Abhishek Bachchan: आज भी याद आती है अभिषेक बच्चन के बचपन की वह बात

प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) 48 साल के हो गए। पता ही नहीं लगता वक्त कब गुजर जाता है। मुझे आज भी वह बात याद है जब 5 फरवरी 1976 को मुंबई में अभिषेक (Abhishek Bachchan) का जन्म हुआ था। तब यह खबर मुझे माननीय डॉ हरिवंश राय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan) के पत्र से मिली थी तब आज की तरह एक पल में ख़बरें वायरल नहीं होती थीं।

फिल्म और फिल्म सितारों के समाचारों को तब बड़े दैनिक समाचार पत्र तो कभी कभार तभी छापते थे जब कोई बहुत बड़ी घटना हो। अन्यथा फिल्मों के बारे में अधिकतर समाचार फिल्म पत्रिकाओं से ही मिलते थे। लेकिन अभिषेक (Abhishek Bachchan) के जन्म का समाचार उनके दादा जी ने मुझे तभी पत्र से दे दिया था कि अमिताभ के यहाँ पुत्र हुआ है और उसका नाम अभिषेक रखा है।

यह मेरा सौभाग्य रहा है कि सुप्रसिद्द कवि और लेखक माननीय डॉ हरिवंश राय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan) मेरे ऐसे गुरु रहे हैं जिनसे मैंने जिंदगी, लेखन-पत्रकारिता, सफलता-असफलता और परिश्रम व लग्न जैसे बहुत से मुद्दों पर बहुत कुछ सीखा । वह जब तक स्वस्थ रहे उनके मेरे बीच पत्र व्यवहार का लम्बा सिलसिला चलता रहा। यहाँ तक बच्चन जी के अस्वस्थ रहने पर उन्हें भेजे हुए मेरे कई पत्रों के जवाब मुझे अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) भी देते रहे। हालाँकि अभिषेक के जन्म को लेकर भेजा उनका पत्र मैं अपने रिकॉर्ड में अब नहीं देख पा रहा हूँ। लेकिन मुझे अभिषेक (Abhishek Bachchan) के बचपन की कुछ स्मृतियाँ आज भी ज्यों की त्यों याद हैं।

5 बरस के अभिषेक जब बुरी तरह शरमा गए

मैंने अभिषेक (Abhishek Bachchan) को जब पहली बार देखा तब वह एक बरस के रहे होंगे। लेकिन अभिषेक (Abhishek Bachchan) की जो बात मेरे दिल ओ दिमाग में ज्यादा बसी है वह है दिसम्बर 1980 की। तब दिल्ली में फिल्म ‘सिलसिला’ की शूटिंग चल रही थी। मुझे दिल्ली में 20 दिसम्बर को, मुंबई से हरिवंश राय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan) का पत्र मिला कि वह दिल्ली आ रहे हैं।

सभी लोग कुछ समय तक दिल्ली के ओबेरॉय होटल में ठहरेंगे, कभी सुविधा से मिलना। पत्र मिलने के दो तीन दिन बाद जब मैं ओबेरॉय होटल पहुंचा तो वहां माननीय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan) अपने परिवार के सदस्यों अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan), जया बच्चन (Jaya Bachchan), श्वेता (Shweta Bachchan Nanda) और अभिषेक (Abhishek Bachchan) के साथ ठहरे हुए थे। साथ ही फिल्मकार यश चोपड़ा (Yash Chopra) और रेखा (Rekha) भी वहीं होटल में थे।

मैं जैसे ही होटल में इनके कमरे की मंजिल पर लिफ्ट से बाहर निकला तो वहां अभिषेक-श्वेता खेल रहे थे। मैंने उनसे पूछा दादा जी किस कमरे में हैं तो वे मुझे उनके कमरे में ले गए। मैं माननीय बच्चन जी से बात कर रहा था तब भी श्वेता –अभिषेक उनके कमरे में खेल रहे थे। अभिषेक (Abhishek Bachchan) की उम्र उस समय पांच साल से भी कम थी। मुझे यह भी अच्छे से याद है कि अभिषेक (Abhishek Bachchan) ने काले रंग का कोट पैंट, सफ़ेद रंग की कमीज और लाल रंग की बो पहनी हुई थी।

अभिषेक (Abhishek Bachchan) इतने प्यारे लग रहे थे कि मैं उन्हें अपनी गोदी में बैठा कर बात करता रहा। कुछ देर बाद जब वह श्वेता के साथ खेलने के लिए जाने लगे तो मैंने अभिषेक के गाल पर एक ‘किस’ (चुंबन) कर लिया। और फिर बच्चन जी के साथ बातचीत करने में व्यस्त हो गया।

