100 वर्ष के जात्रा सिंह सहित प्रताप सहगल,रघुवीर मलिक, शेवलीकर, सुस्मिता मिश्रा को संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार, उपराष्ट्रपति ने कुल 84 व्यक्तियों को दिया प्रदर्शन कला का सर्वोच्च सम्मान, मेघवाल और मीनाक्षी लेखी भी रहे मौजूद

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक   

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार यूं तो 1952 से प्रदान किए जा रहे हैं। प्रदर्शन कला में ये पुरस्कार देश का सर्वोच्च सम्मान हैं। लेकिन इस बरस के ये पुरस्कार अलग और बेहद खास रहे।

इस बरस संगीत नाटक अकादमी ने जिन 84 कला विभूतियों को सम्मानित किया, उन सभी की उम्र 75 बरस से अधिक थी। ऐसा इसलिए किया गया कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के मौके पर उन्हीं लोगों को सम्मानित किया जाये जिन्होंने आज़ादी के 75 बसंत देखे हों। साथ ही उन्हें अभी तक कोई भी राष्ट्रीय सम्मान ना मिला हो। जिससे साफ है वे विभूतियाँ जो नृत्य, संगीत और कला क्षेत्र में काम तो बरसों से कर रहे हैं। लेकिन उन्हें पुरस्कार देने के मामले में हमेशा भूला दिया जाता रहा। कला, संगीत की दुनिया के ऐसे भुला दिये सितारे जब 16 सितंबर को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में एकत्र हुए तो पूरा सभागार चमक उठा।

विजेताओं को खुशी थी उनकी संध्या बेला में उन्हें संगीत नाटक अकादमी ने, भारत सरकार ने याद किया। इन 84 पुरस्कारों में 70 पुरुष थे और 14 महिलाएं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जब कला, नृत्य और संगीत की इन हस्तियों को सम्मानित कर रहे थे तो वह भी भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा- इन कलाकारों के अमूल्य योगदान को पहले ही मान्यता मिल जानी चाहिए थी। एक कलाकार ने मुझसे कहा कि 70 साल की तपस्या के बाद यह दिन देखने को मिला है। सपने में भी नहीं सोचा था कि अब सम्मान मिलेगा।‘’

जिन व्यक्तियों को ये सम्मान प्रदान किए गए उनमें 100 बरस की सबसे अधिक उम्र के मणिपुर के युमनाम जात्रा सिंह भी थे। जिन्हें नट संकीर्तन में किए गए अनुपम योगदान के लिए ये पुरस्कार दिया गया। विजेताओं में 90 से अधिक उम्र के 13 और 80 से अधिक उम्र के 38 कलाकार हैं।

इस सम्मान में सम्मानित होने वाली हस्तियों में दिल्ली की भी 3 प्रतिभाएं भी रहीं। जिनमें नाट्य लेखन के लिए प्रताप सहगल, अभिनय के लिए सूर्य कुमार और ओडिसी नृत्य के लिए कुमकुम लाल को सम्मानित किया गया।

पुरस्कार विजेताओं में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, असम, मणिपुर, बिहार, पंजाब, जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, ओड़ीसा और कर्नाटक राज्यों की विभूतियाँ शामिल थीं। जिनमें दो कलाकारों-कर्नाटक की गौरी कुप्पुस्वामी को गायन के लिए तथा महाभाष्यम चितरंजन को संगीत के लिए यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया। हाल ही में इन दोनों का निधन हुआ है।

जिन कलाकारों को ये पुरस्कार प्रदान किए गए उनमें कथक के लिए पूर्णिमा पांडे, सुस्मिता मिश्रा, गिरधर महाराज, पदम शर्मा, चरण गिरधर चाँद को तो भरतनाट्यम के लिए ललिता श्रीनिवासन, विलासिनी देवी कृष्णपिल्लई और थंकमणि कुट्टी और कुचीपुड़ी के लिए स्मिता शास्त्री के नाम शामिल हैं।

वहीं रंगमंच के लिए सरताज नारायण माथुर, भारत रत्न भार्गव, सुशील कुमार सिंह और सुमन कुमार को पुरस्कार दिये गए। जबकि लोक संगीत, लोक नृत्य और लोकमंच के लिए नारायण सिंह, भैरो दत्त तिवारी, हकीम खान, महाबीर नायक, हरिश्चंद्र प्रभाकर बोरकर भारत सिंह भारती सहित कुछ अन्य कलाकार भी सम्मानित किए गए।

