जापान के बाद इस देश के लिए पीएम मोदी हुए रवाना, पहली बार भारत का प्रधानमंत्री रखेगा यहाँ की धरती पर कदम

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी तीन देशों जापान, पापुआ न्‍यू गिनी और ऑस्‍ट्रेलिया की यात्रा के दूसरे चरण में आज जापान से पापुआ न्‍यू गिनी के लिए रवाना हो गए। प्रधानमंत्री मोदी पापुआ न्‍यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्‍स मरापे के साथ कल 22 मई को संयुक्‍त रूप से तीसरे हिन्‍द-प्रशांत द्वीप सहयोग फोरम (एफ आई पी आई सी) की बैठक की मेजबानी करेंगे।

एफ आई पी आई सी की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की नवंम्‍बर 2014 में फिजी की यात्रा के दौरान हुई थी। एफ आई पी आई सी में भारत सहित 14 प्रशांत द्विपीय देश शामिल हैं। इन देशों में फिजी, पापुआ न्‍यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरीबाती, समोआ, वानुवातु, नियु, फेडरेटेड स्‍टेट ऑफ माइक्रोनेशिया, रिपब्लिक ऑफ मार्शल आईलैंडस, कुक आईलैंडस, पलायू, नायुरू और सोलोमन आईलैंड शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी पापुआ न्‍यू गिनी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को लेकर बैठकों में हिस्‍सा लेंगे। इसमें गर्वनर जनरल बॉब डोडाय और प्रधानमंत्री जेम्‍स मरापे के साथ बैठक शामिल हैं। यह भारत के प्रधानमंत्री की पहली पापुआ न्‍यू गिनी की यात्रा है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज रविवार 21 मई की सुबह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ हिरोशिमा में द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने भारत और ब्रिटेन के बीच सामरिक साझेदारी की समीक्षा की और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में हुई प्रगति का जायजा लिया। दोनों नेता व्‍यापार एवं निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उच्‍च शिक्षा और दोनों देशों के आम लोगों के बीच परस्‍पर संबंधों जैसे विभिन्‍न क्षेत्रों में सहयोग को और बेहतर बनाने पर सहमत हुए।

प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 शिखर वार्ता से इतर ब्राजील के राष्‍ट्रपति लूला डि सिल्‍वा के साथ कारगर बातचीत की। एक ट्वीट संदेश में नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि व्‍यापारिक संबंधों को और अधिक बेहतर बनाने के लिए भारत और ब्राजील परस्‍पर मिलकर साथ काम करते रहेंगे। उन्‍होंने कृषि और रक्षा क्षेत्र के अलावा विविध क्षेत्रों में आपसी सहयोग पर भी चर्चा की। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय विकास के मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्‍होंने बहुपक्षीय प्‍लेटफॉर्म के महत्‍व और इस दिशा में लगातार सहयोग पर जोर दिया। उन्‍होंने बहुपक्षीय संस्‍थानों में दीर्घकालिक सुधार की जरूरत पर बल दिया। यह दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक थी।

जापान के हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने शांतिपूर्ण, स्‍थायी और समृद्धशाली विश्‍व विषय पर आयोजित कार्यकारी सत्र में भी हिस्सा लिया। सत्र के शुरूआती संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन मानवता और मानवीय मूल्‍यों से जुड़ा हुआ विषय है। उन्‍होंने खास तौर से कहा कि भारत शुरूआत से ही कहता आ रहा है कि बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्‍ता है। उन्‍होंने कहा कि भारत का हमेशा से मानना है कि किसी भी तनाव या किसी भी विवाद का समाधान बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि वैश्विक शांति स्थिरता और संवृद्धि सभी का साझा उद्देश्‍य है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में खाद्य, ईधन और उर्वरक संकट का गंभीर असर का सामना विकासशील देशों को करना पड़ा है। उन्‍होंने आगे कहा कि सभी देशों के लिए यह जरूरी है कि वह यून एन चार्टर, अंतर्राष्‍ट्रीय कानून एवं संप्रभुता और सभी राष्‍ट्रों के क्षेत्रीय अखंडता का सम्‍मान करें।

क्‍वॉड शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भारत क्षेत्रीय स्‍तर पर मांग आधारित विकास एवं सहयोग के जरिए इन प्रयासों को बढ़ावा देने में योगदान दे रहा है। उन्होंने क्वॉड के रचनात्मक एजेंडे को मजबूत करने और इस क्षेत्र के लिए ठोस परिणाम देने के महत्व पर जोर दिया।

एक ट्वीट संदेश में उन्‍होंने कहा कि जापान की यात्रा काफी सार्थक और उपयोगी रही। प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-7 शिखर सम्‍मेलन में वैश्विक नेताओं से मुलाकात के दौरान विभिन्‍न मुद्दों पर उपयोगी चर्चा हुई। उन्‍होंने जापान सरकार, वहां के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और स्‍थानीय लोगों का गर्मजोशी भरा स्‍वागत के लिए आभार जताया।

इससे पहले रविवार की सुबह नरेंद्र मोदी हिरोशिमा में पीस मेमोरियल म्‍यूजियम गए और वहां प्रदर्शनी में रखे दस्‍तावेज देखे, साथ ही आगन्‍तुक पुस्तिका में संदेश भी लिखा। सभी नेताओं ने हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क में श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्वॉड नेताओं को 2024 में अगले क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए भारत आमंत्रित किया।

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