राजेश खन्ना को नेपाली कहते नहीं थकते थे लोग, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ कि लाखों लड़कियां उनकी दीवानी हो उठीं

– प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

संस्थापक संपादक- punarvasonline.com

जब राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) ने 1966 में फिल्म ‘आखिरी खत’ और ‘राज’ से फिल्मों में पहला कदम रखा तो लोग उन्हें नेपाली कहते नहीं थकते थे। हालांकि 1965 में फिल्मफेयर और यूनाईटिड प्रोडयूसर द्वारा आयोजित एक बड़े टेलेंट हंट के माध्यम से राजेश खन्ना फिल्मों में पहुंचे थे। वह टेलेंट हंट कितना बड़ा था उसका अंदाज़ इस बात से भी लगता है कि उसमें लगभग 10 हजार प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया था।

आज 18 जुलाई को राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की 11 वीं पुण्यतिथि पर उनकी बहुत सी बातें याद आ रही हैं। लेकिन मैं आपसे आज उस बात को साझा करना चाहूंगा कि क्या कारण था, जिससे लड़कियां यकायक राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की जबरदस्त दीवानी हो गई।

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को सबसे पहले जीपी सिप्पी (G.P. Sippy) ने अपनी फिल्म ‘राज‘ (Raaz) में लिया था। लेकिन उससे पहले उनकी दूसरी फिल्म चेतन आनंद की ‘आखिरी खत‘ रिलीज हो गई। लेकिन राजेश खन्ना के गोरे रंग, दबी नाक और उनके पुराने हेयर स्टाइल को देख, शुरुआती फिल्मों की शूटिंग के दौरान बहुत लोग उन्हें नेपाली कहने लगे थे।

इस बात की पुष्टी कुछ समय पहले दिग्गज अभिनेत्री सुलोचना (Sulochana) ने भी की थी। जो राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के साथ फिल्म ‘बहारों के सपने’ में काम कर रही थीं। नासिर हुसैन की इस फिल्म में आशा पारेख (Asha Parekh) उनकी नायिका थीं। सुलोचना जी कहती थीं -राजेश खन्ना को देख बहुत से लोग कहते थे कि पता नहीं इसे कहाँ से पकड़ लाये। यह तो नेपाली लगता है। यह नेपाली फिल्मों में तो हीरो बन सकता है। हिन्दी फिल्मों में यह चलने वाला नहीं। लेकिन मैं कहती थी देखना एक दिन यह एक बड़ा हीरो बनेगा।‘’

हालांकि बॉक्स ऑफिस पर राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की शुरुआती फिल्में बुरी नहीं रहीं। राज, आखिरी खत और बहारों के सपने ने ठीक ठाक बिजनेस किया। लेकिन राजेश खन्ना की किस्मत बदली 1969 में आई फिल्म ‘आराधना’ (Aradhana) से। शक्ति सामंत (Shakti Samanta) की फिल्म ‘आराधना’ (Aradhana) में राजेश की दोहरी भूमिका थी। फिल्म की नायिका शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) थीं।

शर्मिला तब तक अपनी ‘कश्मीर की कली’, ‘वक्त’, ‘अनुपमा’ और ‘एन एवनिंग इन पेरिस’ जैसी फिल्मों से लाखों दिलों की धड़कन और बड़ी स्टार बन चुकी थीं। लेकिन इस फिल्म में दोनों की जोड़ी खूब जमी। शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) की तो इस फिल्म से लोकप्रियता और बढ़ी ही। साथ ही ‘आराधना’ (Aradhana) के रिलीज के चंद दिन बाद ही राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का जादू ऐसा चला कि सभी दंग रह गए। अपने अभिनय और अंदाज़ से उन्होंने लोकप्रियता का इतिहास बदल दिया। उनसे पहले फिल्मों में बड़े हीरो स्टार कहलाते थे। लेकिन राजेश खन्ना ‘आराधना’ (Aradhana) के बाद देश के पहले सुपर स्टार बन गए।

