World Book Fair 2024: विश्व पुस्तक मेले में पुराण, अध्यात्म और लोक साहित्य की ओर लौटते दिखे बच्चे और युवा

धर्म—अध्यात्म, योग, स्वास्थ्य, पुराण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, व्यक्तित्व विकास, व्यापार, आत्मकथा, देशभक्ति, जीवन—चरित, फिक्शन और नॉन फिक्शन पाठकों के लिए हर तरह की किताबें नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में हैं। बच्चे, बड़े, वृद्ध हर आयु के पाठक पुस्तक मेले में आ रहे हैं और अपने मनपसंद विषय, लेखक, भाषा की किताबें खरीद रहे हैं। लेकिन यदि बात करें कि विश्व पुस्तक मेले में पाठक किस विषय की किताबें सबसे ​अधिक पसंद कर रहे हैं, इस पर बात करने के लिए प्रकाशकों का उत्साह देखते ही बना—

ओम बुक्स के सीईओ संजय माग्गो कहते हैं— इस बार किताबों के प्रति बच्चों और युवाओं की रुचि बढ़ी है। वे पौराणिक किताबें ज्यादा खरीद रहे हैं। बच्चे रामायण और महाभारत को पढ़ना चाहते हैं और युवा अपनी संस्कृति को समझने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित पुस्तकों की माँग कर रहे हैं। युवा जिस विषय से ज्यादातर घिरे रहते हैं या सोशल मीडिया पर जैसी रील्स या पोस्ट देखते हैं, उनकी समझ भी उसी के अनुरूप विकसित होती है और वे उन्हीं विषयों की किताबें भी पढ़ना पसंद करते हैं। हालाँकि हिंदी और अंग्रेजी में किताबें अधिक प्रकाशित होती हैं, लेकिन अपनी लोकल कल्चर पर गर्व या कहें दोबारा से उससे जुड़ने के लिए युवा माँग कर रहे हैं कि किताबें गुजराती, मराठी, बांग्ला सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रकाशित हों।

रूपा पब्लिकेशन के सीनियर सेल्स एक्जीक्यूटिव अजीत कुमार सिंह के अनुसार आत्मकथा, जीवनचरित, सेल्फ हैल्प, क्लासिक्स सभी सेक्शन की किताबें खरीदी जा रही हैं लेकिन अयोध्या मंदिर बनने से चार—पाँच महीने पहले और बाद में भी लोग धर्म और पुराणों को समझना चाह रहे हैं, इसलिए वे श्रीमद्भगवत गीत, रामायण, हनुमान चालीसा अधिक खरीद रहे हैं। पाठकों की बदलते रुझान को देखते हुए रूपा पब्लिकेशन ने अपनी 1500 रुपये की रामायण 200 रुपये में पाठकों के लिए रखी है और पाठकों की हमें खूब सराहना मिल रही है। पहले हम 50 साल से ऊपर के पाठकों को माइथोलॉजी की किताबें खरीदते देखते थे, लेकिन इस बार ताज्जुब भी हो रहा है और खुशी भी है कि इन विषयों को पढ़ने वाले 25 से 35 साल के युवाओं की तादाद बढ़ी है। स्कूली किताबों से हटकर बच्चे बाल रामायण भी पढ़ रहे हैं। यहाँ विदेश मंत्री एस. जयशंकर की पुस्तक ‘व्हाई भारत मैटर्स’ युवाओं की डिमांड पर है।

अटलांटिक पब्लिशर के जनरल मैनेजर नितिन शर्मा मानते हैं कि फिक्शन और नॉन फिक्शन पहले से ही लोगों की पसंद थी, खासकर युवाओं की, लेकिन इस बार शास्त्रीय साहित्य भी उनकी रीडिंग हैबिट में शुमार हुआ है। हालाँकि हमारे पास ज्यादातर इंग्लिश के टाइटल होते हैं लेकिन अब अन्य भाषाओं की माँग बढ़ी है और इस पर हर प्रकाशक काम कर रहा है। वे भाषाओं में प्रकाशन को बेहतरीन अवसर के रूप में देख रहे हैं।

प्रभात प्रकाशन पर प्रसिद्ध लेखक अक्षत गुप्ता की पुस्तक ‘द हिडन हिंदू’ के स्टॉल पर पाठकों की भारी भीड़ है। मोहित शर्मा जो प्रभात प्रकाशन के बिजनेस डिवेलपमेंट मैनेजर हैं, उनका मानना है कि पाठकों में धार्मिक पुस्तकें या कहें ऐसे स्क्रिप्टिड उपन्यास अधिक पसंद किए जा रहे हैं, जिनका संबंध कहीं—न—कहीं धर्म या पुराणों से है। युवा पाठक मनुस्मृति, रामचरितमानस भी ले रहे हैं और स्टॉक मार्केट या ऐसी किताबें भी माँग रहे हैं जो उनकी सेल्फ वेल्यू और ग्रोथ से जुड़ी हैं। हमारे पास 28 विभिन्न राज्यों की लोककथाओं की किताबें हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि पाठक इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं। वे जिस राज्य से जुड़े हैं, वहाँ की क्या परंपराएँ, संस्कृति है, उन्हें वे इन लोककथाओं के जरिये जानना चाहते हैं।

लगभग एक साल पहले स्थापित पैंग्विन स्वदेश का लक्ष्य है कि अंग्रेजी के साथ—साथ हिंदी भाषा के पाठकों को भी आकर्षित किया जाए। बहुचर्चित उपन्यास ‘अग्नि की लपटें’ के लेखक और पैंग्विन स्वदेश के संपादक तेजपाल सिंह धामा कहते हैं— पैंग्विन ग्रुप के पास वैसे तो हर विषय की किताबें हैं, लेकिन नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के पिछले पाँच दिनों की बात करें तो युवा सबसे पहले तो इस बात के लिए बड़े उत्साहित हैं कि पैंग्विन की बेस्ट सेलिंग टाइटल हिंदी में उनके लिए उपलब्ध हैं। वे सेल्फ हैल्प की पुस्तकें ले रहे हैं, जो उनके नैतिक विकास, देश के विकास या उनके आत्मनिर्भर बनने में मददगार होती हैं। पैंग्विन के बाल साहित्य की बच्चों के बीच अलग पहचान बनी है। सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे युवा हमारी इतिहास की पुस्तकें भी खूब खरीद रहे हैं।

नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच में पुणे पुस्तक महोत्सव, महाराष्ट्र, जागतिक पुस्तक महोत्सव और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत  द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. श्यामा घोणसे की पुस्तक ‘क्रांतदर्शी महात्मा बसवेश्वर’ और वर्षा परगट की पुस्तक ‘श्री कृष्ण’ का विमोचन भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े, महाराष्ट्र सरकार के वन, सांस्कृतिक मामलों और मत्स्य पालन के कैबिनेट मंत्री सुधीर सच्चिदानंद मुनगंटीवार, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के अध्यक्ष प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे एवं निदेशक युवराज मलिक द्वारा किया गया।

आयोजित सत्र में विनोद तावड़े ने कहा कि “हर महापुरुष के विचार अपने आप में प्रेरणादायक हैं। महात्मा बसवेश्वर जी की कई बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। मुझे खुशी है कि आजकल के युवा अच्छा साहित्य पढ़ रहे हैं।” बुधवार को श्री अनुराग अग्रवाल हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले का दौरान किया और सभी से पुस्तकें पढ़ने का आह्वान किया।

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