मन की बात: देश 26 नवंबर को कभी नहीं भूल सकता, मुंबई आतंकी हमलों से लेकर संविधान दिवस और वोकल फॉर लोकल तक के विषयों पर बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जो 26 नवंबर 2011 के मुंबई आतंकी हमलों में वीरगति को प्राप्त हुए थे। अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा कि देश 26 नवंबर को कभी नहीं भूल सकता क्योंकि उस दिन राष्ट्र पर सर्वाधिक खतरनाक आतंकी हमला हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत का सौभाग्य है कि अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि देशवासी उन वीरों को याद करते हैं जिन्होंने आतंकी हमले के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि 26 नवम्बर का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि 1949 में इसी तिथि को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। उन्होंने कहा कि 2015 में बाबा साहेब आम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर सरकार ने 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। उन्होंने संविधान दिवस के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्र एकजुट होकर नागरिकों के कर्तव्यों को प्राथमिकता देते हुए निश्चित रूप से विकसित भारत का प्रण पूरा करेगा।
संविधान दिवस के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि संविधान को बनाने में दो वर्ष ग्यारह महीने और अट्ठारह दिन का समय लगा था। संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य सच्चिदानंद सिन्हा थे। 60 देशों के संविधानों का अध्ययन करने के बाद भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि मसौदा तैयार होने के बाद उसमें दो हजार संशोधन किये गये जिसके उपरांत संविधान की अंतिम संरचना तैयार हुई। उन्होंने कहा कि संविधान 1950 में लागू हुआ जिसे अब तक कुल 106 बार संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि समय, परिस्थितियों और देश की आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न सरकारों ने समय-समय पर संविधान में संशोधन किये।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि संविधान के प्रथम संशोधन में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार कम कर दिये गये। उन्होंने कहा कि 44वें संशोधन के जरिये आपातकाल की उस गल्ती को ठीक कर दिया गया।
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान सभा के सदस्यों में 15 महिलाओं को मनोनीत किया जाना प्रेरणादायक था। उन्होंने कहा कि हंसा मेहता भी संविधान सभा की सदस्य थी जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों और न्याय के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि उस दौरान भारत दुनिया के उन गिने चुने देशों में से एक था जहां संविधान में महिलाओं को मताधिकार दिया गया था।
नरेन्द्र मोदी ने संतोष व्यक्त किया कि संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि के अनुरूप संसद में अब नारी शक्ति वंदन विधेयक पारी किया गया है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम विकसित भारत के संकल्प को गति देने में सहायक होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के विभिन्न नृत्य हमारी विरासत है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड, ओडीसा और बंगाल में छऊ नृत्य अत्यधिक प्रसिद्ध है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ 15 से 17 नवम्बर तक श्रीनगर में छऊ पर्व का आयोजन किया गया। श्रीनगर के युवाओं को छऊ नृत्य सिखाने लिए कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू से 150 किलोमीटर दूर कठुआ जिले में कुछ सप्ताह पहले बसोहली उत्सव आयोजित किया गया। इस उत्सव में स्थानीय कला लोकनृत्य और पारम्परिक रामलीला का आयोजन हुआ। श्री मोदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति की सुन्दरता को सउदी अरब में भी अनुभव किया गया। इसी महीने सउदी अरब में संस्कृत उत्सव आयोजित किया गया। यह अनूठा कार्यक्रम पूरी तरह संस्कृत में था।
