राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया राष्‍ट्र को संबोधित, कहा भारत सभी मोर्चों पर अच्‍छी प्रगति कर रहा है, जी-20, चंद्रयान 3, जीडीपी, से लेकर जलवायु परिवर्तन पर रखें अपने विचार

राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि राष्ट्र सभी मोर्चों पर अच्‍छी प्रगति कर रहा है। स्‍वाधीनता दिवस की पूर्व संध्‍या पर सोमवार को राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा कि पिछले एक दशक में देश में उच्‍च जी.डी.पी. वृद्धि दर दर्ज की गई, मुद्रास्‍फीति पर नियंत्रण रखा गया और बड़ी संख्‍या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था न केवल कोविड-19 महामारी के मुश्किल दौर में समर्थ सिद्ध हुई बल्कि यह अन्‍य देशों के लिए भी आशा का स्रोत बनी है। वैश्विक आर्थिक वृद्धि के लिए दुनिया भारत को देख रही है। राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर मुद्रास्फीति चिंता का विषय बनी हुई है, लेकिन भारत में सरकार और रिजर्व बैंक ने इस पर नियंत्रण रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों को और व्यापक सुरक्षा कवच देने के साथ उच्च मुद्रास्फीति से आम लोगों को बचाने में सफल रही है। उन्होंने बताया कि जनजातीय लोगों की स्थिति में सुधार लाने और प्रगति की यात्रा में उन्हें साथ लेकर चलने को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत दुनिया भर में विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्‍होंने कहा कि भारत ने विश्व मंच पर न केवल अपना यथोचित स्‍थान बनाया है, बल्कि अंतर्राष्‍ट्रीय व्यवस्था में भी अपनी प्रतिष्ठा को बढाया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने के लिए भारत की जी-20 की अध्यक्षता एक अद्वितीय अवसर है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वैश्विक मुद्दों से निपटने में भारत के प्रभावी नेतृत्व के साथ जी-20 के सदस्य देश आर्थिक तथा मानव विकास मोर्चो पर उपयोगी कार्रवाई को आगे बढायेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को दूरदर्शी नीति बताते हुए राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि इसका उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल के साथ जोडना है। इससे आने वाले वर्षों में शिक्षा क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे, जिससे देश में बडा बदलाव दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि राष्‍ट्र की आर्थिक प्रगति लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी के सपनों से संचालित होती है। स्‍टार्टअप्‍स से लेकर खेलों तक भारतीय युवाओं ने उत्‍कृष्‍टता के नये आसमानों की उड़ान भरी है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-3 मिशन की सराहना करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि चंद्रमा पर पहुंचने का यह मिशन देश के भावी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है क्योंकि देश को और आगे बढना है। उन्होंने देश को नई उपलब्धियां दिलाने के लिए वैज्ञानिकों और तकनीकिविदों की भूमिका की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि सरकार अगले पांच वर्षों में पचास हजार करोड़ रुपये की राशि के साथ अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान स्थापित कर रही है। इसका उद्देश्य देश में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता को बल देना है।

अपने संबोधन में राष्‍ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन के कारण उत्‍पन्‍न चुनौतियों का भी उल्‍लेख किया है। उन्‍होंने विश्‍व के वैज्ञानिकों तथा नीति निर्माताओं से इस मुद्दे पर और अधिक तत्‍परता से ध्‍यान देने को कहा। उन्‍होंने कहा कि देश के कुछ भागों को असाधारण बाढ का सामना करना पडा है तथा कुछ स्‍थान सूखे की मार झेलते हैं। उन्‍होंने कहा कि इन सब का एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग भी है। उन्होंने पर्यावरण के लिए स्‍थानीय, राष्‍ट्रीय तथा वैश्विक स्‍तर पर प्रयास करने की जरूरत पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है और देश, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता दिवस देशवासियों को यह स्मरण दिलाता है कि वे केवल एक व्‍यक्ति नहीं, बल्कि लोगों के महान जन-समुदाय और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्‍सा हैं। उन्होंने कहा कि जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा लोगों की कई पहचान हैं, लेकिन एक पहचान जो सबसे ऊपर है वह भारत का नागरिक होना। उन्‍होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी देश में जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं, लेकिन लम्‍बे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन्हें समाप्त कर दिया।

राष्‍ट्रपति ने महान स्वाधीनता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके प्रयासों से भारत को देशों की सूची में यथोचित स्‍थान प्राप्‍त हुआ।उन्‍होंने कहा कि महात्‍मा गांधी तथा अनेक असाधारण दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्‍व में हमारा राष्‍ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से प्रेरित था। उन्‍होंने मातंगिनी हाजरा, कनकलता बरुआ, सरोजिनी‍ नायडु, अम्‍मू स्‍वामिनाथन, अरुणा आसफ अली तथा सुचेता कृपलानी सहित महिला विभूतियों के योगदान का भी स्‍मृण किया। उन्‍होंने कहा कि महिला विभूतियों ने भावी महिला पीढियों के लिए आत्‍मविश्‍वास के साथ राष्‍ट्र और समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्‍तुत किये हैं। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है। उन्‍होंने लोगों से महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

अमृतकाल के बारे में राष्‍ट्रपति ने कहा कि देश ने नये संकल्‍पों के साथ अमृतकाल में प्रवेश किया है और लोग वर्ष 2047 तक भारत को समावेशी तथा विकसित राष्‍ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ रहे हैं। उन्‍होंने लोगों से व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर आगे बढ़ने के लिए संवैधानिक मूल-कर्तव्य को निभाने का संकल्प  लेने को कहा ताकि देश निरंतर उन्नति करते हुए कर्मठता तथा उपलब्धियों की नई ऊंचाइयां हासिल करे।

 

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