Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने कहा योग दिवस पर लें योग से जुड़ने का संकल्प, आपातकाल, चक्रवात बिपरजॉय, जगन्नाथ यात्रा का भी किया जिक्र

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 21 जून को न्‍यूयार्क में संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय में अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। आज रविवार 18 जून को आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा कि योग दिवस को लेकर युवाओं में बहुत अधिक उत्‍साह है। इस वर्ष के योग दिवस का विषय है – वसुधैव कुटुम्‍बकम के लिए योग यानी एक विश्‍व एक परिवार के रूप में सबके कल्‍याण के लिए योग। इससे योग की भावना का पता चलता है जो सबको एकजुट करता है और सबको साथ लेकर चलता है।

इस वर्ष योग दिवस पर देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने प्रत्‍येक देशवासी से योग को अपने जीवन में अपनाने और इसे रोजमर्रा के अपने जीवन का हिस्‍सा बनाने की अपील की है। उन्‍होंने कहा कि जो लोग योग से नहीं जुडे़ हैं, 21 जून का दिन उनके लिए योग से जुड़ने का संकल्‍प लेने का एक बड़ा अवसर है। भारत लोकतंत्र की जननी है और देश की जनता लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोच्‍च मानती है। उन्‍होंने कहा कि संविधान ही सर्वोच्‍च होता है और इसलिए 25 जून को कभी भुलाया नहीं जा सकता क्‍योंकि इसी दिन देश पर आपातकाल थोपा गया था।

प्रधानमंत्री ने आपातकाल को भारत के इतिहास का एक काला दौर बताया। उन्‍होंने कहा कि लाखों लोगों ने अपनी पूरी ताकत के साथ आपातकाल का विरोध किया लेकिन उस दौरान लोकतंत्र के समर्थकों पर अत्‍याचार किए गए। आपातकाल में पुलिस और प्रशासन के अत्याचार और दंडों पर कई पुस्‍तकें लिखी गई हैं। श्री मोदी ने कहा कि उन्‍हें भी उस दौरान संघर्ष में गुजरात नामक पुस्‍तक लिखने का मौका मिला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्‍होंने इमरजेंसी पर लिखी गई कई पुस्‍तकों का अध्‍ययन किया। आपातकाल के दौरान प्रकाशित पुस्‍तक – टार्चर ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स इन इंडिया अर्थात भारत में राजनीतिक कैदियों की यातना में बताया गया है कि उस समय सरकार ने लोकतंत्र के रक्षकों के साथ कितना क्रूरतापूर्ण व्‍यवहार किया। प्रधानमंत्री ने आशा व्‍यक्‍त की कि आजादी के इस अमृत महोत्‍सव के दौरान लोगों को ऐसे अपराधों का भी अवलोकन करना चाहिए, जिनसे देश की आजादी खतरे में पड़ गई थी। इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत को समझने में आसानी होगी।

प्रधानमंत्री ने चक्रवात बिपरजॉय से निपटने के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इससे देश का आम नागरिक मजबूत होगा। उन्‍होंने कहा कि महज दो-तीन दिन पहले ही इस चक्रवात से कच्‍छ में भारी नुकसान हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि कच्‍छ की जनता ने जिस साहस के साथ इस भीषण आपदा का सामना किया है, वह अभूतपूर्व है। उन्‍होंने कहा कि कच्‍छ के लोग कुछ दिन बाद अपना नववर्ष आषाढी बीज मनाने जा रहे हैं। यह एक संयोग ही है कि आषाढी बीज को कच्‍छ में वर्षा की शुरूआत का प्रतीक माना जाता है।