कुछ देर बाद वहां जया बच्चन (Jaya Bachchan) आयीं। यूँ मैं कुछ साल पहले भी जया जी से दो तीन बार मिल चुका था। फिर भी बच्चन जी ने एक बार फिर मेरा जया जी से परिचय कराया। हम बात कर ही रहे थे कि जया जी ने देखा श्वेता तो कमरे में हैं लेकिन अभिषेक दिखाई नहीं दे रहे। इस पर झट से जया जी ने श्वेता से पूछा कि अभिषेक (Abhishek Bachchan) कहाँ हैं? श्वेता ने कमरे के दरवाजे के पीछे इशारा करते हुए कहा कि वह परदे के पीछे छिपा हुआ है।

जया जी ने हँसते हुए कहा- क्यों तुम खेल रहे हो या तुम दोनों की कोई लड़ाई हुई है? श्वेता ने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा-नहीं अंकल ने अभिषेक को ‘किस’ कर लिया तो वह शरमा कर छिप गया है।” यह सुनकर हम सब जोर से खिलखिलाकर हंस पड़े।

अभिषेक सारी बातें सुनते हुए कुछ लजाते-मुस्कुराते परदे से सिर बाहर निकाल रहे थे। जया जी ने अभिषेक को अपने पास आने के लिए कहा और वह उसे प्यार करते हुए मुझसे बोलीं- यह शुरू में थोड़ा शरमाता है लेकिन बाद में जब खुलता है तो फिर खूब बातें करता है।”

जया जी की अभिषेक के लिए की गयी यह बात मेरे मन में घर कर गयी थी। सन 2000 में जब अभिषेक ने 24 बरस की उम्र में अपनी पहली फिल्म ‘रिफ्यूजी’ से फिल्मों में आगमन किया तब भी मुझे वह बात याद आई। साथ ही तब भी जब ‘रिफ्यूजी’ के बाद ‘ढाई आखर प्रेम का’ और ‘बस इतना सा ख्वाब है’ जैसी अभिषेक की फ़िल्में प्रदर्शित हुईं।

इन फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर तो असफलता मिली ही साथ ही अभिषेक के अभिनय में एक दम खुलेपन का कुछ अभाव भी खटका। लेकिन ‘मुंबई से आया मेरा दोस्त’ और ‘मैं प्रेम की दीवानी हूँ’ तक आते आते अभिषेक ने जिस तरह खुलकर अभिनय किया वह किसी से छिपा नहीं है। इसके बाद तो अभिषेक ने अपने शानदार अभिनय वाली कई फ़िल्में दीं हैं।

‘युवा’ ‘सरकार’ ‘धूम’, ‘गुरु’ हैं ‘माइल्सस्टोन’

अभिषेक बच्चन ने अपने अब तक के 24 साल के करियर में करीब 60 फ़िल्में की हैं। जिनमें कई फिल्मों को अच्छी व्यवसायिक सफलता भी मिली और उनके अभिनय की भी प्रशंसा हुई। इससे इतर करीब दर्जन भर फ़िल्में उन्होंने मेहमान भूमिकाओं वाली भी कीं। उनकी अब तक की उल्लेखनीय फिल्मों में ज़मीन, दस, उमराव जान, झूम बराबर झूम, लागा चुनरी में दाग, दिल्ली-6, रावण, हैप्पी न्यू इयर, ऑल इज़ वेल और हाउस फुल-3 हैं।

लेकिन अभिषेक की जो फ़िल्में उनके करियर की शानदार फिल्मों के साथ ‘माइल्सस्टोन’ फ़िल्में भी हैं उनमें -युवा, बंटी और बबली, सरकार राज, पा, बोल बच्चन और धूम सीरिज की तीनों फ़िल्में हैं। इनमें ‘पा’ के तो अभिषेक निर्माता भी थे और इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

इसके अलावा युवा, सरकार और कभी अलविदा न कहना के लिए अभिषेक (Abhishek Bachchan) को सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। लेकिन अभिषेक (Abhishek Bachchan) की सभी अच्छी फिल्मों में भी अब तक की बेहतरीन फिल्मों को देखा जाए तो वह है-‘गुरु’। इस फिल्म में अभिषेक (Abhishek Bachchan) ने गुरुकांत देसाई के रूप में जो अभिनय किया वह उनकी अन्य सभी फिल्मों पर भारी पड़ता है। ‘गुरु’ का निर्देशन मणि रत्नम ने किया था जिनके साथ अभिषेक ने ‘युवा’ और ‘रावण’ जैसी फ़िल्में भी कीं।

‘गुरु’ के अभिनय के लिए चाहे अभिषेक (Abhishek Bachchan) को कोई पुरस्कार नहीं मिला। लेकिन इस जैसी कुछ और फ़िल्में अभिषेक (Abhishek Bachchan) को मिलतीं तो अभिषेक निश्चय ही और बुलंदियों पर होते। हाँ ‘गुरु’ से उन्हें यह जरुर मिला कि इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान अभिषेक (Abhishek Bachchan) और ऐश्वर्या (Aishwarya Rai Bachchan) ने साथ काम करते हुए परस्पर विवाह करने का फैसला लिया। इस फैसले को साकार करने के लिए दोनों ने 20 अप्रैल 2007 को अक्षय तृतीया के दिन विवाह कर लिया। अब तो इनके आँगन में बेटी के रूप में परी आराध्या (Aradhya) भी है।