उधर हिन्दुस्तानी संगीत और गायन के लिए रघुवीर मलिक, दीनानाथ मिश्रा, वसंत राम भाऊ शेवलीकर आदि को। और नृत्य के लिए धर्मेश्वर नाथ, कर्नाटक संगीत और गायन के लिए अनसूया कुलकर्णी, कोलका लक्ष्मण राव सहित अन्य को भी इन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वहीं पंडित राघ्युला सत्यनारायण को हरी कथा वाचन के लिए पुरस्कृत किया गया।

ऐसे ही सितार वादन के लिए भीम सेन शर्मा, वायलिन के लिए मिनौती खोंड को और तबला वादन के लिए किरण सदाशिव देशपांडे को भी संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार मिला।

संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति के साथ  विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी तो समारोह में मंच पर मौजूद थे ही। साथ ही संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा भी मंच पर उपस्थित थीं। जो स्वयं नृत्य क्षेत्र के लिए कुछ बरस पूर्व संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। अब वह अकादमी की अध्यक्ष बनकर, उन कलाकारों को इस पुरस्कार से सम्मानित करवा रही थीं, जो अभी तक इस बड़े सम्मान से वंचित थे।

इन पुरस्कारों के लिए लगभग 500 आवेदन प्राप्त हुए थे। निर्णायंक मण्डल ने इनमें से 84 का चयन किया।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि ऐसे बहुत कम देश हैं जिनकी संस्कृति 500-700 साल पुरानी है। जबकि भारत की संस्कृति 5000 वर्षों से अधिक पुरानी है। इसलिए भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने मीडिया से भी हमारी सांस्कृतिक विरासत को पहचान दिलाने का आह्वान किया और हमारे कलाकारों का व्‍यवस्थित तरीके से रक्षण, समर्थन और पोषण करने की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री धनखड़ ने सम्मानित किए गए 75 वर्ष से अधिक आयु के इन सभी अनुभवी कलाकारों की प्रशंसा करते हुए  कहा कि ये हमारी सांस्कृतिक विरासत के वास्तुकार और वास्तविक संरक्षक हैं। उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक मंच पर भारतीय संस्कृति के वैभवशाली प्रदर्शन की भी सराहना की और विश्वास व्‍यक्‍त किया कि सही नेतृत्व के साथ भारत 2047 में वैश्विक मंच के शिखर पर पहुंचेगा।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा – ‘’आज मैं बहुत ऋणी होकर जा रहा हूँ कि मुझे एक साथ ऐसे कई महानुभावों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है, जिन्होंने उस कला को जीवित रखा है जिस पर सदियों से आक्रमण होता रहा।‘’

इस अवसर पर विधि एवं न्याय, संस्कृति एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह बेहद गर्व की बात है कि आज हम संगीत, नृत्य और रंगमंच के क्षेत्र में अथक परिश्रम करने वाली महान विभूतियों का सम्मान कर रहे हैं। आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रदर्शन कला के क्षेत्र में संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार हमारे प्रतिष्ठित शिक्षकों के लिए बड़े गौरव और सम्‍मान की बात है। उन्होंने कहा कि ये कलाकार हमारी सांस्कृतिक विरासत के वास्‍तविक नायक हैं।

उधर संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि भारत अनेकता में एकता वाला देश है और यहां सदियों पहले से नृत्य, संगीत और रंगमंच की विभिन्न विधाएं मौजूद हैं। हमारे बुजुर्ग कलाकार सांस्कृतिक मूल्यों से परिपूर्ण हमारी सदियों पुरानी सभ्यता के पथप्रदर्शक हैं।

संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार एक ऐसा राष्ट्रीय सम्मान है, जो प्रदर्शन कला के क्षेत्र के  कलाकारों के साथ-साथ शिक्षकों और विद्वानों को भी प्रदान किया जाता है। इसके प्राप्‍तकर्ताओं का चयन अकादमी की सामान्‍य परिषद द्वारा किया जाता है, जिसमें इन विधाओं के प्रतिष्ठित संगीतकार, नर्तक, रंगमंच कलाकार, विद्वान और भारत सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के नामांकित व्यक्ति शामिल होते हैं। इसमें पुरस्‍कार स्‍वरूप एक लाख रुपये की नकद राशि के साथ एक ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम भी प्रदान किया जाता है।

पुरस्कार समारोह के बाद संगीत नाटक अकादमी के मेघदूत सभागार में 16 से 20 सितंबर तक प्रतिदिन शाम 6 बजे संगीत नाटक अकादमी अमृत पुरस्कार प्राप्त करने वाले कलाकारों की प्रस्‍तुतियों के साथ प्रदर्शन कला महोत्सव का आयोजन भी किया।

 

 

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