UCC बिल पास करने वाला उत्तराखंड बना देश का पहला राज्य, सीएम धामी बोले पीएम मोदी के सपने को पूरा करने की हमारी एक आहुती, जानिए इस बिल से अब क्या होंगे बदलाव

उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता-यूसीसी (UCC) विधेयक पारित कर दिया। इसके साथ ही उत्तराखंड यह विधेयक लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

विधानसभा में करीब दस घंटे तक चली चर्चा के बाद यह विधेयक पारित हुआ। सत्तापक्ष के विधायकों ने मेजें थपथपाकर  ‘भारत माता की जय, वंदे मातरम, जय श्रीराम’ के नारे लगाये।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पारित होने के बाद कहा “समान नागरिक संहिता का विधेयक आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है।”

पुष्कर सिंह धामी ने कहा “आखिर क्यों आजादी के बाद 60 सालों से अधिक समय तक राज करने वाले लोगों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के बारें में विचार तक नहीं किया। वे राष्ट्रनीति को भूलकर सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे।”

सीएम धामी ने यह भी कहा “हम सौभाग्यशाली हैं कि हम ऐसे महान नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पदचिन्हों पर चलने वाले लोग हैं। हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की मोदी जी की कार्य संस्कृति पर चलने वाले लोग हैं।”

UCC के लागू होने से अब क्या होगा

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा “UCC के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।”

पुष्कर सिंह धामी ने कहा “इस संहिता में विवाह की आयु जहां एक ओर सभी युवकों के लिए 21 वर्ष रखी गयी है, वहीं सभी युवतियों के लिए इसे 18 वर्ष निर्धारित किया गया है। ऐसा करके हम बच्चियों का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न रोक पाएंगे।”

सीएम धामी ने बताया अब इस कानून के ज़रिए दंपत्ति में से यदि कोई भी, बिना दूसरे की सहमति से अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से विवाह विच्छेद करने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।

उत्तराखंड के सीएम ने कहा “जिस प्रकार से अभी तक जन्म व मृत्यु का पंजीकरण होता था, उसी प्रकार की प्रक्रिया को अपनाकर विवाह और विवाह विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। हमारी सरकार के सरलीकरण के मंत्र के अनुरूप यह पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा”।

सीएम धामी ने कहा “अब समस्त सरकारी सुविधाओं का लाभ केवल वही दंपत्ति ले पाएंगे जिन्होंने विवाह का पंजीकरण करा लिया हो। पंजीकरण न होने की स्थिति में भी किसी विवाह को अवैध या अमान्य नहीं माना जाएगाी। ”

पुष्कर सिंह धामी ने कहा “यदि कोई व्यक्ति अपना पहला विवाह छुपाकर किसी महिला को धोखा देकर दूसरा विवाह करने का प्रयास करेगा तो उसका पता अब आसानी से लग सकेगा, ऐसा करने से हमारी माताओं-बहनों में एक सुरक्षा का भाव जागृत होगा। पति पत्नी के विवाह विच्छेद या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की अभिरक्षा (कस्टडी) उसकी माता के पास ही रहेगी।

संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और अब तक नाजायज कहे जाने वाले बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। अब सभी संतानों को समान मानते हुए संपत्ति के अधिकार में समानता दी गयी है।”

सीएम धामी ने कहा “UCC में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। लिव इन रिलेशनशिप में तब रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों”।

 

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