राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में मिथिला रंग महोत्सव का भव्य आयोजन, हिन्दी और मैथिली के नाटक देख दर्शक हुए भाव विभोर

दिल्ली की मैलोरंग (मैथिली लोक रंग) नाट्य संस्था विगत 16 वर्षों से लगातार ‘मिथिला रंग महोत्सव’ का आयोजन कर रही  है। इस वर्ष यह महोत्सव  2 और 3 सितम्बर को  राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली  के सम्मुख सभागार में आयोजित किया गया। आयोजन में  मैलोरंग, के साथ दिल्ली की अष्टदल कला अकादमी, जय जोहार फॉउण्डेशन, अभिनंदन, धनार्या प्रोडक्शन आदि ने हिस्सा लिया।

इस महोत्सव के लिए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के साथ साथ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, संगीत नाटक अकादमी आदि ने सहयोग दिया था ।

महोत्सव के पहले दिन  राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक एवं सुविख्यात लेखक अमिताभ श्रीवास्तव, हिंदी अकादमी दिल्ली के उप-सचिव ऋषि कुमार शर्मा, एन.सी.आर.टी. भोपाल केंद्र के डॉ. अरुणाभ सौरभ विशिष्ट अतिथि थे। आयोजन का प्रारम्भ ‘गणेश-अष्टकम्’ से हुआ जिसमें मंजूषा एवं ईशिका ने नृत्य प्रस्तुति दी।

इसके बाद रमन कुमार के निर्देशन में  अमिताभ श्रीवास्तव लिखित ‘दास्तान – ए – झांसी’ का मंचन हुआ।  यह नाटक रानी लक्ष्मीवाई के जीवन पर केंद्रित है, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया। नाटक के कई दृश्य तो भावुक करने वाले थे ही साथ ही नाटक का संगीत पक्ष भी प्रभावी रहा।

बता दें समारोह का प्रथम दिवस हिंदी रंगमंच को समर्पित था और दूसरा दिन मैथिली रंगमंच के लिए ।

दूसरे दिन मैथिली कथा सम्राट स्व. हरिमोहन झा लिखित सुप्रसिद्ध कथा ‘ललका पाग’ का मंचन ज्योति झा के निर्देशन में ‘जय जोहार नाट्य संस्था द्वारा किया गया । यह नाटक वर्तमान समय में दांपत्य जीवन के विच्छेदन पर प्रहार करता है। इस प्रस्तुति की खास बात यह रही कि इसमें सभी रंगकर्मी महिलाएँ ही थीं।

आयोजन की अंतिम प्रस्तुति प्रकाश झा के निर्देशन में ‘मीनाक्षी’ (राजनर्तकी मनकी) की रही। यह कथा 1070 ई. में मिथिला के राजा नान्यदेव तथा बंगाल के राजा बल्लालसेन के मध्य हुई लड़ाई के केंद्र विंदु पर आधारित है। इसे लेखक  स्व. मन मोहन झा हैं। उनके पुत्र एन. एन. झा मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित भी  रहे।

‘मीनाक्षी’ की कथा  इतिहास में एक मात्र ऐसी लड़ाई है जो  सिर्फ और सिर्फ दुर्लभ ग्रंथों को लूटने के लिए लड़ी गई थी। राजा नान्यदेव की राजनर्तकी मीनाक्षी अपनी कौशल और बुद्धिमत्ता से मिथिला की दुर्लभ पाण्डुलिपि ही नहीं बचाती है बल्कि अपने राजा नान्यदेव का जीवन एवं मिथिला राज्य को अपनी जिंदगी की आहूति देकर सुरक्षित कर देती है। नाटक के मुख्य अभिनेता रमण कुमार और सुरभि झा सहित अन्य लगभग सभी कलाकारों का अभिनय सराहनीय रहा। साथ ही प्रकाश झा का निर्देशन भी बहुत अच्छा रहा।

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