पिता ही घर का “सैंटा” है, कवयित्री मंजु शर्मा की कविता

मंजु शर्मा

कैलिफोर्निया, अमेरिका 

पिता ही घर का “सैंटा”है,
मन में यह दृढ़ता से जानो,
परिवार के लिए मेहनत करते,
उनकी क़ीमत पहचानो।

रफ़ू कराके पैंट पहनते,
बच्चों को नई जींस दिलाते,
घर के खाने से खुश होते,
बच्चों को रेस्टोरेंट ले जाते।

उनके लिए कभी कुछ लाओ,
लेने से सदा कतराते,
अपने बच्चों लिए सदा ही,
“सरप्राइज गिफ्ट” लेकर के आते।

उनकी माँगों को पूरा करते,
अपने ऊपर खर्च ना करते,
टूटे चश्मे से काम चलाते,
नये के लिए सौ बहाने बनाते।

सैंटा तो वर्ष में एक बार ही आता,
पिता-सैंटा तो रोज़ प्यार लुटाता।

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