पीएम ने कहा कि स्वच्छता अभियान अब पूरे देश का प्रिय विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान ने साफ-सफाई और सर्वजनिक स्वच्छता के बारे में लोगों की सोच बदल दी है। उन्होंने कहा कि यह पहल अब राष्ट्रीय भवना का प्रतीक बन चुकी है और इसने करोडों देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाया है।
श्री मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान ने अलग-अलग क्षेत्र के लोगों- विशेषकर युवाओं को सामूहिक भागीदारी के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने युवाओं की टीम भावना का उदाहरण दिया जिन्होंने प्रोजेक्ट सूरत की शुरूआत की और सूरत को मॉडल शहर बनाने तथा साफ-सफाई और टिकाऊ विकास का उदाहरण बनाने का संकल्प लिया। इस प्रयास के तहत सूरत के युवाओं ने सार्वजनिक स्थानों और डुमास बीच की सफाई से शुरुआत की बाद में यह टीम तापी नदी के किनारों की सफाई में जी-जान से जुटी और देखते ही देखते इस टीम ने लाखों किलो कचरा हटाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि जमीनी स्तर पर किये गये ऐसे प्रयास बहुत बडा बदलाव लाते हैं।
प्रधानमंत्री ने गुजरात का एक और उदाहरण दिया। कुछ सप्ताह पहले अम्बाजी में भादरवी पूनम मेले को आयोजन किया गया था जिसमें पचास लाख से ज्यादा लोग आये। यह मेला प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मेले की सबसे खास बात ये रही कि लोगों ने गब्बर हिल के बडे हिस्से में सफाई अभियान चलाया। उन्होंने कहा कि मंदिरों के आस-पास पूरे क्षेत्र को स्वच्छ रखने का यह अभियान बहुत प्रेरणादायी है।
प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के कोयम्बटूर निवासी लोगानाथन का उदाहरण दिया। उन्होंने गरीब बच्चों की मदद का प्रण लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा दान देना शुरू कर दिया। जब लोगानाथन को पैसे की कमी हुई तो उन्होंने इन बच्चों की सहायता के लिए शौचालय तक साफ किये। प्रधानमंत्री ने पिछले पच्चीस वर्ष से पूरे समर्पण के साथ गरीब बच्चों की मदद के प्रयास में जुटे लोगानाथन की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोगानाथन एक हजार पांच सौ से अधिक बच्चों की सहायता कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल सुरक्षा 21वीं सदी की बहुत बडी चुनौतियों में से एक है। जल संरक्षण पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक जिले में अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि अमृत महोत्सव के दौरान भारत में 65 हजार से अधिक अमृत सरोवर बनाये गये जो आने वाली पीढियों को लाभ देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां-जहां अमृत सरोवर बने हैं उनकी निरंतर देखभाल करना और उन्हें जल संरक्षण का प्रमुख स्रोत बनाये रखना हम सबका दायित्व है।
‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात के अमरेली में जल उत्सव का आयोजन चर्चा का केन्द्र रहा। जल उत्सव के दौरान लोगों को जल संरक्षण और झीलों के संरक्षण में बारे में जागरूक करने का प्रयास किया गया। इस दौरान जलीय खेलों को बढावा दिया गया और जल सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई। इस प्रयास में शामिल सभी लोगों को बधाई दी और जल संरक्षण के लिए ऐसे कार्य करने की शुभकामनाएं दी।
प्रधानमंत्री ने कौशल विकास के महत्व पर बल देते हुए आन्ध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम की संस्था बेल्जीपुरम यूथ क्लब का उदाहरण दिया। यह यूथ क्लब कौशल विकास पर ध्यान दे रहा है और इस ने लगभग सात हजार महिलाओं को सशक्त बनाया है। इस क्लब ने बच्चों को भी कोई न कोई हुनर सिखा कर उन्हें बाल मजदूरी के दुश्चक्र से निकालने में मदद की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेल्जीपुरम यूथ क्लब ने किसान उत्पादक संगठनों से जुडे किसानों को नये कौशल सिखाये और यह प्रत्येक गांव को स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैला रहा है।
