शोवना नारायण और उनकी टोली ने खूब खेली होली, झुनझुनवाला फाउंडेशन कार्यक्रम में प्रभाकर नारायण के भजनों ने भी छू लिए दिल

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

शोवना नारायण (Shovana Narayan) देश की एक ऐसी कथक नृत्यांगना हैं जिनका नृत्य देखना सदा सुखद रहता है। ऐसी सुखद अनुभूति पिछले दिनों तब भी हुई जब दिल्ली में उनका और उनके शिष्यों की टोली का नृत्य देखने को मिला। मौका था ‘शीला-टीपी झुनझुनवाला फाउंडेशन’ (Shila-TP Jhunjhunwala Foundation) का वार्षिक कार्यक्रम। जिसका आयोजन वयोवृद्ध लेखिका-पत्रकार पदमश्री शीला झुनझुनवाला (Shila Jhunjhunwala) अपने पति टीपी झुनझुनवाला (TP Jhunjhunwala) की स्मृति में पिछले 34 बरसों से कर रही हैं।

टीपी झुनझुनवाला यूं तो देश के चर्चित आकार आयुक्त थे। लेकिन कला और समाजसेवा में भी वह पूरी तरह तल्लीन थे। कितने ही लोगों को उन्होंने हर संभव सहायता दी। उनके नाम का प्रभाव इतना था कि फिल्म उद्योग में राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद सहित कई फिल्म हस्तियाँ उनकी मुरीद थीं।

इस बार इस समारोह के दो आकर्षण थे। एक शोवना नारायण (Shovana Narayan) और समूह के नृत्य। दूसरा प्रभाकर नारायण पाठक (Prabhakar Narayan Pathak) के भजन। प्रभाकर नारायण ने ‘हे गोविंद हे गोपाल’ जैसे मधुर भजनों के बाद जब ‘उड़त अबीर गुलाल’ जैसे होली गीत गाये तो पूरा वातावरण होलीमय हो गया। प्रभाकर ने अपने कुछ ही भजनों से यह सिद्द कर दिया कि वह गीत-संगीत प्रतिभा के धनी हैं।

कार्यक्रम के मध्य में संस्था ने प्रसिद्द डॉ ओपी कालरा और जाने माने डॉ पवन गुरहा को अपने वार्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया। इन्हें ये पुरस्कार ‘अखंड भारत पुनर्निर्माण परिषद’ के केन्द्रीय संगठन महामंत्री और ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ से बरसों  से जुड़े डॉ ब्रिजेश कुंतल (Dr.Brijesh Kuntal) ने प्रदान किए। फाउंडेशन  से आरंभ से जुड़े डॉ यतीश  अग्रवाल भी इस मौके पर मौजूद थे।

कार्यक्रम के दौरान शीला झुनझुनवाला और प्रदीप सरदाना

शोवना नारायण ने मंच पर बांधा समां

इसके बाद शोवना नारायण (Shovana Narayan) मंच पर आयीं तो समा ही बंध गया। शोवना (Shovana Narayan) ने जहां ‘खेलो खेलो रसिया संग फाग’ और ‘का संग फाग खेले बृजमाही’ पर अपने नृत्य में भाव, मुद्रा और अभिनय के ऐसे रंग भरे कि लगा हम बृज में ही हैं।

उधर गुरु शोवना नारायण (Shovana Narayan) के शिष्य-शिष्याएँ भी उन्हीं के अंदाज़ में, एक के बाद एक अपनी खूबसूरत प्रस्तुति देते रहे। ‘ओ जारे ओ अनाड़ी, मत मारो पिचकारी’ और ‘मोरी अँखियाँ गुलाल कान्हा डाल गयो रे’ जैसे गीतों पर महिमा सतसंगी, पल्लवी लोहनी, रुचि आर्या, कोमल बिस्वाल, सुपर्णा सिंह, मयंक गंगानी, विशाल चौहान, अनिल कुमार खिंची, आशीष कथक और प्रवीण परिहार ने अपने नृत्य और अंदाज़ से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इन होली गीतों के साथ इनके नृत्य में बसंत भी आया और रामायण नाटिका भी। नृत्य और नाटिका में यूं तो सभी का काम अच्छा था। लेकिन जहां महिमा ने अपने प्रदर्शन से दिल मोह लिया। वहाँ पल्लवी और मयंक भी प्रभावशाली रहे। पूरी प्रस्तुति में शोवना नारायण (Shovana Narayan) की  परिकल्पना और निर्देशन इतना शानदार था कि कितने ही मनोहर  दृश्य आँखों में बस गए हैं ।

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