ओटीटी पर भी दी कुछ अच्छी फिल्में

अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) समय के साथ ताल मिलाते हुए ओटीटी पर भी फिल्में और वेब सीरीज कर रहे हैं। पिछले करीब 4 बरसों में ओटीटी पर अभिषेक की 4 फिल्में आयीं। लूडो, बिग बुल, दसवीं और बॉब बिस्वास। इन फिल्मों में ‘बॉब बिस्वास’ तो सबसे बेहतर फिल्म रही। जिसे अभिषेक के करियर की ‘गुरु’ जैसी फिल्मों में रखा जा सकता है।

अभिषेक (Abhishek Bachchan) इस फिल्म में बेहतरीन अभिनेता तो साबित हुए ही साथ ही इस फिल्म को दर्शकों ने भी काफी पसंद किया। फिर ‘लूडो’ और ‘बिगबुल’ फिल्मों में भी अभिषेक को ठीक ठाक प्रशंसा मिली। जबकि ‘दसवीं’ में अभिषेक के अभिनय को तो पसंद किया गया। लेकिन कमज़ोर पटकथा के कारण यह एक खराब फिल्म बनकर रह गयी। हालांकि कुछ समय पहले आई अभिषेक की एक वेब सीरीज ‘ब्रीथ इन टू द शैडोज़’ को बड़ी सफलता मिली थी।

इधर पिछले दिनों अभिषेक (Abhishek Bachchan) को एक अच्छी फिल्म ‘घूमर’ भी मिली। फिल्म तो अच्छी थी अभिषेक का काम भी। लेकिन इसे किस्मत का खेल कहें या क्या कि उन दिनों ‘गदर-2’ और ‘ओएमजी-2’ जैसी फिल्मों के सामने ‘घूमर’ असफल हो गयी।

पिता अमिताभ से होती है तुलना

अभिषेक (Abhishek Bachchan) के करियर को ध्यान से देखें तो उन्होंने गंभीर भूमिकाएं भी की हैं और कॉमेडी भी। पिछले कुछ बरसों में तो अभिषेक (Abhishek Bachchan) अपनी हास्य भूमिकाओं वाली फिल्मों में भी खूब जमे हैं। इससे अभिषेक निश्चय ही अच्छे अभिनेता भी साबित हुए। लेकिन इसके बावजूद पिछले कुछ बरसों में अभिषेक (Abhishek Bachchan) के पास जिस तरह फिल्मों का अभाव रहा वह भी खलता है। जबकि अभिषेक (Abhishek Bachchan) के खाते में कई हिट फ़िल्में हैं। उनकी धूम-3 और हैप्पी न्यू इयर तो 200 करोड़ से अधिक कमाने वाली फिल्मों में आती हैं। बोल बच्चन और हाउस फुल-3 भी 100 करोड़ से अधिक कमाने वाली फ़िल्में हैं।

लेकिन अक्सर कुछ लोग इन फिल्मों की सफलता का श्रेय फिल्म के सहकलाकार शाहरुख़,आमिर और अजय देवगन आदि को ज्यादा और अभिषेक को कम देते हैं। जबकि यह आकलन सही नहीं है क्योंकि फिल्म एक टीम वर्क है। जिसमें सफलता-असफलता का श्रेय पूरी टीम को जाता है। हाँ किस का काम अच्छा, किसका ख़राब जैसे आकलन हो सकते हैं। और जब जब इन फिल्मों में अच्छे काम की बात आई है तो अभिषेक के अच्छे काम की भी सभी जगह मुक्त कंठ से सराहना हुई है। यहाँ तक ‘बंटी और बबली’ जैसी कुछ सफल फिल्मों में तो अभिषेक ही सोलो हीरो थे।

असल में देखा जाए तो सभी अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) की तुलना उनके पिता अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) से करते हैं। यह तुलना अक्सर अभिषेक के लिए नुक्सान वाली साबित होती है। फिर अमिताभ बच्चन के  अपने करीब 55 बरस के करियर में बहुत से नायक आए और आ रहे हैं। ऐसे में जब अन्य अभिनेताओं की तुलना अमिताभ से नहीं की जा सकती तो सिर्फ अभिषेक की तुलना ही क्यों ? क्या इसीलिए कि वह महानायक के पुत्र हैं, लेकिन यह कहीं से भी न्याय संगत नहीं हैं।

अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan) के इस जन्म दिन पर हम कामना करते हैं कि अभिषेक का आने वाला कल आज से भी बेहतर हो। अभिषेक जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई।

 

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