Happy Birthday Amitabh Bachchan: अमिताभ जब पैन देख कर चौंक पड़े

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

28 अक्टूबर 1984 की सुबह सुबह दिल्ली में ठंड के साथ कुछ कोहरा भी था। दिल्ली हवाई अड्डे पर लोग ठिठुरते हुए आवागमन कर रहे थे। लेकिन तभी वहां सरगर्मी बढ़ गई।  अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक और श्वेता सामने से आते दिखाई दिए तो चंद पलों में हवाई अड्डे से मानो ठंड ही गायब हो गई।

दरअसल अमिताभ पिछले लगभग 4 महीने से अमेरिका में अपना इलाज करा रहे थे। फिल्म ‘मर्द’ की शूटिंग के दौरान जून 1984 में अमिताभ को मांस पेशियों में दर्द और थकान से बेचैनी हुई तो उन्हें तुरंत मुंबई ले जाया गया। पता लगा उन्हें मायस्थेनिया ग्रविस की बीमारी हो गई है। जब मुंबई में इलाज से उन्हें आराम नहीं मिला तो 6 जुलाई को उन्हें अमेरिका ले जाया गया। तब अमिताभ की हालत इतनी खराब थी कि वह चल नहीं सकते थे इसलिए उन्हें हवाई जहाज तक एम्बुलेंस से ले जाया गया था। देश भर में उनके प्रशंसक ही नहीं वे निर्माता भी बुरी तरह परेशान थे जिनकी फिल्मों की शूटिंग लटक गई थी।

लेकिन अब जब वह अचानक ब्रिटिश एयरवेज की फ्लाइट से दिल्ली में उतरे तो उनके चाहने वालों के चेहरे खिल उठे। अमिताभ तेज रफ्तार कदमों से पहले की तरह चल रहे थे। उन्हें देख उनका एक प्रशंसक उनका ऑटोग्राफ लेने उनके पैन निकाल कर अमिताभ को दे दिया। अमिताभ ने उस व्यक्ति को ऑटोग्राफ दिया तो वह खुशी से उछलता हुआ आगे बढ़ गया। तब तक 4-5 और लोग भी अमिताभ का ऑटोग्राफ लेने के लिए उनके आसपास एकत्र हो गए।

सभी को ऑटोग्राफ देने के बाद अमिताभ ने अपने हाथ में पैन देखा तो वह कुछ चौंके कि यह पैन किसका रह गया। तभी उनके साथ खड़ी जया ने सबसे पहले ऑटोग्राफ लेने वाले दूर जाते व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए बताया कि यह पैन तो उसका था। यह देख अमिताभ एक दम उस व्यक्ति की ओर भागते हुए आगे बढ़े और कुछ चिल्लाते हुए बोले -“भाई साहब आपका पैन,भाई साहब आपका पैन। आवाज सुन उस व्यक्ति ने पीछे मुड़कर देखा तो वह भौंचक्का रह गया कि अमिताभ उसका पैन देने के लिए भागते हुए उसके पास आ रहे हैं। वह तब तक कुछ सोचता तब तक अमिताभ उसके पास पहुँच गए और उसके कंधे पर हाथ रख बोले – भाईसाहब आप अपना पैन तो भूल ही गए।

एक सुपर स्टार के यह रंग देख उस व्यक्ति की आँखों में आंसू आ गए और वह अमिताभ के पैर छूने को झुका तो अमिताभ ने उसे रोक लिया और उसके कंधे पर थप थपी दे अपने परिवार के साथ तेज कदमों से एअरपोर्ट से बाहर निकल गए। लेकिन वह व्यक्ति तो खुशी और हैरानी में इतना डूब गया था कि वह दो कदम भी नहीं चल पाया और कुछ पल के लिए वहीँ बैठ गया और अपना सर और बाल पकड़ कर बोला मुझे यकीं ही नहीं हो रहा। यह कहते हुए उसने लंबी सांस खींचते हुए उस पैन को चूम कर अपने सीने से ऐसे लगाया जैसे उसे बहुत बड़ी दौलत मिल गई हो।

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