Banwari Jhol: बाजीगर, ओह माय गॉड, फिर हेरा फेरी जैसी फिल्मों में काम कर चुके बनवारी झोल अब अयोध्या की रामलीला में बन रहे हैं परशुराम, मंच, टीवी और फिल्मों के हैं दिलकश कलाकार

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

हाल ही में वरिष्ठ अभिनेता बनवारी झोल (Banwari Jhol) से दिल्ली में काफी समय बाद मुलाक़ात हुई तो अच्छा लगा। बनवारी (Banwari Jhol) अयोध्या में शुरू हुई रामलीला के सिलसिले में दिल्ली आए हुए थे। वह इस चर्चित रामलीला में परशुराम का किरदार कर रहे हैं।

बनवारी (Banwari Jhol) एक ऐसे अभिनेता हैं जो पिछले करीब 40 बरसों से मंच, टीवी और सिनेमा के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। मैं बनवारी झोल को उनके करियर की शुरुआती दिनों से जानता हूँ। वह देश के ऐसे अभिनेता हैं जो मूक अभिनय (माइम आर्ट) के पारंगत रहे हैं। अपनी इस कला का प्रदर्शन करते करते वह दूरदर्शन के सीरियल और टेली फिल्मों से जुडते चले गए।

अरविंद स्वामी (Arvind Swami) के निर्देशन में बनी एक टेली फिल्म ‘चलो गाँव की ओर” में तो बनवारी झोल (Banwari Jhol) ने ए के हंगल के साथ ऐसा अभिनय किया था जो आज तक नहीं भुलाया जा सका है। सन 1993 में बनवारी (Banwari Jhol) ने फिल्म ‘बाज़ीगर’ (Baazigar) से फीचर फिल्मों में कदम रखा तो उन्हें ऐसी सफलता मिली कि वह मुंबई में ही जा बसे। फिर हेरा फेरी, गॉड तुसी ग्रेट हो, ओह माय गॉड जैसी कितनी ही फिल्में उनके खाते में हैं।

बनवारी झोल (Banwari Jhol) की विशेषता यह है कि वह जहां कॉमेडी के सरताज हैं, वहाँ धीर-गंभीर भूमिकाओं के साथ खलनायक के अवतार में भी खूब जमते हैं। हाल ही में कलर्स चैनल (Colos Tv) के ‘सावी की सवारी’ (Savi Ki Sawari) में वह अच्छे खासे लोकप्रिय रहे। यूं वह ससुराल गैंदा फूल, चिड़ियाघर, तारक मेहता का उल्टा चश्मा जैसे और भी कई सीरियल में रंग जमा चुके हैं।

बनवारी (Banwari Jhol) कहते हैं –‘’यह मेरा सौभाग्य है कि इतने बरसों से मुझे मंच, रंगमंच और टीवी-फिल्मों में भी लगातार काम मिल रहा है। तो अब द ग्रेट वेडिंग्स ऑफ मुन्नेस, कैट और बजाओ जैसी वेब सीरीज में भी अच्छी भूमिकाएँ मिली हैं। अयोध्या की रामलीला से मुंबई लौटने पर मेरे दो और बड़े प्रोजेक्ट शुरू होने को हैं।

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