Jadugar Samrat Shankar: देश के नंबर वन जादूगर सम्राट शंकर, बड़ी बड़ी हस्तियों को दिखा चुके हैं अपना जादू

सम्राट शंकर देश के ऐसे जादूगर हैं जो निरंतर अपनी जादू कला को समर्पित हैं। लेकिन यह वर्ष उनके लिए बेहद खास है। क्योंकि अब वह अपने जादुई प्रदर्शन के 50 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। देश-विदेश में अब तक असंख्य जादुई शो कर चुके सम्राट शंकर जिस भव्यता से अपने शो करते हैं, उसके लिए उन्हें देश का नंबर वन जादूगर कहा जाता है।

साथ ही इसलिए भी कि क्योंकि उनका जादू देश की अनेक बड़ी हस्तियाँ भी देख चुकी हैं। जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी, नरेन्द्र मोदी, रामनाथ कोविन्द, ज्ञानी जैल सिंह, भैरों सिंह शेखावात, अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, जे पी नड़ड़ा, अर्जुन राम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी तक कितने ही नाम हैं।

यूं विभिन्न राज्यों के कितने ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ साथ धर्मेन्द्र, हेमा मलिनी, मनोज कुमार, अनिल कपूर, जूही चावला और कटरीना कैफ जैसी बहुत सी फिल्म हस्तियाँ भी उनके जादू से मंत्र मुग्ध हो चुकी हैं। मैंने स्वयं उनके जादुई शो कई बार देखे हैं। दूरदर्शन पर उनके जादू के साथ उनके इंटरव्यू की भी एक सीरीज मैंने की है।

शंकर के जादू की खास बात यह भी है कि उसे कितनी ही बार देख लें। लेकिन उसमें दिलचस्पी बराबर बनी रहती है। फिर वह अपने जादू में सामाजिक संदेश और शिक्षा देने के साथ दर्शकों को जागरूक करने का काम भी करते हैं।

सम्राट शंकर बताते हैं-‘’मैंने जब 1973-74 के दौर में अपने जादुई खेलों की शुरुआत की थी। तभी से यह फैसला लिया था कि जादू के प्रति लोगों की जो भ्रांतियाँ हैं, जो अंधविश्वास है उसे दूर करूंगा। बहुत से लोग जादू को तंत्र-मंत्र यानि जादू-टोने का खेल मानते हैं। लेकिन मैं शुरू से कहता आया हूँ कि जादू एक कला है। हाथ की सफाई का खेल है। इसलिए मैं दर्शकों को भव्यता के साथ साफ सुथरा मनोरंजन परोसता हूँ। लेकिन इस सबके साथ मैं अपने शो में पर्यावरण, स्वच्छता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, जल बचाओ, प्लास्टिक और पोलिथीन का इस्तेमाल ना करने के संदेश भी देता हूँ। मैं अब तक देश-विदेश में 28 हज़ार शो कर चुका हूँ। जिनमें 10 हज़ार से ज्यादा शो तो मैंने सिर्फ चैरिटी के लिए किए। कभी सूखा, बाढ़ और भूकंप प्रभावित लोगों की सहायतार्थ, तो कभी मुख्यमंत्री राहत कोश और रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं के लिए। मुझे आज भी अपने शो करने में वैसी ही सुखद अनुभूति होती है, जैसे बरसों पहले होती थी।‘’

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