प्रधानमंत्री ने लद्दाख से प्रेरक उदाहरण भी दिया उन्होंने कहा कि लूम्स ऑफ लद्दाख के नाम से प्रसिद्ध लद्दाखी पश्मीना दुनिया भर के बाजारों में पहुंच रहा है। 15 गांवों की 450 से अधिक महिलाएं लद्दाखी पश्मीना की बुनाई करती है। उन्होंने कहा कि देश के स्थानीय उत्पाद अब वैश्विक बन रहे हैं और इन महिलाओं की कमाई बढ रही है। प्रधानमंत्री ने लोगों से इस तरह की सफलता की गाथाएं साझा करने का आग्रह किया ताकि देश के अन्य लोगों को भी इनका पता चले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम की एक उपलब्धि यह भी है कि इसने रेडियो को घर-घर में और अधिक लोकप्रिय बना दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा निवासी राम सिंह बौद्ध ने माई गव पर पत्र लिखा है। उन्होंने बतायाकि वे पिछले कई दशकों से रेडियो संग्रह कर रहे हैं। राम सिंह ने लिखा कि मन की बात के बाद उनके रेडियो म्यूजियम के प्रति लोगों की उत्सुकता बढी है।
श्री मोदी ने कहा कि मन की बात से प्रेरित होकर अहमदाबाद के निकट तीर्थ धाम प्रेरणा तीर्थ ने दिलचस्प प्रदर्शनी लगाई। इस दौरान सौ से अधिक विशिष्ट रेडियो प्रदर्शित किये गये। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनसे पता चलता है कि लोग मन की बात से कितने प्रेरित हुए और अपने उद्यम शुरू किये। उन्होंने कनार्टक के चामराजनगर की वर्षा का उदाहरण दिया जिन्होंने मन की बात से प्रेरित होकर केले से जैविक खाद बनाने का कार्य शुरू किया।
प्रधानमंत्री ने लोगों को देव दीपावली की भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि सोमवार को काशी के घाटों पर लाखों दीपक जलाये जायेंगे और भव्य आरती तथा लेजर शो होगा। पीएम मोदी ने प्रकाश पर्व से पहले गुरू नानक देव को भी यादव किया। उन्होंने कहा कि गुरू नानक का सन्देश आज भी प्रेरक और प्रासंगिक है।
स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने के बारे में श्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि देश की एक सौ चालीस करोड जनता कई परिवर्तनों का नेतृत्व कर रही है। उन्होंने कहा कि त्योहारों के समय इसका प्रत्यक्ष उदाहरण सबने देखा जब लोगों ने स्थानीय उत्पाद खरीदे और वोकल फॉर लोकल को प्रोत्साहन दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में दीपावली, भैया दूज और छठ पूजा के दौरान देश में चार लाख करोड रुपये से अधिक का कारोबार हुआ। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि अब बच्चे भी खरीदारी करते समय यह देखने लगे हैं कि उसमें मेड इन इंडिया लिखा है या नहीं। श्री मोदी ने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी के समय भी लोग उस देश का नाम देखना नही भूलते जहां वह उत्पाद बनाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वोकल फॉर लोकल की सफलता विकसित भारत- समृद्ध भारत के द्वार खोल रही है। उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल अभियान से पूरे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, यह रोजगार और विकास की गारंटी है। यह अभियान शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोगों को समान अवसर देता है। यह स्थानीय उत्पादों में मूल्यवर्धन का मार्ग भी प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढाव आता है तो वोकल फोर लोकल का मंत्र हमारी अर्थव्यवस्था को संरक्षित भी करता है।
श्री मोदी ने कहा कि भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहारों तक सीमित नही रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विवाह का मौसम शुरू हो चुका है और कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि इस दौरान लगभग पांच लाख करोड रुपये का करोबार हो सकता है। प्रधानमंत्री ने लोगों से आग्रह किया कि विवाह के मौसम के दौरान भारत में बने उत्पादों की खरीदारी को महत्व दें।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि कुछ परिवारों ने विवाह करने के लिए विदेश जाने का चलन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में ही विवाह किया जाय तो देश का पैसा देश में रहेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की लोग इस बात पर गौर करेंगे और विदेशों के बजाय भारत में विवाह को वरीयता देंगे।
