Looted India- Cost of an Empire Film: भारतीय खजाने की लूट पर बड़ा सच दिखाती एक फिल्म ‘लूटा गया भारत’, इस प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं फ्री

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक 

हमारा देश कभी ‘सोने की चिड़िया’ के नाम से मशहूर था। लेकिन सदियों से विदेशी लोग भारत के बहुमूल्य खजाने को लूट कर जिस तरह विदेशों में ले गये। उसकी कितनी ही कहानियाँ इतिहास के पन्नों में भरी पड़ी हैं। उसी इतिहास के कुछ पन्नों को ‘आर टी (रशिया टुडे) डॉक्युमेंट्री (RT Documentary) ने एक वृत चित्र में सँजोकर एक सराहनीय कार्य किया है।

हाल ही में दिल्ली के रशियन केंद्र (Russian Centre) में इस वृत चित्र का पहला ऑफ लाइन प्रदर्शन किया तो हमारे जख्म फिर हरे हो गए। यह एक डॉक्यू ड्रामा है जिसका नाम ‘लूटेड इंडिया –कॉस्ट ऑफ एन एम्पायर’ (Looted India: Cost of an Empire) है। यह फिल्म हिन्दी और अँग्रेजी दोनों भाषाओं में है। हिन्दी में इसका नाम ‘लूटा गया भारत-एक साम्राज्य की कीमत’ है।

फिल्म के निर्माता नागार्जुन रेड्डी (Nagarjuna Reddy) है। जबकि आर टी डॉक्यूमेंटरी (RT Documentary) ब्रॉडकास्टिंग के प्रमुख एकातेरिना याकोवलेवा (Ekaterina Yakovleva) और फिल्म के निर्देशक-लेखक आर्टेम वोरोबे (Artem Vorobey) ने फिल्म को प्रस्तुत किया है।

यह फिल्म दर्शाती है कि भारत को अंग्रेजों ने किस तरह अपना गुलाम बनाते हुए विदेशी शिक्षा और संस्कृति को हम सब पर थोपा। साथ ही भारतीय सभ्यता, इतिहास और सांस्कृतिक से जुड़े खजाने को किस किस तरह लूटा और अब उसमें से कितनी ही धरोहर ब्रिटिश संग्रहालय में रखी हैं।

फिल्म की कहानी के मुख्य पात्र जरत चोपड़ा (Jarat Chopra) हैं। जो मुल्तान राज्य के शासक दीवान मूलराज के वंशज हैं। वह अपने पूर्वजों की उस तलवार को भारत वापस लाने की भरसक कोशिशों में जुटे हैं, जिस तलवार को 1849 में ब्रिटिश अधिकारी विलियम ने लूटा था।

फिल्म में देश के विभिन्न हिस्सों के कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों के कथन को दिखाकर विदेशियों की लूट और इतिहास बताया गया है। जिनमें विक्रम सम्पत (Vikram Sampath), तरुण विजय (Tarun Vijay), मंदिरा रो, सी एस रंगारजन, अचला मौलिक, विनायक कललेटला और किश्वर देसाई (Kishwar Desai) जैसे नाम शामिल हैं।

इस फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद एक पेनल चर्चा भी रखी गई, जिसमें फिल्म के प्रमुख पात्र और अंतरराष्ट्रीय वकील जरत चोपड़ा ने भी वर्चुअल रूप से भाग लिया। इस चर्चा में विदेश नीति के जानकार सुवरोकमल, ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय फोरम की अध्यक्ष पूर्णिमा आनंद, फिल्म के निर्देशक-लेखक आर्टेम वोरोबे (Artem Vorobey) के साथ डॉ शशांक शेखर सिंहा और विनायक कललेटला (Vinayak Kalletla) भी मौजूद रहें।

अच्छी बात यह है कि इस फिल्म को आर टी डॉक्यूमेंटरी (RT Documentary) के प्लेटफॉर्म एआरटेलडॉकडॉट टीवी (ARTEL Doc.TV) https://arteldoc.tv/ पर ऑनलाइन मुफ्त देखा जा सकता है।

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