डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 122वीं जयंती पर उन्हें दिल्ली भाजपा ने यूं किया याद ,वीरेंद्र सचदेवा और मीनाक्षी लेखी ने कह दी ये बात

नई दिल्ली। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 122वीं जन्म जयंती के अवसर पर आज गुरुवार दिल्ली के शहीदी पार्क स्थिति उनकी प्रतिमा पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ वरिष्ठ पदाधिकारियों, सांसदों, विधायकों, पार्षदों एवं कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी, नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष सरदार राजा इकबाल सिंह, सांसद डॉ हर्षवर्धन एवं रमेश बिधूड़ी, विधायक विजेंद्र गुप्ता, अजय महावर, अभय वर्मा एवं अनिल वाजपेयी, प्रदेश पदाधिकारी हर्ष मल्होत्रा, दिनेश प्रताप सिंह, अशोक गोयल, विष्णु मित्तल, नीमा भगत, सरदार इम्प्रीत सिंह बख्शी, संतोष पाल, विक्रम मित्तल एवं  हुकुम सिंह सहित पूर्व प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू, प्रदेश प्रवक्ता एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

 

इस मौके पर वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक ऐसे विचारवादी व्यक्ति थे जिन्होने मात्र 52 वर्ष की अल्प आयु में देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। उन्होंने बंगाल और पंजाब को भारत से अलग होने से बचाया और जब तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए थे और भारत के विभाजन का प्रस्ताव मान लिया था उस वक्त एकलौते डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई नहीं तो आज पूरा पंजाब और बंगाल पाकिस्तान में होता।

श्री सचदेवा ने कहा की यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि विभाजन के समय जो भूमि पाकिस्तान को जानी थी उसका भी पहला विभाजन डा. मुखर्जी के विरोध के चलते हुआ।

उन्होंने कहा कि आज हमें इस बात की खुशी है कि कश्मीर से धारा 370 को हटाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही मायने में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

इस मौके पर मीनाक्षी लेखी ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की चर्चा शुरु होते ही कश्मीर ध्यान में आता है। एक देश में दो विधान दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेगा का नारा देकर उन्होंने देश की एकता और अखंडता में अपना योगदान दिया। उन्होंने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पहली औद्योगिक नीति की नींव रख भारत की प्रगति के मार्ग प्रशस्त किये और सही मायनों में आजादी के बाद उन्होंने नए भारत की नींव रखी। बंगाल विभाजन के वक्त उन्होंने संघर्ष किया और 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के  सबसे युवा कुलपति बनना डॉ मुखर्जी की प्रतिभा को दर्शाता है।

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