जब अमिताभ बच्चन ने कहा- विनोद खन्ना मुझसे आगे निकल गए

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

भारतीय सिनेमा के शानदार अभिनेता विनोद खन्ना (Vinod Khanna) को 27 अप्रैल को संसार से बिदा हुए सात बरस हो गए। लेकिन वह एक ऐसे अभिनेता और इंसान थे की उनकी याद 70 बरस बाद भी आती रहेगी। विनोद खन्ना (Vinod Khanna) का अभिनय ही नहीं व्यक्तित्व भी बेमिसाल था।

लेकिन ज़िंदगी के कुछ ही अंतिम महीनों में वह कैंसर के कारण इतने दुर्बल और असहाय से हो गए थे कि लगता ही नहीं था कि यह वही विनोद खन्ना (Vinod Khanna) हैं जिनके व्यक्तित्व का अंदाज देखते ही बनता था। इसलिए जब कुछ बेबसी की ऐसी ही हालत में विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने 27 अप्रैल 2017 को 71 बरस की उम्र में दुनिया से अलविदा कहा तो मन पसीज गया।

विनोद खन्ना (Vinod Khanna) से मेरी कई मुलाकातें हुईं। उन्हें कई बार इंटरव्यू किया। इसलिए उनकी बहुत सी यादें दिल में बसी हैं। विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने 1968 में फ़िल्मकर सुनील दत्त (Sunil Dutt) की फिल्म ‘मन का मीत’ से अपने फिल्म करियर की शुरुआत की थी। दत्त साहब से भी मेरे बरसों मधुर संबंध रहे। वह भी कभी विनोद खन्ना की कुछ पुरानी बातें बताते थे।

अभिनेता और तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री विनोद खन्ना के साथ उनकी पत्नी कविता, पत्रकार प्रदीप सरदाना और अभिनेत्री रवीना टंडन, अशोक होटल, नई दिल्ली में करीब 22 वर्ष पूर्व आयोजित एक समारोह के दौरान

सुनील दत्त (Sunil Dutt) को इस बात का श्रेय जाता ही है कि उन्होंने विनोद खन्ना (Vinod Khanna) जैसी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें मौका दिया। विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने एक बार मुझे बताया था –‘’मैं फिल्मों में हीरो बनने ही आया था। दत्त साहब ने मुझे हीरो के रूप में ही चुना। लेकिन बाद में कहानी में बदलाव करके मुझे हीरो की जगह विलेन का रोल दे दिया। इस पर मैंने दत्त साहब से कहा मैं यहाँ काम करने आया हूँ। मैंने खुद को आपके हवाले कर दिया है। आप जो ठीक समझें वह ठीक है।‘’

लेकिन ‘मन का मीत’ के बाद उन्हें नेगेटिव किरदार ज्यादा मिलने लगे। हालांकि उनकी सच्चा झूठा (Sachaa Jhutha), आन मिलो सजना (Aan Milo Sajna), पूरब और पश्चिम (Purab Aur Paschim) और मेरा गाँव मेरा देश (Mera Gaon Mera Desh) जैसी कई फिल्में सफल होती रहीं।

इसके बाद 1971 में विनोद खन्ना (Vinod Khanna) को हीरो के रूप में ‘मेरे अपने’(Mere Apne) और ‘’हम तुम और वो’ (Hum Tum Aur Woh) जैसी फिल्में मिलीं तो वह हीरो के रूप में भी हिट हो गए।

विनोद खन्ना ने 150 फिल्मों में किया काम

अपने 48 बरस के करियर में विनोद खन्ना (Vinod Khanna) ने करीब 150 फिल्मों में काम किया। कुछ सीरियल्स भी किए। फिल्मों में कई अन्य बड़े नायकों के साथ उनकी जोड़ी बनी। लेकिन सबसे ज्यादा फिल्में उन्होंने अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ कीं। जिसकी शुरुआत जब ‘रेशमा और शेरा’ (Reshma Aur Shera) से हुई, तब अमिताभ (Amitabh Bachchan) नहीं, विनोद खन्ना (Vinod Khanna) लोकप्रिय थे। लेकिन परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथनी, खून पसीना और हेरा फेरी जैसी कई फिल्मों ने इन दोनों को ही बड़ा स्टार बना दिया।

