ति को मनोचिकित्सक यानी साइकियाट्रिस्ट के पास जाने की सलाह दे दी जाए तो उसकी प्रतिक्रिया ऐसी होती है, जैसे उसे हमने पागल घोषित कर दिया हो. ऐसा सिर्फ इसलिए है, क्योंकि हम मानसिक स्वास्थ्य को तवज्जो नहीं देते और किसी भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या को पागलपन ही करार देने लगते हैं.

मानसिक स्वास्थ्य पर आप जैसे ही बात शुरू करते हैं, लोग ‘पागलों की बात क्यों कर रहे हो?’ करके आपकी बात को ही हल्का कर देते हैं. असल में जब भी मानसिक स्वास्थ्य में कुछ ऊंच-नीच महसूस हो. जब एंग्जाइटी का अटैक आए तो असल में हल्का होने की आवश्यकता होती है. क्योंकि दिमाग पर बोझ के चलते तो अटैक आता है, उस बोझ को हल्का करेंगे तो मानसिक स्वास्थ बेहतर हो जाएगा. एक वीडियो दिखा जिसमें मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक गहरी बात सिर्फ भाव-भंगिमाओं और कृत्य के जरिए की गई है. यह वीडियो आपको जरूर देखना चाहिए और फिर आपको समझ आएगा कि दिमाग के बोझ को हल्का करना कितना आसान है और कितना जरूरी.

पहले कोविड और अब दुनियाभर में लोगों की नौकरियां जाने की खबरों ने लोगों पर बहुत बड़ा मानसिक दबाव डाला है. इसलिए आज मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना बहुत जरूरी है. आज मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों पर बात करना जरूरी है.

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