Baisakhi 2023: मीनाक्षी लेखी के साथ झूमकर नाचे कई देशों के राजदूत, बैसाखी समारोह में खूब जमे रंग

  • प्रदीप सरदाना

  वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक

लोकप्रिय राजनेत्री और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) यूं हमेशा एक अच्छी होस्ट रही हैं। लेकिन सोमवार को चेम्सफोर्ड क्लब (Chelmsford Club), नई दिल्ली में उनके द्वारा आयोजित ‘बैसाखी समारोह’ (Baisakhi Festival) तो इतना शानदार रहा, जिसकी यादें बरसों रहेंगी।

जहां भारत की सांस्कृतिक विरासत और उत्सवों के रंग थे,वहाँ परंपरागत भारतीय खान-पान की महकती खुशबू भी। फिर भारतीय गीत-संगीत का ऐसा मेला कि स्वयं मीनाक्षी लेखी भी अपने कदमों को ना रोक सकीं। वह स्वयं तो झूमकर खूब नाचीं हीं, उनके साथ कई देशों के राजदूत और उनके परिवार के सदस्य भी ‘नाचो नाचो’ कर उठे।

हाल ही में भारतीय गीत ‘नाटू नाटू’ (नाचो नाचो) ने ऑस्कर जीतकर दुनिया भर में धूम मचाई है। लेकिन यकीन मानिए इस भव्य बैसाखी (Baisakhi) समारोह में प्रस्तुत गीत-नृत्यों की छटा भी देखते ही बनती थी।

मीनाक्षी लेखी भारत की विदेश राज्य और संस्कृति राज्य मंत्री हैं। इस ‘बैसाखी समारोह’ में उनके दोनों मंत्रालय की झलक थी। जहां चप्पे चप्पे पर कला-संस्कृति के रंग थे,वहाँ कई देशों के राजदूत,राजनयिकों की मौजूदगी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को चरितार्थ कर रही थी।

दरअसल इस कार्यक्रम का आयोजन बैसाखी के अवसर पर मूलतः राजदूतों, राजनयिकों  और मंत्रालय के अधिकारियों के लिए किया गया था। जिससे भारत में रह रहे विभिन्न देशों के राजनयिक भारतीय संस्कृति और बैसाखी उत्सव के रंग देख सकें। इसी के मद्देनजर समारोह में आए सभी राजदूतों का ढोल और भांगड़ा के साथ पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया। यह देख राजनयिक और उनके प्रतिनिधि मंत्रमुग्ध हो गए।

इस समारोह में जिन देशों के मिशनों का प्रतिनिधित्व देखा गया उनमें ऑस्ट्रिया,रोमानिया, पुर्तगाल, म्यांमार, नेपाल, बांग्लादेश, सर्बिया,चिली और  पेरू  सहित कई अन्य देश भी शामिल थे। कार्यक्रम में पंजाबी संस्कृति को दर्शाने वाली कुछ दिलचस्प प्रवृतियाँ भी थीं। जैसे परांधी बांधना, मिट्टी के बर्तन बनाना और फुलकारी दुपट्टा बनाना। अच्छा तब लगा जब कई विदेशी मेहमानों ने इस ‘आर्ट’ को समझ, खुद यह सब करके मज़े मज़े में अपनी भागीदारी भी दर्शायी।

मीनाक्षी लेखी जहां स्वयं अपने इन विदेशी मेहमानों को बैसाखी उत्सव, अपनी संस्कृति और गीत संगीत तथा खान-पान को लेकर बारीकी से समझा रही थीं। वहाँ उन्होंने स्वयं इन सभी को मंच पर नृत्य के लिए भी आमंत्रित किया।

समारोह का वह नज़ारा तो सबसे खूबसूरत था,जब मीनाक्षी लेखी,सांस्कृतिक केंद्र पटियाला से आए कलाकारों के संग पहले समूह नृत्य करने लगीं। उसी दौरान एक कलाकारा ने अपने सिर पर रखे दीयों से सज़े एक मटके को, उनके सिर पर ही रख दिया। एक पल के लिए लगा मीनाक्षी उस मटके को जल्द ही नीचे रख देंगी। लेकिन समां तब बंधा जब मीनाक्षी ने उस दीप जलते मटके को लेकर और भी झूम कर नाचना शुरू कर दिया। वह उस मटके को लेकर एक प्रशिक्षित नृत्यांगना की भांति पूरे मंच पर नाचते नाचते इधर से उधर झूमती रहीं।

इसके बाद तो वहाँ उपस्थित महिला राजदूतों और उनके परिवार के लोग भी भारतीय संस्कृति में ऐसे रचे कि सभी एक एक करके वह मटका सिर पर रखकर नृत्य करने लगे। इस सबसे वहाँ माहौल ऐसा बना कि फिर तो कभी ‘सारा लंदन ठुमकदा’ और कभी ‘लट्ठे दी चादर’ जैसे कितने ही गीतों पर सभी देर तक ठुमकते रहे। करीब शाम 8 बजे शुरू हुआ यह समारोह देर रात 12 बजे तक चलता रहा। मीनाक्षी लेखी स्वयं सवा 11 बजे तक वहाँ रहकर सभी देशी-विदेशी आगंतुकों का ध्यान रखती रहीं। यह समारोह कुल मिलाकर इतना भव्य और अच्छा रहा कि वहाँ के कई नज़ारे पलकों में कैद हो गए हैं।

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