‘मेरे सपनों की रानी’ से हुईं लड़कियां दीवानी

‘आराधना’ (Aradhana) में सोने पे सुहागा का काम किया इस फिल्म के गीत –मेरे सपनों की रानी ने’। यूं तो फिल्म में एस डी बर्मन (S.D. Burman) के संगीत में आनंद बक्शी के लिखे सभी गीत लोकप्रिय हुए। चाहे- रूप तेरा मस्ताना, गुन गुना रहे हैं भँवरे, चंदा है तू मेरा सूरज है तू, हो या फिर- बागों में बहार है और सफल होगी तेरी आराधना (Aradhana)। लेकिन ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ उस समय मेरे जैसे लाखों किशोर और युवाओं का ही नहीं लाखों युवतियों का भी बेहद पसंदीदा गीत बन गया। दार्जिलिंग के क्षेत्र में रेल और सड़क दोनों रास्तों पर एक साथ फिल्माया गया यह गीत सभी के मन में इतनी उमंग और तरंग भर गया कि आज तक इस गीत की मस्ती और जादू बरकरार है।

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) अपने दोस्त अभिनेता सुजीत कुमार (Sujit Kumar) के साथ खुली जीप में गीत  गाते सड़क मार्ग से आगे बढ़ रहे हैं। उधर पटरी पर दौड़ती ट्रेन की कोच में खिड़की के साथ बैठी, उर्वशी सी शर्मिला, इस गीत गाते युवा को निहारते -मुस्कुराते अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही हैं। जबकि हकीकत में ये ही एक दूसरे की मंज़िल हैं। इस गीत में शर्मिला का उपन्यास पढ़ते-पढ़ते बीच-बीच में राजेश खन्ना को शरारती नज़रों से देखना और उधर जीप चलाते हुए सुजीत कुमार का माउथ ऑर्गन बजाना इस गीत को ही नहीं, पूरे परिदृश्य को और भी खूबसूरत बना देता है। मुस्कुराती हुई शर्मिला के गालों के खूबसूरत डिम्पल तो इस गीत में रोमांस के कितने ही रंग भर देते हैं।

युवा इस गीत से अपनी अपनी सपनों की रानी को तलाशने लगे तो असंख्य युवतियां, राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की रानी बनने को मचलने लगीं। इसलिए इस गीत के बाद राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को अनेक लड़कियां दीवानगी की हद तक प्यार करने लगीं। वो ‘नेपाली’ देखते ही देखते लाखों लड़कियों के रुपहले सपनों का राज कुमार बन गया।

राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) से पहले और भी कुछ नायक लड़कियों में अच्छे खासे लोकप्रिय थे। लेकिन लड़कियों का तब राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के प्रति जो दीवानापन दिखा वैसा किसी और नायक के प्रति ना पहले कभी था, ना वैसा उसके बाद फिर कभी दिखा। चाहे बाद में अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), शाहरुख खान (Shahrukh Khan) और ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) तक कुछ और सितारे भी लड़कियों में लोकप्रिय होते रहे। लेकिन राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) जैसा अपार प्रेम महिलाओं ने अभी तक फिर किसी हीरो को नहीं दिया।

रीना रॉय भी खड़ी रहती थीं खन्ना के बंगले के बाहर

कितनी ही लड़कियां तब अपने शरीर के विभिन्न हिस्सों पर राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) का नाम गुदवा लेती थीं। कितनी ही लड़कियां राजेश खन्ना की एक झलक पाने के लिए मुंबई में उनके बंगले के बाहर घंटों खड़ी रहती थीं। जिनमें वह रीना रॉय (Reena Roy) भी थीं, जो बाद में खुद एक लोकप्रिय अभिनेत्री बनीं और राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की  नायिका भी। सिर्फ इतना ही नहीं राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की लोकप्रियता का आलम तो यह था कि उनके बंगले के बाहर खड़ी उनकी सफ़ेद रंग की इम्पाला कार को ही लड़कियां चूम- चूम कर अपनी लिपस्टिक के रंगों से रंग देती थीं।

 

 

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