पीएम मोदी ने कहा कि दो दशक पूर्व कच्‍छ में आए विनाशकारी भूकंप से उबरने के प्रति कच्‍छ की जनता के संकल्‍प के कारण ही आज कच्‍छ देश के सबसे तेजी से विकसित हो रहे जिलों में शामिल है। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि कच्‍छ के लोग बिपरजॉय से हुए नुकसान से भी तेजी से उबर जाएंगे। पिछले कुछ वर्षों में देश में आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकस‍ि‍त हुई है, आज वह एक उदाहरण बन रही है। उन्‍होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बडा तरीका है — प्रकृति का संरक्षण। श्री मोदी ने कहा कि मानसून के दौरान हमारी जिम्‍मेदारी कई गुना बढ जाती है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कैच द रेन अभियान के माध्‍यम से देश में जल-संरक्षण के सामूहिक प्रयास हो रहे हैं। पिछले महीने मन की बात कार्यक्रम में उन्‍होंने जल-संरक्षण से जुडे स्‍टार्ट अप की चर्चा की थी। आज उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश के बांदा जिले के तुलसीराम यादव का उल्‍लेख किया, जिन्‍होंने बांदा और बुंदेलखंड क्षेत्रों में पानी की समस्‍या से निपटने के लिए चालीस से अधिक तालाब बनवाए। इसके कारण उनके गांव में भू-जल स्‍तर में सुधार हो रहा है। इसी प्रकार, उत्‍तर प्रदेश के हापुड जिले में लोगों ने मिलकर एक विलुप्‍त नदी को पुनर्जीवित किया है। इस इलाके में नीम नाम की एक नदी हुआ करती थी। लोगों ने अपनी इस प्राकृतिक धरोहर के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया और अब नीम नदी फिर से जीवंत होने लगी है। श्री मोदी ने कहा कि इस नदी के उद्गम स्‍थल को भी अमृत सरोवर के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की नदियां, नहरें और झीलें हमारे जल-स्रोत मात्र नहीं हैं, बल्कि इनके साथ हमारे जीवन के रंग और हमारी भावनाएं भी जुड़ी होती हैं। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र में नीलवंडे बांध की नहर का काम पूरा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नहर के परीक्षण के लिए इसमें कुछ ही दिन पहले पानी छोड़ा गया है जिसकी तस्‍वीरों ने उन्‍हें भावुक कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि अब इस गांव के लोग होली-दिवाली की तरह प्रफुल्लित हैं।

प्रधानमंत्री ने वन-क्षेत्रों के विस्‍तार के लिए जापान की मियावाकी तकनीक की चर्चा की, जो इलाके को फिर से हरा-भरा करने में बहुत उपयोगी है। मियावाकी के जंगल तेजी से फैलते हैं और लगभग तीन दशक में जल विविधता के बड़े केन्‍द्र बन जाते हैं। श्री मोदी ने कहा कि अब भारत के अलग-अलग हिस्‍सों में इसका प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है। उन्‍होंने इस तकनीक के सहारे अपने इलाके की तस्‍वीर बदलने वाले केरल के शिक्षक राफी रामनाथ की चर्चा की जिसने विद्यावनम् नाम से एक छोटा जंगल विकसित किया है जिसमें एक सौ पन्‍द्रह प्रकार के साढे चार सौ से अधिक पौधे हैं। रामनाथ को इन वृक्षों के रख-रखाव में अपने विद्यार्थियों का सहयोग मिलता है और अब आस-पास के लोग बड़ी संख्‍या में इस सुंदर स्‍थान को देखने आते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मियावाकी जैसे वन-क्षेत्र किसी भी जगह और आसानी से विकसित किए जा सकते हैं। उन्‍होंने हाल ही में गुजरात में एकता नगर में केवड़ि‍या में मियावाकी वन-क्षेत्र का उद्घाटन किया है। कच्‍छ में वर्ष 2001 के भूकंप में मारे गए लोगों की याद में एक स्‍मृति-वन विकसित किया गया है। श्री मोदी ने कहा कि कच्‍छ जैसे इलाके में इसकी सफलता से पता चलता है कि प्रतिकूल प्राकृतिक वातावरण में भी मियावाकी तकनीक कितनी प्रभावी है। इसी प्रकार, मियावाकी तकनीक से ही अम्‍बाजी और पावागढ में भी पौधे लगाए गए हैं। लखनऊ में अलीगंज में भी मियावाकी बाग विकसित किया जा रहा है। पिछले चार वर्षों में मुम्‍बई और इसके आस-पास के इलाकों में साठ से अधिक वन-क्षेत्रों में यह काम किया गया है। सिंगापुर, पेरिस, ऑस्‍ट्रेलिया और मलेशिया सहित कई देशों में इसका व्‍यापक उपयोग हो रहा है। श्री मोदी ने खासकर शहरों में रह रहे देशवासियों से मियावाकी तकनीक को अपनाने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को वर्ष 2025 तक टीबी से मुक्‍त करने का लक्ष्‍य रखा गया है। उन्‍होंने कहा कि इस दिशा में निक्षय-मित्रों ने महत्‍वपूर्ण कार्य किया है। आज देश में कई प्रकार के सामाजिक संगठन निक्षय-मित्र बन गए हैं। श्री मोदी ने कहा कि गांव और पंचायतों में रहने वाले हजारों लोग इस काम के लिए आगे आएं हैं और उन्‍होंने टीबी रोगियों को गोद लिया है। उन्‍होंने कहा कि जन भागीदारी इस अभियान की सबसे बडी शक्ति है और इसी की बदौलत अब देश में दस लाख से अधिक टीबी रोगियों को गोद लिया जा चुका है। श्री मोदी ने कहा कि लगभग 85 हजार निक्षय मित्रों द्वारा किया जा रहा यह एक नेक कार्य है। उन्‍होंने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि अब देश के कई सरपंचों और ग्राम प्रधानों ने अपने गांव से टीबी को पूरी समाप्‍त करने की पहल की है।

