Gandhi Peace Prize 2021: गीता प्रेस को मिलेगा गांधी शांति पुरस्कार

दिल्ली, पुनर्वास न्यूज़ डेस्क। भारत सरकार ने 100 बरस पुरानी लोकप्रिय प्रकाशन संस्था ‘गीता प्रेस’ (Gita Press) को वर्ष 2021 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’ (Gandhi Peace Prize) देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता वाली निर्णायक समिति ने आज इस पुरस्कार के लिए ‘गीता  प्रेस’ (Gita Press) का चयन किया।

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के 125 वें जन्म दिन पर 1995 में आरंभ हुए इस पुरस्कार में विजेता को एक करोड़ रुपए की राशि, प्रशस्ती पत्र, पदक और शॉल भेंट की जाती है।

‘गीता प्रेस’(Gita Press) की स्थापना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर (Gorakhpur) में जयदयाल गोयन्दका ने 29 अप्रैल 1923 को की थी। संस्था का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म-हिन्दू धर्म के सिद्दांतों को बनाए रखने के साथ उनका प्रचार करना है। इसके लिए यह संस्थान लगातार गीता, रामायण, पुराण, उपनिषद के साथ प्रख्यात संतों के प्रवचन और अन्य चरित्र निर्माण पुस्तकों और पत्रिकाओं का नियमित प्रकाशन करता आ रहा है।

गीता प्रेस (Gita Press) की मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ तो बरसों से लोकप्रिय होने के साथ धर्म और सत्य के मार्ग पर प्रेरित करने के साथ जन कल्याण का बड़ा माध्यम बनी हुई है। बड़ी बात यह भी है कि गीता प्रेस की सभी पुस्तकें जहां प्रमाणिक और आकर्षक होती हैं वहाँ उनकी कीमत भी बहुत कम है। जिससे हमारे धर्म के साथ हमारी सनातन पुरातन संस्कृति और मान्यताओं को अधिक से अधिक लोग जन सकें, पढ़ सकें। संस्थान के सबसे अधिक बिकने वाले धार्मिक साहित्य में ‘हनुमान चालीसा’ (Hanuman Chalisa) है जिसका मूल्य मात्र 3 रुपए है।

पूर्व वर्षों में यह पुरस्कार इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलुरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठनों को भी मिल चुका है। साथ ही अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जूलियस न्येरेरे, श्रीलंका के सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ए.टी. अरियारत्ने, जर्मनी संघीय गणराज्य के डॉ. गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, आयरलैंड के डॉ. जॉन ह्यूम, चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति वाक्लेव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, चंडी प्रसाद भट्ट और जापान के योही ससाकावा भी ‘गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।

अपने 100 वर्षों के गौरवशाली इतिहास में ‘गीता प्रेस’ को चाहे कभी कई संकटों का सामना भी करना पड़ा। लेकिन प्रकाशन संस्था ने कभी हिम्मत नहीं हारी। न ही समय के साथ कोई समझोता किया। अभी तक ‘गीता प्रेस’ 14 भाषाओं में 41 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी है। जिनमें 16 करोड़ से अधिक ‘श्रीमद भगवद गीता’ और 2.68 करोड़ उपनिषद-पुराण का प्रकाशन शामिल है। इसके अतिरिक्त तुलसीदास (Tulsidas) जी रचित ‘रामचरित मानस’ (Ramcharit Manas) और उनके द्वारा रचित अन्य पुस्तकों की प्रकाशन संख्या भी अब करीब करीब 12 करोड़ हो चली है। साथ ही ‘गीता प्रेस’ बच्चों के लिए भी 11 करोड़ से अधिक उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी है।

प्रकाशन की विशेषता यह भी है कि यहाँ की पुस्तकों या पत्रिकाओं में आर्थिक लाभ के लिए विज्ञापनों का प्रकाशन नहीं किया जाता। मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान के लिए गीता प्रेस को यह पुरस्कार मिलना संस्थान के अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है। इसलिए ‘गीता प्रेस’ (Gita Press) को गांधी शांति सम्मान मिलना स्वागत योग्य है।

Related Articles

Back to top button