फिरोज खान और विनोद खन्ना दोनों ने 27 अप्रैल को ही ली अंतिम सांस

साथ ही राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और फिरोज खान (Feroz Khan) के साथ भी विनोद (Vinod Khanna) के काम को बहुत पसंद किया गया। फिरोज खान (Feroz Khan) से तो कुर्बानी (Qurbani) और दयावान (Dayavan) जैसी फिल्मों में साथ काम करने के कारण उनकी अच्छी दोस्ती थी। लेकिन इसे संयोग कहें या कुछ और कि राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और फिरोज खान (Feroz Khan) का निधन भी कैंसर से हुआ।

जबकि फिरोज खान (Feroz Khan) और विनोद खन्ना (Vinod Khanna) दोनों ने 27 अप्रैल को ही अंतिम सांस ली। फिरोज अपने दोस्त विनोद से 8 साल पहले 2009 में ही चले गए हे। जबकि राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) ने 18 जुलाई 2012 को इस दुनिया से रुखसत ली।

विनोद खन्ना (Vinod Khanna) की बड़ी बात यह भी रही कि वह सिनेमा के साथ राजनीति में भी सफल रहे। वह 1997 में भाजपा में आए। पंजाब के गुरदासपुर से वह चार बार सांसद रहे। साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की केंद्र सरकार में वह पर्यटन, संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री भी रहे। मरणोपरांत उन्हें 2018 में फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के से भी सम्मानित किया गया। बस दुख इस बात का रहेगा कि वह दुनिया से जल्दी चले गए।

जब अमिताभ ने कहा विनोद खन्ना मुझसे आगे निकल गए

यहाँ मैं अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ अपने उन व्यक्तिगत संस्मरणों को साझा करना चाहूँगा जिसमें उन्होंने विनोद खन्ना को लेकर मुझसे एक बेहद खास बात कही थी। बात वर्ष 2010 की है जब मुंबई में केबीसी (KBC) की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मेरी उनसे खास मुलाकात हुई।

उस समय मैंने उन्हें अपने अखबार ‘पुनर्वास’ (Punarvas) की वह प्रति भेंट की। जिसमें अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के तब फिल्मों में 40 बरस  पोरे होने पर मैंने एक कवर स्टोरी लिखी थी। यहाँ यह भी बता देना चाहता हूँ कि सन 1978 में, ‘पुनर्वास’ (Punarvas) का आरंभ भी मैंने उनके पिता और अपने गुरु तथा सुप्रसिद्द कवि-लेखक डॉ हरिवंश राय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan) के संरक्षण में किया था।

इस आवरण कथा में मैंने लिखा था कि अपने 40 बरस के करियर में अमिताभ (Amitabh Bachchan) ने सभी को पीछे  छोड़ा। अमिताभ (Amitabh Bachchan) ने जब यह पढ़ा तो मुसकुराते हुए बोले- आपने यह गलत लिखा है। मैंने सभी को कहाँ पीछे छोड़ा, कई लोग मुझसे आगे हैं।” मैंने कहा- यह तो आपकी शालीनता है। नहीं तो बताइये आज भला आपसे आगे कौन है ?

इस पर अमिताभ (Amitabh Bachchan) ने कहा- ”कई लोग हैं। विनोद खन्ना (Vinod Khanna) को ही लीजिये। वह केंद्र में मंत्री तक बन गए। वह ही मुझसे आगे निकल गए।”

मैंने कहा-मैं बात अभिनय और फिल्मों की कर रहा हूँ। जहां तक राजनीति की बात है तो आप भी लोकसभा सांसद बने। आपने राजनीति छोड़ दी नहीं तो आप भी देर सवेर मंत्री बन ही जाते।” मेरी यह बात सुन अमिताभ (Amitabh Bachchan) , मंद मंद मुस्कुराते हुए, मुझे देखने लगे।

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