प्रधानमंत्री ने नैनीताल के निक्षय-मित्र दीकर सिंह मेवाड़ी की चर्चा की, जिन्‍होंने छह टीबी रोगियों को गोद लिया है। किन्‍नौर की ग्राम पंचायत के प्रमुख ज्ञान सिंह भी निक्षय-मित्र हैं जो अपने ब्‍लॉक में टीबी रोगियों को सहायता उपलब्‍ध करा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को टीबी मुक्‍त करने के अभियान में बच्‍चे और युवा साथी भी पीछे नहीं हैं। उन्‍होंने हिमाचल प्रदेश के ऊना की सात साल की नलिनी सिंह का उदाहरण दिया जो अपने जेब खर्च से टीबी रोगियों की मदद कर रही है। मध्‍य प्रदेश के कटनी जिले की तेरह साल की मीनाक्षी और पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर के ग्‍यारह वर्षीय बश्‍वर मुखर्जी ने भी अपने गुल्‍लक के पैसे भी टीबी मुक्‍त भारत  अभियान में लगा दिए हैं। श्री मोदी ने कहा कि ये सभी उदाहरण बहुत प्रेरक हैं। उन्‍होंने कम उम्र में बड़ी सोच रखने वाले बच्‍चों की प्रशंसा की।

प्रधानमंत्री ने डेयरी फार्मिंग शुरू करने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर के बारामूला जिले के लोगों का उदाहरण दिया। इस जिले में लंबे समय से दूध की कमी थी। बारामूला के लोगों ने इस चुनौ‍ती को अवसर में बदल दिया। श्री मोदी ने इसरत नबी की चर्चा की जिन्‍होंने मीर सिस्‍टर्स डेयरी फार्म शुरू किया है जहां प्रतिदिन लगभग डेढ सौ लीटर दूध की ब्रिकी हो रही है। प्रधानमंत्री ने सोपोर के वसीम अनायत का जिक्र भी किया जो अपने दो दर्जन से अधिक पशुओं की बदौलत प्रतिदिन दो सौ लीटर से अधिक दूध की ब्रिकी कर रहे हैं। उन्‍होंने बारामूला के आबिद हुसैन की डेयरी फार्मिंग का भी उल्‍लेख किया जहां प्रतिदिन साढे पांच लाख लीटर दूध का उत्‍पादन किया जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि कठिन परिश्रम की बदौलत अब बारामूला नई श्‍वेत क्रांति के प्रतीक के रूप में उभर रहा है। पिछले लगभग तीन वर्षों में बारामूला में पांच सौ से ज्यादा डेयरी इकाईयां खुल गई हैं। श्री मोदी ने कहा कि बारामूला का डेयरी उद्योग इस बात का गवाह है कि हमारे देश का हर हिस्‍सा कितनी संभावनाओं से भरा हुआ है।

प्रधानमंत्री ने जल-प्रबंधन और नौसेना के क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के योगदान को भी याद किया। उन्‍होंने कहा कि शिवाजी महाराज द्वारा समुद्र में बनाए गए जलदुर्ग आज भी शान से खड़े हैं। श्री मोदी ने कहा कि इस महीने शिवाजी के राज्याभिषेक के साढ़े तीन सौ वर्ष पूरे हो गए हैं। इस अवसर को एक बड़े पर्व के रूप में मनाया जा रहा है और महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए। श्री मोदी ने कहा कि लोगों को छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रबंधन कौशल से सीख लेनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि इस महीने खेल जगत से भारत के लिए कई बडी खुशखबरी आई है। उन्‍होंने कहा कि महिला जूनियर एशिया कप पहली बार जीतकर भारतीय हॉकी टीम ने तिरंगे की शान बढ़ायी है। भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने भी जूनियर एशिया कप प्रतिस्‍पर्धा जीती है। इसके साथ ही भारतीय पुरूष हॉकी टीम इस टूर्नामेंट को सबसे अधिक बार जीतने वाली टीम बन गई है। निशानेबाजी में भारतीय जूनियर टीम ने भी असाधारण प्रदर्शन करते हुए विश्‍व कप जीता। इस प्रतियोगिता के कुल स्‍वर्ण पदकों में से बीस प्रतिशत स्‍वर्ण पदक अकेले भारत के खाते में आए। बीस वर्ष से कम उम्र के एथलीटों की एशियाई चैंपियनशिप इस महीने आयोजित की गई जिसके 45 भागीदार देशों में भारत चोटी की तीन टीमों में शामिल रहा।

