World Radio Day 2024: यह आकाशवाणी है…विश्व रेडियो दिवस पर विशेष

  • फरहत नाज़

समाचार वाचिका, आकाशवाणी

यह आकाशवाणी है। अब आप समाचार सुनिए…।

एक समय था जब रेडियो के ये शब्द जैसे ही सुनाई पड़ते थे तो सभी के कान चौकन्ने हो जाते थे। बुजुर्ग एक दूसरे को चुप होकर देश के हालात पर समाचार सुनने का इशारा करते थे तो सब शांत हो जाते थे। होली के सीजन में पहले से ही रेडियो पर गूँजते फगुवा गीतों की बहार अलग ही आनंद देती थी।

हर गांव-गली के चौपालों पर कृषि दर्शन, सैनिकों और किसान भाइयों के कार्यक्रम और रात में हवा महल का सभी को इंतजार रहता था। लेकिन अब  रेडियो का जमाना गुजरे लंबे समय की बात हो चुकी है, हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ ने  फिर से रेडियो में जान फूंकने का काम जरूर किया है।

यह मान्यता रही है कि रेडियो समाचारों की गुणवत्ता और तथ्य एकदम सटीक होते हैं। पुराने दिनों की यह बात दिलचस्प है कि शादी-ब्याह में भी रेडियो दहेज में दिया जाता था। जिसके घर रेडियो आता था, वह काफी प्रभावशाली माना जाता था। रेडियो हमेशा से ही लोगों का दोस्त रहा है। चाहे समय अच्छा हो या बुरा।

जब से प्रधानमंत्री का मन की बात कार्यक्रम शुरू हुआ ,रेडियो ने एक बार फिर लोकप्रिय हो गया  हैं। अब इस कार्यक्रम के 100 से अधिक एपिसोड आ चुके हैं फिर भी  कई लोग  इस बात से हैरान हैं कि प्रधानमंत्री ने मन की बात के लिए रेडियो को क्यों चुना। इसका कारण यह है कि रेडियो की व्यापक पहुंच है और यह दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचता है। रेडियो बरसों से घर-घर का हिस्सा रहा। एक समय में रेडियो ने लोगों की ज़िंदगी बदल थी थी।

इधर अब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी आकाशवाणी पर अपना कार्यक्रम शुरू कर लोगों तक रेडियो की पहुंच को और विकसित किया है। सरकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं लोगों पर आधारित यह कार्यक्रम -नई सोच नई कहानी में स्टार्ट-अप से जुड़ी महिलाएं और स्व-निर्मित व्यवसायी महिलाएं शामिल होती है, जो अपनी सफलता की कहानियां साझा करती है। यह शो खेल, स्वास्थ्य और वित्त जैसे विषयों पर केंद्रित है जिसका लक्ष्य विविध पृष्ठभूमि के लोगों से जुड़ना है।

आज पूरा देश विश्व रेडियो दिवस मना रहा है। 13 फरवरी वह तारीख थी जब 1946 में अमेरिका में पहली बार रेडियो ट्रांसमिशन से संदेश भेजा गया था और संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी। मानवता की सभी विविधताओं का जश्न मनाने के लिए रेडियो एक शक्तिशाली माध्यम है और लोकतांत्रिक विमर्श के लिए एक मंच का निर्माण करता है।

रेडियो के आविष्कारक मार्कोनी ने जब पहली बार इटली में 1895 में रेडियो सिग्नल भेजा और उसे सुना तो भविष्य का इतिहास वहीं अंकित हो गया था। इसके बाद निरंतर तरक्की होती रही।

ऐसे में रेडियों के बारे में बात करना और आकाशवाणी में काम करना अपने आप में गर्व की बात है।  रेडियो यानी आवाज की वो दुनिया, जिसमें बाते हैं, कहानियां, गीत-संगीत, नाटक, रूपक और बाल कार्यक्रम हैं। महिलाओं का कार्यक्रम, बुजुर्गों और युवाओं का कार्यक्रम है।

अब रेडियों के कार्यक्रम दूरदूर्शन ,यूट्यूब और कई सोशल मीडिया प्लैटफार्म पर आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं। आज आकाशवाणी की अपनी वेबसाइट है ,यूटूय़ूब चैनल है जिसमें हर कार्यक्रम,हर खबर मौजूद हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आवाज़ की ये दुनिया आगे भी ऐसे ही चलती रहे क्योंकि आज भी दूरदराज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो रेडियो ही सुनना पसंद करते हैं।

ये लेखक के निजी विचार हैं  

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