संस्कृत दिवस पर महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय का विशाल आयोजन, लेखन में प्रशिक्षण के साथ पुरस्कार भी

संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा के कैथल में स्थित महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय इन दिनों संस्कृत सप्ताह मना रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। तीन दिन के इन कार्यक्रमों की शुरुआत शुक्रवार 1 सितंबर से हो चुकी है। तो वहीं शनिवार 2 सितंबर को कार्यक्रम का दूसरा दिन था। जिसके बाद अब आज सोमवार 4 सितंबर को तीसरे दिन के कार्यक्रम के साथ ही इसका समापन होगा।

प्रत्येक वर्ष श्रावणी पूर्णिमा को विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी दौरान संस्कृत दिवस से तीन दिन पूर्व व तीन दिन बाद संस्कृत सप्ताह के शुभ अवसर पर संस्कृत कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इस वर्ष विश्वविद्यालय में कार्यशाला का उद्घाटन 1 सितम्बर शुक्रवार को हुआ। सम्मानित अतिथियों ने दीप प्रज्वालन करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया इस दौरान ज्योतिष विभाग के छात्र अभिषेक ने मंगलाचरण किया।

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के कुलपति प्रो. रमेशचन्द्र भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को सहनाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै की भावना के साथ संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृतमय वातावरण बनाने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत को व्यावहारिकता में लाने की आवश्यकता है। संस्कृत में समस्त ज्ञान निधि समाहित है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में संस्कृत लेखन कौशल का विकास हो अत: इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

कार्यशाला में पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ के संस्कृत विभाग के अनुसन्धाता गुरजीत सिंह प्रशिक्षक के रूप में संस्कृत लेखन कौशल संवर्धन हेतु प्रशिक्षण दे रहे हैं।

कार्यशाला में छात्रों को संस्कृत भाषा में निहित आधारभूत एवं मौलिक भाषायी तत्वों का संक्षिप्त परिचय देते हुए कारक व्यवस्था, विशेष्य विशेषण भाव एवं पुरुष-व्यवस्था का ज्ञान करवाया गया। बीच बीच में छात्रों ने भी पूर्ण उत्साह एवं उमंग के द्वारा अपनी जिज्ञासाओं को सामने रखा, जिसका तुरन्त ही रोचक माध्यम से समाधान भी किया गया।

कार्यशाला में आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ सुरेन्द्रपाल, डॉ.जगत नारायण, डॉ.शर्मीला, डॉ. रामानन्द मिश्र, डॉ. देवेन्द्र, डॉ. चन्द्रकान्त, डॉ. कुलदीप, डॉ. अखिलेश, डॉ. मदन मोहन आदि उपस्थित रहे।

कार्यशाला के संयोजक डॉ. नवीन शर्मा ने जानकारी दी कि शनिवार को संस्कृत निबन्ध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ। जिसमें प्रत्येक विभाग से प्रथम 1100/-, द्वितीय 700/- व तृतीय 500/- पुरस्कार दिए गए। तो वहीं सर्वोत्तम संस्कृत निबन्ध लेखक को 2100/- रु का पुरस्कार दिया गया।

सोमवार 4 सितम्बर को विश्वविद्यालय में संस्कृत शिक्षक सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है जिसमें हरियाणा राज्य के संस्कृत शिक्षकों का पंजीकरण हो चुका है। इसमें संस्कृत सम्बन्धी विविध विषयों पर चर्चा होगी।

 

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