प्रधानमंत्री ने गर्व व्‍यक्‍त किया कि कितने ही खेलों में, अब भारत पहली बार अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। पेरिस डायमंड लीग में भारत को लंबी कूद में पहली बार पदक मिला जहां श्रीशंकर मुरली ने कांस्‍य जीता। इसी तरह सत्रह वर्ष से कम उम्र की महिलाओं की कुश्‍ती टीम ने किर्गि‍जिस्‍तान में भी ऐसी ही सफलता दर्ज की है। श्री मोदी ने इन सफलताओं के लिए सभी एथलीटों, उनके अभिभावकों और कोच को बधाई दी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय आयोजनों में देश की इस सफलता के पीछे हमारे खिलाडियों की कडी मेहनत होती है। उन्‍होंने यह भी कहा कि देश के अलग-अलग राज्‍यों में नए उत्‍साह के साथ खेलों के आयोजन होते हैं। श्री मोदी ने कहा कि खेलो इंडिया विश्‍वविद्यालय गेम्‍स की चर्चा की, जिसे हाल ही में उत्‍तर प्रदेश में आयोजित किया गया। उन्‍होंने कहा कि इन खेलों में देश के युवाओं ने ग्‍यारह रिकार्ड तोडे हैं। इन खेलों की पदक तालिका में पंजाब विश्‍वविद्यालय पहले स्‍थान पर, अमृतसर गुरूनानक देव विश्‍वविद्यालय दूसरे और कर्नाटक जैन विश्‍वविद्यालय तीसरे स्‍थान पर रहा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा खिलाडियों की प्रेरक कहानियों का सामने आना इन टूर्नामेंट का एक बडा पहलू है। असम के कॉटन विश्‍वविद्यालय के अन्यतम राजकुमार खेलो इंडिया विश्‍वविद्यालय खेल में नौकायन स्‍पर्धा में भाग लेने वाले पहले दिव्‍यांग एथलीट बने। बरकतुल्‍ला विश्‍वविद्यालय की निधि पवैया ने घुटने में गंभीर चोट के बावजूद शॉटपुट प्रतिस्‍पर्धा में स्‍वर्ण जीता। सावित्री बाई फुले पुणे विश्‍वविद्यालय के शुभम भंडारे लंबी बाधा दौड में स्‍वर्ण जीतने में कामयाब रहे जबकि पिछले वर्ष बंगलुरू में हुई प्रतियोगिता में घुटने की चोट के कारण उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। श्री मोदी ने कहा कि बर्दवान विश्‍वविद्यालय की सरस्‍वती कुंडु कबड्डी टीम की कप्‍तान हैं और उन्हें यहां तक पहुंचने में कई कठिनाईयों का सामना करना पडा है। उन्‍होंने कहा कि ओलिंपिक के लिए खिलाडियों को तैयार करने की स्‍कीम – टॉप्‍स से भी एथलीटों को काफी सहायता मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 20 जून को देश के कई राज्‍यों में भगवान जगन्‍नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा धूमधाम से मनाई जाएगी। उन्‍होंने कहा कि ओडिसा में पुरी की रथयात्रा अपने आप में अद्भुत होती है। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात में रहने के दौरान उन्‍हें अहमदाबाद की रथयात्रा में शामिल होने का अवसर मिला था। उन्‍होंने कहा कि रथयात्रा एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की भावना को परिलक्षित करती है। श्री मोदी ने कामना की है कि अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य, खुशी और खुशहाली के लिए भगवान जगन्‍नाथ का आशीष सबको प्राप्‍त हो।

पीएम ने कहा कि अब देश के राजभवनों की पहचान सामाजिक और विकास कार्यों से होने लगी है। उन्‍होंने कहा कि राजभवन टीबी मुक्‍त भारत अभियान और प्राकृतिक खेती के ध्‍वजवाहक बन रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि राजभवनों में गुजरात, गोवा, तेलंगाना, महाराष्‍ट्र और सिक्किम के स्‍थापना दिवसों का आयोजन जिस उत्‍साह से किया गया, उससे एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की भावना सशक्‍त होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा उन्‍हें देश की प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍यांगना आनंदा शंकर जयंत ने मन की बात की एक कड़ी के बारे में पत्र लिखा है जिसमें कथाकहन पर चर्चा की गई थी। इस कार्यक्रम से प्रेरित होकर आनंदा शंकर जयंत ने कुट्टी कहानी तैयार की है जो अलग-अलग भाषाओं की बाल कहानियों का संग्रह है। श्री मोदी ने बच्‍चों को संस्‍कृति से जोड़ने वाले प्रयासों की सराहना की।

अंत में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से वर्षा ऋ‍तु के दौरान अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने और संतुलित आहार लेने की अपील की है। उन्‍होंने बच्‍चों को छुट्टी का अपना होमवर्क अंतिम समय के लिए लंबित न रखने की सलाह भी दी है।

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