श्री मोदी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि लगातार दूसरे वर्ष दीपावली के अवसर पर नकद देकर खरीदारी करने का चलन कम हुआ है। उन्होंने कहा कि लोग अब ज्यादा से ज्यादा डिजिटल भुगतान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को नकद के बजाय यूपीआई या अन्य डिजिटल माध्यम से ही भुगतान करना चाहिए। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि एक महीने तक ऐसा करने के बाद इस अनुभव को फोटो सहित साझा करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 में भारतीयों के पेटेन्ट आवेदन में 31 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पेटेंट फाइल करने में सबसे आगे रहने वाले शीर्ष दस देशों में भी ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने इस शानदार उपलब्धि के लिए युवाओं को बधाई दी। उन्होंने युवाओं को विश्वास दिलाया कि देश हर कदम पर उनके साथ है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रशासनिक और कानूनी सुधारों के बाद आज देश के युवा नई ऊर्जा के साथ बडे पैमाने पर नवाचार से जुडे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पेटेंट को दस वर्ष पहले की तुलना में अब दस गुना अधिक मंजूरी मिल रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पेटेंट से देश की बौद्धिक सम्पदा बढ़ने के साथ नये – नये अवसरों के द्वार भी खुलते हैं। उन्होंने कहा कि इससे भारत की स्टार्टअप ताकत और क्षमता भी बढ़ती है।
श्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि स्कूली बच्चों में भी नवाचार की भावना को बढावा मिला है। उन्होंने कहा कि अटल टिंकरिंग लैब, अटल नवाचार मिशन, कॉलेजों में इन्क्यूबेशन सेन्टर और स्टार्टअप इंडिया अभियान ऐसे निरंतर प्रयासों के परिणाम देशवासियों के सामने है। उन्होंने कहा कि यह भारत की युवा शक्ति और नवाचार शक्ति का प्रत्यक्ष उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि देश विकसित बनने का संकल्प पूरा करेगा और जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान को प्रोत्साहन देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने हाल ही में मेलों के संबंध में प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस प्रतियोगिता में हजारों लोगों ने भागीदारी की और पुरस्कार जीते। कोलकाता निवासी राजेश धर ने ग्रामीण अंचल में लोकप्रिय चरक मेला में गुब्बारे और खिलौने बेचने वाले की अद्भुत फोटो के लिए पुरस्कार जीता। वाराणसी की होली को दिखाने के लिए अनुपम सिंह ने मेला पोर्ट्रेट का पुरस्कार जीता। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुलसाईं दशहरे से जुडे आकर्षक पहलू को दिखाने के लिए अरण कुमार नलिमेला को पुरस्कृत किया गया। पंढरपुर की भक्ति को दर्शाने वाली फोटो सबसे ज्यादा पसंद की गई जिसे महाराष्ट्र से राहुल ने भेजा।
श्री मोदी ने कहा कि इस प्रतियोगिता में मेलों के दौरान मिलने वाले स्थानीय व्यंजनों की अनेक तस्वीरें मिली। उन्होंने कहा कि पुरलिया के आलोक अविनाश ने मेले के दौरान बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों के खानपान की तस्वीर के लिए पुरस्कार जीता। भगोरिया महोत्सव के दौरान कुल्फी का आनंद ले रही महिलाओं की तस्वीर के लिए प्रणब बसाख को पुरस्कृत किया गया। छत्तीसगढ के जगदलपुर में गांव के मेले में भजिया का स्वाद ले रही महिलाओं का फोटो भेजकर रूमेला ने पुरस्कार जीता।
प्रधानमंत्री ने प्रत्येक गांव, स्कूल और पंचायत से नियमित रूप से ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में असीम ताकत है और प्रौद्योगिकी घर-घर पहुंच रही है। श्री मोदी ने कहा कि इसके जरिए स्थानीय पर्व या उत्पाद वैश्विक बनाए जा सकते हैं।