Makar Sankranti 2024: मकर संक्रान्ति पर मंजु शर्मा की कविता ‘पतंग और मांझा’
- मंजु शर्मा
कैलिफोर्निया, अमेरिका
पतंग और मांझा
स्नेह प्रेम के सूचक हैं,
त्योहार लोहड़ी संक्रान्ति,
हम उमंग उल्लास से मनाते,
नहीं रखते,मन में भ्रान्ति।
गंगा स्नान,दानदक्षिणा का ,
है महत्व इनमें भारी,
जिससे पाते हम अटूट ,
आध्यात्मिक,मानसिक शान्ति।
तिल गुड़ मक्का समर्पित अग्नि में,
गीत संगीत नृत्य आयोजन,
लाते मुख पर कान्ति।
रंग बिरंगी पतंगों से पट जाता आकाश
आइबो,आइबो ध्वनि से छाता उल्लास
जिसका मांझा जितना पक्का,
उतनी पतंगे अधिक काटकर,
जीवन में लाता वह,हर्ष की क्रान्ति।
अनुपम सन्देश देते पतंगों के भिन्नरंग
जीवनबगिया, महकालो इनके संग।
लाल पतंग हमें समझाती,
प्रेम बिना जीवन बदरंग,
नूतन ऊर्जा प्रति पल लाओ,
कहती है पीली पतंग।
शस्यश्यामला धरती की,
पहचान कराती हरी पतंग,
वीरों के अनुपम बलिदान की
याद दिलाती तिरंगी पतंग।
बिन माँझे वह कैसे जाए,
विस्तृत नभ को,छूने को,
सच्चा साथी बन कर मांझा,
विश्वास जगाता उड़ने को।
ईश्वर रूपी सुदृढ़ माँझे संग,
बांध लो जीवन-पतंग,
चौरासी का बंधन छूटे,
जीवन में छाए उमंग।
ईश्वर,भक्ति के माँझे से,
सदा हमें थामे रहता,
श्वास डोर जब जुड़ जाए तो
कभी नहीं गिरने देता।
लाया है दिव्य संदेश मकर संक्रान्ति
खिले रहो सदा तिल मक्का की भाँति