PM Modi के सम्बोधन का सम्मोहन, अमेरिकी यात्रा के बाद विश्व के सबसे लोकप्रिय और शक्तिशाली नेता बन गए हैं मोदी, जानिए कैसे

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की इस तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा ने भारत-अमेरिका रिश्तों (India-America Relations) में नया अध्याय जोड़ कर,स्वर्ण इतिहास रच दिया है। इस यात्रा में भारत (India) और अमेरिका (America) दोनों को कई बड़ी सौगात मिली ही हैं। साथ ही मोदी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का सपना भी सशक्त होकर साकार हुआ है। यह यात्रा पूरे विश्व के लिए एक नया दर्शन,एक नया संदेश है।

यूं उनकी हर यात्रा में उनके प्रति अमेरिका (America) की दीवानगी साफ दिखाई दी है। लेकिन इस बार तो उनका जादू था, जिसने अमेरिका को ही नहीं पूरे विश्व को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारत के लिए इससे बड़ा गौरव क्या हो सकता है कि अब हमारे पीएम मोदी (PM Modi) पूरी तरह शिखर के वैश्विक नेता बन गए हैं। ‘सुपर पावर’ के रूप में विख्यात अमेरिका (America) ने इससे पहले भारत के किसी पीएम को तो क्या विश्व के किसी नेता को भी इतना सम्मान नहीं दिया। जितना इस बार मोदी को दिया।

दिलचस्प यह है कि इधर देश में जब विपक्ष के अधिकांश नेता पटना में एकत्र होकर, 2024 में मोदी को हराने का जाल बुनने और स्वयं पीएम बनने के हसीन सपने देख रहे थे। लगभग उसी दौरान अमेरिका (America) की सड़क से संसद तक ‘मोदी मोदी’ के नारों से गूंज रही थी। जाहिर है इस सबसे विपक्ष की इस टोली की नींद उड़ गयी है। पाँव तले की ज़मीन खिसक गयी है।

यूं मोदी की इस यात्रा से ठीक पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अमेरिका जाकर एक बार फिर मोदी को जमकर कोसा। देश को बदनाम करने और मोदी के खिलाफ षड्यंत्र रचने का भरसक प्रयास किया। लेकिन ‘मोहब्बत की दुकान’ चलाने वाले राहुल की एक नहीं चली। दुनिया मंदबुद्धि नहीं वह अच्छे से समझती है कि सत्ता के लिए फड़फड़ाते राहुल और विपक्षी दल, मोहब्बत की दुकान में नफरत और सिर्फ नफरत बेचने में जुटे हैं। लेकिन उन्हें कहीं से भी ग्राहक नहीं मिल रहे।

मोदी की इस अत्यंत सफल यात्रा के बाद हर हिन्दुस्तानी गर्व से फूला नहीं समा रहा। लेकिन विपक्ष की इस टोली के चेहरे फूल गए हैं। अब कभी वह कहते हैं कि मोदी (Narendra Modi) को क्या नेहरू को तो अमेरिका में इससे ज्यादा सम्मान मिला था। ऐसा है तो उसके वीडियो साझा कीजिये ना ! यदि ऐसा है तो अमेरिका ने नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को कभी ‘राजकीय अतिथि’ के रूप में आमंत्रित क्यों नहीं किया ? सच तो यह है कि आज अमेरिका में ही नहीं लगभग पूरे विश्व में जो सम्मान मोदी को मिल रहा है वह अद्धभुत है।

मोदी की यह अमेरिका यात्रा एक नहीं कई कारणों से अविस्मरणीय बन गयी है। एक तो यह कि मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित किया। फिर 22 जून को अपने सम्बोधन में मोदी ने जो इतिहास रचा,वह गज़ब था। मोदी के 58 मिनट के उस सम्बोधन में अमेरिकी सांसदों ने 80 बार तालियाँ बजाकर तो एक नया आयाम बनाया ही। फिर इस दौरान वहाँ के सांसदों ने 15 बार खड़े होकर जिस तरह मोदी का अभिनंदन किया। जिस तरह मोदी मोदी के नारों से वहाँ की संसद गूंजती रही,रीगन सभागार गूँजता रहा। वह सब दर्शाता है कि मोदी के सम्बोधन में सम्मोहन की वह शक्ति है जो आज विश्व के किसी भी अन्य नेता के पास नहीं। इस दौरान वहाँ के सांसद ही नहीं स्पीकर भी,जिस तरह मोदी के साथ सेल्फी लेने,फोटो खिंचाने और उनका ऑटोग्राफ लेने के लिए उत्साहित दिखे,वह सब दर्शाता है कि आज मोदी क्या हैं,उनका सम्मोहन क्या है।

