राम फिर लौटे- राम मंदिर निर्माण की यात्रा का इतिहास समेटे है वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा की पुस्तक

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं  समीक्षक  

अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण और उसके उद्घाटन को लेकर देश-विदेश में अपार उत्साह साफ दिख रहा है। हालांकि राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण की ऐतिहासिक और गौरव शाली यात्रा की एक बड़ी कहानी है। अब इस बड़ी और मुश्किल कथा को एक पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ (Ram Phir Laute) में पढ़ा और समझा जा सकता है। पुस्तक के लेखक वरिष्ठ और जाने माने पत्रकार हेमंत शर्मा (Hemant Sharma) हैं। जिन्होंने अपनी इस पुस्तक में राम मंदिर निर्माण और आंदोलन का 500 बरस का इतिहास समेट कर रख दिया है।

पुस्तक का प्रकाशन देश के प्रसिद्द और प्रतिष्ठित  ‘प्रभात प्रकाशन’(Prabhat Prakashan) ने किया है।

हाल ही में इस पुस्तक का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने किया। दिल्ली के आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता विश्व हिन्दू परिषद (Vishva Hindu Parishad) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार (Alok Kumar) ने की।

जबकि स्वामी ज्ञानानन्दजी महाराज और न्यायमूर्ती हेमत गुप्ता (Hemant Gupta) विशिष्ट अतिथि थे। यूं समारोह में प्रकाशक प्रभात कुमार (Prabhat Kumar) और पीयूष कुमार (Piyush Kumar) सहित विश्व हिन्दू परिषद के दिल्ली अध्यक्ष कपिल खन्ना (Kapil Khanna) और देश के अनेक विशिष्ट लेखक, पत्रकार और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी  मौजूद थे।

‘राम फिर लौटे’(Ram Phir Laute) 304 पृष्ठ की ऐसी पुस्तक है जिसमें कुल 8 अध्याय हैं। लोकमंगल की अयोध्या (Ayodhya) , सबके राम, सीय राममय सब जग, शताब्दियों का तप, भूगर्भ की गवाही- अदालत का फैसला, भारतीयता का तीर्थ, मंदिर के साधक और समय साक्षी है।

पुस्तक का एक अहम पक्ष यह भी है कि इसमें सन 1528 के उस दौर से 22 जनवरी 2024 का वर्ष-तिथि के अनुसार विवरण भी है। जब बाबर ने मंदिर तोड़कर यहाँ मस्जिद बनवाई और अब जब 500 बरसों बाद फिर से राम लला मंदिर में विराजे।

बता दें लेखक हेमत शर्मा (Hemant Sharma) का जन्म तो  बनारस में हुआ। लेकिन उनका अयोध्या (Ayodhya) से पुश्तैनी रिश्ता है। पत्रकारिता में गणेश शंकर विद्यार्थी जैसा शिखर पुरस्कार प्राप्त कर चुके, हेमंत शर्मा (Hemant Sharma) अयोध्या, काशी और कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पहले भी कई उल्लेखनीय पुस्तकें लिख चुके हैं।

हेमंत शर्मा कहते हैं-‘राम फिर लौटे’ पुस्तक मैंने भगवान श्रीराम की प्रेरणा और उनके आदेश से  लिखी है। मुझे लगा था कि राम मंदिर और इसके 500 बरस के आंदोलन तथा इतिहास पर मैं डेढ़-दो महीने में नहीं लिख सकता। लेकिन रात में मुझे किसी ने कहा-तुम लिखो, तुम लिख सकते हो।

समारोह में स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज (Swami Gyanandji Maharaj) ने कहा कि प्रभु श्री राम (Shri Ram) हमारी पूजा, आस्था,परंपरा ही नहीं हमारी अस्मिता हमारी पहचान भी हैं। राम हमारे मंदिर में, हमारे मन मंदिर में और हमारे कण कण में हैं। राम जब शबरी से मिलने गए तब वह बोले  कि वह यहां अपनी स्तुति करवाने नहीं बल्कि उनकी स्तुति करने आए हैं।

संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले (Dattatreya Hosabale) ने कहा कि राम मंदिर (Ram Mandir) के लिए एक-दो बार नहीं 72 बार आंदोलन हुए। आंदोलन की वजह से ही देशभर के अंदर प्रचंड राम वातावरण का निर्माण हुआ। हेमंत शर्मा जी की भगवान राम और अयोध्या पर यह तीसरी पुस्तक है। उनकी इस पुस्तक में राम का तत्व है तो तुलसी का सत्व भी।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पूर्व न्यायधीश हेमंत गुप्ता (Hemant Gupta) ने कहा कि पुस्तक में लिखा है कि राम मंदिर (Ram Mandir) के लिए पहला आंदोलन एक सिख, निहंग सिंह खालसा ने किया था। राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इस बात को सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है।

विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार (Alok Kumar) ने कहा कि  500 बरस का इंतजार और बीस पीढ़ियों का त्याग और संघर्ष अब रंग ला रहा है। राम मंदिर (Ram Mandir) की प्रतीक्षा देवता भी कर रहे हैं। 22 जनवरी को लोग इस दृश्य को टीवी पर ना देख अपने पड़ोस के मंदिर में जाएँ और उसे ही अयोध्या जाना समझें।

 

Related Articles

Back to top button