मेयर चुनाव पर अब सुप्रीम सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी अहम रहा। जहां एक तरफ दिल्ली में मेयर चुनाव की जंग अब सुप्रीम कोर्ट तक आ गई है। वहीं लखीमपुर हिंसा मामले में मंत्री के बेटे को राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु को आसान बनाया। हिजाब मामले पर जल्द सुनवाई करने को सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 23 जनवरी से 27 जनवरी 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

मेयर चुनाव पर अब सुप्रीम सुनवाई

एमसीडी में मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी की मेयर पद प्रत्याशी डॉ. शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समयबद्ध तरीके से चुनाव कराने की मांग की। आप का आरोप है कि बीजेपी जानबूझकर मेयर चुनाव में देरी करवा रही है, ताकि एमसीडी पर केंद्र के माध्यम से उसका नियंत्रण बना रहे। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में दो मांगें रखी हैं। पहली, समयवद्ध तरीके से मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव कोर्ट अपनी निगरानी कराए। दूसरी, मनोनीत पार्षदों को वोटिंग से रोका जाए।

खीरी हिंसा केस में मंत्री के बेटे को जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत दे दी है। आशीष केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी फैसला किया कि वह लखीमपुर खीरी मुकदमे की निगरानी करेगा। ट्रायल कोर्ट से हर सुनवाई की तारीख के बाद रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आशीष मिश्रा सिर्फ निचली अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश जाएं, अन्यथा किसी अन्य मामलों में राज्य में प्रवेश न करें। बेंच ने उन्हें अपनी रिहाई के एक सप्ताह के भीतर राज्य (यूपी) छोड़ने का निर्देश दिया और उन्हें एनसीटी-दिल्ली में भी नहीं रहने के लिए कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु को आसान बनाया

लाइलाज बीमारियों से ग्रस्त लोग सम्मान से मर सकें, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने ‘लिविंग विल’ में मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी की शर्त हटाई है। गंभीर रूप से बीमार शख्स का लाइफ सपोर्ट हटाने या बनाए रखने के लिए अब मैजिस्ट्रेट की मंजूरी जरूरी नहीं होगी। कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में बदलाव किए हैं। परोक्ष इच्छामृत्यु मामले में जारी गाइडलाइंस में बदलाव कर सुप्रीम कोर्ट ने अब उन्हें ज्यादा व्यावहारिक बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मैजिस्ट्रेट के सामने लिविंग विल करने की प्रक्रिया की शर्त को हटा दिया है। कोर्ट ने कहा कि लिविंग विल गवाहों की मौजूदगी में तैयार लगी।

जजों को चुनाव में नहीं जाना होता है

सुप्रीम कोर्ट कलीजियम और कार्यपालिका विवाद के बीच कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, जजों को जनता की स्क्रूटनी का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि वे चुनाव नहीं लड़ते पर लोग नजर जरूर रखते हैं। वे किस तरह न्याय कर रहे हैं, उसके आधार पर जनता उनका आकलन करती है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार से सवाल करते हैं। लोग हमें दोबारा चुनते हैं तो हम सत्ता में लौटेंगे। नहीं तो विपक्ष में बैठेंगे। कोई जज बन जाता है तो उसे चुनावों का सामना नहीं करना पड़ता ।

हिजाब मामले पर जल्द सुनवाई करने को सुप्रीम कोर्ट राजी

हिजाब पर बैन मामले में अर्जेंट सुनवाई की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह जल्द लिस्टिंग पर विचार करेंगे। हिजाब मामले में चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच के सामने मामला उठाया गया था । इसमें कहा गया कि मामले की अर्जेंट सुनवाई की दरकार है क्योंकि एग्जाम होने वाले हैं और इसके लिए सरकारी कॉलेज में जाना जरूरी है जबकि सरकारी कॉलेज में हिजाव पर बैन है।

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