मोदी अपनी कूटनीति, दूरदृष्टि, बुद्धिमता और सहजता से विश्व राजनीति की आज मजबूत धुरी बन गए हैं। एक ऐसी धुरी कि विश्व चक्र अब भारत के बिना रफ्तार नहीं पकड़ सकता। इससे मोदी विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता होने के साथ सर्वशक्तिशाली नेता भी बन गए हैं। इस बात का प्रमाण इससे भी मिलता है कि मोदी ने अपने इस यात्रा में अमेरिका से उन बातों पर भी सहमति करा ली जो अकल्पनीय थीं। जैसे 9/11 के बाद अमेरिका ने एच वन बी वीजा नवीनीकरण के लिए ऐसे सख्त नियम बना दिये थे जिससे वहाँ जाकर काम करने वाले सदा एक बोझ और डर के साथ रहते थे। लेकिन अब इस वीजा के अमेरिका में रहते हुए ही नवीनीकरण की सहमति से करोड़ों प्रवासियों को बड़ी राहत दे दी है।

निवेश,रक्षा,तकनीक,रोजगार और आतंकवाद सहित कितने ही मुद्दों पर ऐसे ऐसे समझोते हुए हैं जो भारत-अमेरिका ही नहीं संसार की तस्वीर बदल देंगे। इससे चीन का सुपर पावर बनने का सपना तो चूर चूर होगा ही। उसकी चाल बाजियों भी रुकेंगी। जबकि भारत अब और सशक्त होकर सर्वशक्तिशाली बनने के मार्ग पर तीव्रता से कदम भर चुका है।

असल में मोदी की इस अमेरिका यात्रा का करिश्मा पूरे विश्व ने देख लिया है। जो मोदी 1994 में अमेरिका के व्हाइट हाउस के द्वार पर खड़े हो उसे बाहर से देख रहे थे। बाद में जिस अमेरिका ने मोदी को वीजा देने से साफ इंकार कर दिया था। अब वही व्हाइट हाउस ही नहीं पूरा अमेरिका उनके स्वागत में पलक पांवड़े बिछाये बैठा था।

हालांकि पीएम बनने के बाद मोदी अमेरिका की 6 यात्राएं पहले भी कर चुके हैं। लेकिन उनकी यह अमेरिकी यात्रा पूर्व यात्राओं से अलग इसलिए भी थी कि यह पीएम मोदी की पहली राजकीय यात्रा थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन और अमेरिका की पहली महिला होने के नाते उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने मोदी को राजकीय अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था। इससे यह सम्मान पाने वालों में मोदी विश्व के तीसरे नेता बन गए हैं, जिन्हें बाइडेन ने राजकीय अतिथि के रूप में बुलाया। मोदी से पूर्व बाइडेन के कार्यकाल में फ्रांस के राष्ट्रपति मेक्रो और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल यह सम्मान पा चुके हैं।

हालांकि मोदी के इस राजकीय दौरे पर व्हाइट हाउस (White House) सहित पूरे अमेरिका में जो उत्साह इस बार देखा गया, वैसा उत्साह फ्रांस और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के समय नहीं था। मोदी को दिये रात्रि भोज में शाकाहारी भोजन होने के बावजूद अमेरिका की बड़ी बड़ी हस्तियाँ उमड़ पड़ी थीं। मोदी और भारत के लिए यह निश्चय ही बड़ा गौरव था कि रात्रि भोज समारोह में व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में, खाने की मेज़ें हमारे तिरंगे के रंगों से सजी थीं। जहां मेज़ पर सफ़ेद रंग की चादर थी वहाँ केसरिया, सफेद और हरे रंगों के फूलों से मेज महक रही थीं।

इस रात्रि भोजन के खान पान से लेकर वहाँ के साज सज्जा और संगीत आदि की तमाम व्यवस्था स्वयं जिल बाइडेन ने व्यक्तिगत रूप से देखीं। इस अवसर पर भारत के मुकेश अंबानी, नीता अंबानी और आनंद महेन्द्रा सहित सुंदर पेचई, सत्या नड़ेला और इंदिरा नुई जैसी कितनी ही हस्तियाँ शामिल थीं।

शराब ना पीने वाले और शाकाहारी भोजन करने वाले और उसमें भी खिचड़ी और मोटे अनाज के व्यंजनों के शौकीन नरेन्द्र मोदी ने इस रात्रि भोज को खास बनाया ही। साथ ही 2014 के बराक ओबामा के समय के उस डिनर की याद भी ताजा करा दी जब बाइडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे। मोदी ने स्वयं ही उस समय की घटना बताई कि तब उनके नवरात्रि के 9 दिन के उपवास थे। यह देख बाइडेन आश्चर्य कर रहे थे कि मोदी क्या कुछ भी नहीं खाएँगे। अमेरिकी की तरफ से मोदी के सम्मान में वह पहला भोज था। लेकिन जिनके सम्मान में भोज है वह मोदी सिर्फ नींबू पानी ले रहे थे। लेकिन बाइडेन की तब की चिंता इस बार दूर हुई। जब मोदी उनके व्यक्तिगत मेहमान बने और उन्हें उनकी पसंद का मोटे अनाज वाला विशुद्ध शाकाहारी भोजन करा सके। लेकिन इस सबसे हमारे विपक्ष की चिंता बढ़ गयी हैं। जबकि पूरा देश इस बात से  अभिभूत है कि विश्व का सबसे बड़ा, सबसे लोकप्रिय और सबसे शक्तिशाली नेता आज भारत का प्रधानमंत्री है।

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