Republic Day Parade 2024: गणतंत्र दिवस परेड में महिलाओं का बोलबाला, 100 महिलाएं वाद्ययंत्र बजाते हुए करेंगी परेड का आगाज, 1500 महिलाओं के नृत्य से थिरकेगा कर्तव्य पथ

Edited By- Pradeep Sardana

इस बार 75 वें गणतंत्र दिवस की झांकी बेहद खास, दिलचस्प और नए ढंग से होने जा रही है। 26 जनवरी को  गणतन्त्र दिवस परेड की शुरुआत इस बार जहां सैन्य बैंड की जगह महिला कलाकारों के वाद्ययंत्रों के वादन से होगी। वहाँ देश के 30 राज्यों की 1500 नृत्यांगना के नृत्य से कर्तव्य पथ गूंज उठेगा। साथ ही वहाँ आयोजित साड़ियों की विशाल प्रदर्शनी में 150 वर्ष पुरानी साड़ी का विशेष प्रदर्शन भी सभी का आकर्षण बनेगा।

गणतन्त्र दिवस की इस वर्ष की परेड और झांकियों को लेकर संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में मंगलवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया। जिसमें  केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन, केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदुरी, केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद साराभाई, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा और केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अपर महानिदेशक (मीडिया एवं संचार) बीना यादव मौजूद थीं।

मीनाक्षी लेखी ने बताया कि ‘विकसित भारत’ और ‘भारतः लोकतंत्र की जननी’ थीम पर होने वाली परेड का आगाज पहली बार 100 महिला कलाकार अपने-अपने राज्यों की वेषभूषा के साथ शंख, नगाड़ा और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्रों को बजाते हुए करेंगी। इसके साथ पहली बार 30 राज्यों की 1,500 महिला कलाकार लोकनृत्य और शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत करेंगी। इसके साथ कर्तव्य पथ पर ‘अनंत सूत्र’ प्रदर्शनी के अंतर्गत सभी राज्यों की करीब 1,900 साड़ियां प्रदर्शित की जाएंगी।

 

उधर गोविंद मोहन ने कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह सप्ताह के दौरान विविध प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जो नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ से लेकर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी तक चलेंगे। उन्होंने कहा, इस वर्ष हम जो कर रहे हैं, उसमें गणतंत्र दिवस और गणतंत्र सप्ताह की सामान्य परम्परा के साथ सांस्कृतिक तत्वों को और अधिक मजबूती से शामिल किया गया है। सामान्य परम्पराओं में  देश की सैन्य क्षमताओं का प्रदर्शन तो है ही,  साथ ही, हमने अब इस महान और विविधतापूर्ण देश की संस्कृति को अधिक से अधिक प्रदर्शित करना शुरू कर दिया है। इसलिए, इस बार प्रदर्शन बड़े पैमाने पर होंगे। देश की कला व संस्कृति को प्रदर्शित करने के तरीकों में भी और अधिक विविधता होगी।

अमिता प्रसाद ने बताया कि 75वें गणतंत्र दिवस की शुरुआत पराक्रम दिवस से हुई। लाल किले परिसर से इसका शुभारम्भ 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। लाल किला परिसर में सात दिनों तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। नेता जी की यादें लाल किले से जुड़ी रहीं, इसलिए इस स्थान का चयन किया गया है। यहां ललित कला अकादमी, राष्ट्रीय अभिलेखागार और साहित्य अकादेमी द्वारा विभिन्न प्रदर्शनी लगाई जा रही हैं। सुभाष चंद्र बोस नेता के जीवन से जुड़े पत्र, पुस्तकें, ऑडियो भाषण आदि मुख्य दस्तावेज रखे गए हैं। वहीं, रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक भी यहां मौजूद रहेंगे। इसके साथ 270 डिग्री का थियेटर बनाया गया है, जहां उनके जीवन पर वीडियो भी देखा जा सकता है। इसकी पटकथा  अतुल तिवारी ने लिखी है। 31 जनवरी तक यहां कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

कर्तव्य पथ की प्रदर्शनी में दिखेगी 150 साल पुरानी साड़ी

अमिता प्रसाद ने यह भी बताया कि इस बार कर्तव्य पथ पर ‘अनंत सूत्र’ एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इसकी नोडल एजेंसी इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र है। कर्तव्यपथ के दोनों ओर इस प्रदर्शनी को लगाया जा रहा है। हम ‘अनंत सूत्र’ के माध्यम से नारी शक्ति को प्रणाम कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि एक ‘क्यूआर कोड’ दिया गया है। इसे स्कैन करते ही इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की वेबसाइट पर सीधे पहुंचकर साड़ी की जानकारी मिल जाएगी। 150 साल पुरानी एक साड़ी भी प्रदर्शित की जाएगी, जो कश्मीर और पंजाब की कोटा पंथी कला को दर्शा रही है।

संगीत नाटक अकादमी की सचिव डॉ. संध्या पुरेचा ने बताया कि 26 जनवरी परेड की शुरुआत हमेशा सैन्य बैंड के साथ की जाती है, लेकिन इस बार महिला कलाकार पारम्परिक वाद्ययंत्रों के साथ परेड का आगाज करेंगी। पिछले एक महीने से ये महिला कलाकार नृत्य प्रस्तुति का अभ्यास कर रही हैं।

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डा. सच्चिदानंद जोशी  के अनुसार  इस बार संस्कृति मंत्रालय की झांकी की थीम ‘लोकतंत्र की जननी’ है। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने विगत वर्षों में लोकतंत्र की जननी पर काफी शोध किया गया है। इसका प्रमाण नए संसद भवन के कला कार्य से मिलता है। झांकी के पहले हिस्से  में वैदिक काल या उसके भी पहले लोकतांत्रिक परम्पराओं के अनुसरण को  दिखाया जाएगा। इसमें जूनागढ़ के अशोक के शिलालेख की प्रतिकृति भी लगाई है। जबकि दूसरे हिस्से में हमने एक आकृति प्रस्तुत की है, उसमें हमारे संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबासाहब अम्बेडकर हमारे संविधान को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंप रहे हैं।

डा. सच्चिदानंद जोशी ने यह भी बताया कि अब हम भारतीय गणतंत्र के 75वें वर्ष को मना रहे हैं, इसलिए यह सामयिक है कि हम उस ऐतिहासिक अवसर को सबके सामने पुनर्जीवित करने का प्रयास करें। उसके पीछे हमारी एक बहुत ही विशेष प्रस्तुति है, जो कि संभवतः पहली बार कर्तव्य पथ पर दिखाई जा रही है। हमने ‘एनामॉर्फिक कंटेंट’, जो थ्री-डी डिजिटल तकनीक का एडवांस स्वरूप है, उसके माध्यम से हम कुछ और चीजों को भी लोकतंत्र की जननी के रूप में दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की यात्रा को दिखाया गया है कि कैसे लोकतंत्र की यात्रा बैलेट से चलकर चुनाव ईवीएम तक आ पहुंची है।

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