World Book Fair 2024 के खत्म होते ही वर्ष 2025 के विश्व पुस्तक मेले की तारीख का हुआ ऐलान, जानिए अगले साल कब होगा आयोजन

अगले साल नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 1 से 9 फरवरी 2025 को आयोजित होगा। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने विश्व पुस्तक मेला 2024 के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करे हुए सभी आगंतुकों, प्रकाशकों, सह-आयोजक संस्थाओं और मीडियाकर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ”हमें पूर्ण विश्वास है कि अगली बार और अधिक प्रकाशक और पाठक इस मेले में शामिल होंगे और भारतीय प्रकाशन एवं लेखन की वैश्विक पहचान को मेले से एक मजबूती मिलेगी।”

कैसा रहा वर्ष 2024 का विश्व पुस्तक मेला ?

इस वर्ष 10 से 18 फरवरी के बीच प्रगति मैदान में आयोजित इस बार नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला कई मायनों में खास रहा। एक ओर जहाँ पुस्तक प्रेमियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई, वहीं भारत के प्रकाशन उद्योग ने भी नई ऊँचाइयों को छूआ। विदित है कि लगभग 50 हजार वर्ग मीटर में लगे इस बार के विश्व पुस्तक मेले में एक हजार से अधिक प्रकाशकों की किताबें सजी थीं।

इस बार किताबों की हुई रिकॉर्ड तोड़ बिक्री ने भी प्रकाशकों के उत्साह में इजाफा किया। लाखों बच्चों ने पाठ्यक्रम से हटकर कविताओं, कहानियों, उपन्यास और चित्रकथाओं की किताबों को पढ़ना पसंद किया। उनके लिए हॉल 3 में अलग से व्यवस्था थी। कॉलेज के छात्र, बच्चों के संग आए अभिभावक, प्रसिद्ध साहित्यकार, कलाकार, दर्शनार्थी, नेता—अभिनेता, भाषाविदों, साहित्य आलोचकों, समीक्षकों, चित्रकारों, अध्येताओं, राजनयिकों, प्रशासनिक अधिकारियों हर किसी के लिए यह साहित्यिक उत्सव आकर्षण का केंद्र रहा। प्रगति मैदान के नवीन हॉलों में आयोजित यह मेला स्वच्छता, समग्रता, समावेशिता, सर्वभाषा हर मायनों में सार्थक रहा।

हॉल 1 से 5 में आयोजित नौ दिवसीय नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में इस बार 700 से अधिक साहित्यिक और रचनात्मक कार्यक्रम हुए। प्रकाशकों, साहित्यकारों, कलाकारों के लिए जहाँ अपनी पुस्तकों के विमोचन, परिचर्चा, रचनात्मक गतिविधियों और अपनी बात को श्रोताओं तक पहुँचाने के लिए लेखक मंच, बाल मंडप, अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि मंच, थीम मंडप और ऑर्थर्स कॉर्नर खुला था, वहीं कई प्रकाशकों ने अपने स्टॉल पर भी साहित्यिक गतिविधियों के लिए मंच सजा रखे थे। हॉल 2 और 5 में सजे क्रमश: लेखक मंच और ऑर्थर्स कॉर्नर पर 200 से अधिक पुस्तकों का विमोचन हुआ।

हॉल 3 में बने बाल मंडप में बच्चों के लिए रचनात्मक गतिविधियाँ हुईं, जिनमें चित्रकला, कैलीग्राफी, कार्टून, कला एवं शिल्प, कहानी वाचन, वैदिक गणित कार्यशाला, युवा संपादक कार्यशाला, कई साहित्यकारों की बाल पुस्तकों का विमोचन, स्पेस सफारी और विज्ञान, साइबर जैसे विषयों से जुड़ी प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया।

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के अवसर पर ही राष्ट्रपति भवन में आयोजित कला, साहित्य और रचना कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रधानमंत्री युवा योजना 1.0 के 55 और प्रधानमंत्री युवा योजना 2.0 के 37 युवा लेखकों से मुलाकात की। राष्ट्रपति भवन में ही पीएम युवा मेंटरशिप योजना 1.0 में चयनित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।

नई दिल्ली राइट्स टेबल 2024 (एनडीआरटी) के दसवें संस्करण का आयोजन भी नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दौरान हुआ, जिसमें ‘बी2बी प्लेटफॉर्म’ के जरिये प्रकाशकों को विचारों के आदान-प्रदान, कॉपीराइट पर विचार-विमर्श और अपनी प्रकाशन सामग्री के राइट्स को हस्तांतरित करने का अवसर दिया गया। इस बार की मीटिंग में अंग्रेजी, हिंदी सहित सभी भारतीय और विदेशी भाषाओं की पुस्तकों के 60 से अधिक प्रकाशक शामिल थे। सीईओ स्पीक में बहुभाषी परिदृश्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के एकीकरण पर विशेष जोर दिया गया।

नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की ओर से एक तरफ जहाँ ‘बुक्स फॉर ऑल’ अभियान के तहत यूडीआईडी धारक दिव्यांग बच्चों को ब्रेल पुस्तकें वितरित करने की पहल दिखी, वहीं विभिन्न सरकारी संस्थाओं, गैर-सरकारी संगठनों की ओर से किए गए सामाजिक जागरूकता अभियान भी विश्व पुस्तक मेले का हिस्सा बने।

किसी स्टॉल पर पर्यावरण के प्रति जागरूकता, तो किसी पर बच्चों के सर्वांगीण विकास को केंद्रित किया गया। दिव्यांग बच्चों के लिए भी एक कार्यक्रम था और बच्चों को पीएम राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित विजेता से मिलने का भी अवसर भी बाल मंडप में मिला।

अंतर्राष्ट्रीय गतिविधि मंच पर श्रोता विदेशी भाषाओं के साहित्य पर भी चर्चा में शामिल हुए और विदेशी परंपरा व संस्कृति के प्रति समझ विकसित करने के लिए उन्हें एक मंच मिला।

थीम मंडप पर बहुभाषी भारत के विभिन्न पहलुओं पर परिचर्चाएँ हुईं, वहीं श्रोताओं को विभिन्न भाषाओं के लेखकों, कवियों, भाषाविदों, पत्रकार, कलाकारों के विचारों का भी अवसर मिला। शाम के समय होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में युवाओं को लोकसंगीत, लोकनृत्य, कवि सम्मेलनों, सूफी संगीत, लोककलाओं के जरिये भारत, सऊदी अरब, रूस आदि देशों की संस्कृति को समझने का अवसर मिला।

 

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