दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में जादूगर शंकर की धूम, वीसी योगेश सिंह ने कहा जीवंत रहा यह साल

नयी दिल्ली, कृतार्थ सरदाना। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने शताब्दी वर्ष समारोह के मौके पर, सुप्रसिद्द जादूगर सम्राट शंकर के जादुई शो का भव्य आयोजन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परिषद द्वारा यह आयोजन 3 मई को दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने स्पोर्ट्स क्लब के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित किया। समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो योगेश सिंह थे।

देश के नंबर वन जादूगर सम्राट शंकर ने अपनी जादुई कला से सभी को अभिभूत कर दिया। बड़ी बात यह थी कि उस दिन हुई मूसलाधार बरसात के बावजूद, प्रख्यात जादूगर शंकर के शो को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी । सभागार खचाखच भरा था और सभी सम्राट शंकर के जादू को मंत्रमुग्ध होकर देख रहे थे।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा  कि शताब्दी वर्ष समारोह का यह साल बहुत ही जीवंत रहा है। इस वर्ष जहां शताब्दी वर्ष को लेकर अनेकों आयोजन होते रहे, वहाँ नई नियुक्तियों और पदोन्नतियों ने भी विश्वविद्यालय को समृद्ध किया है। ज़ाहिर है किसी भी कार्यक्रम के आयोजन में  बहुत लोगों की मेहनत होती है। इसके लिए मैं वर्ष भर चले विभिन्न कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए सभी संबंधित व्यक्तियों को बधाई देता हूँ।

कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष अनूप लाठर ने कहा, जादू विज्ञान और कला का संगम है। विज्ञान और तकनीक के इस आधुनिक युग में जादू के वैज्ञानिक स्वरूप को बताकर, लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। उन्होंने शताब्दी वर्ष समारोह के विभिन्न रोचक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए कुलपति का आभार भी व्यक्त किया।

समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के डीन प्रो. रविंदर कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता,दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो.प्रकाश सिंह, शताब्दी वर्ष समारोह समिति की संयोजक प्रो. नीरा अग्निमित्रा, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मगो, प्रोक्टर प्रो. रजनी अब्बी,डीएसडबल्यू प्रो. पंकज अरोड़ा और राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल सहित और भी कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

30 हज़ार शो कर चुके हैं देश के नंबर वन जादूगर शंकर

जादूगर शंकर पिछले 45 से अधिक बरसों में देश-विदेश में  लगभग 30 हज़ार शो कर चुके हैं। वह देश के ऐसे जादूगर हैं जो अपने जादुई आइटम के माध्यम से मनोरंजन के साथ कोई ना कोई संदेश भी देते हैं। जिसमें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता, पर्यावरण और जल संरक्षण जैसे संदेश भी शामिल हैं।

सम्राट शंकर बताते हैं- जादू यंत्र, मंत्र और तंत्र का ऐसा खेल है, जिसमें कोई  टोना नहीं है। हम अपने दर्शकों को किसी अंधविश्वास में ना रख, सच बताते हैं।  यह एक ऐसी कला है जो विज्ञान के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है। इसमें हाथ की सफाई है तो कहीं  बातों का सम्मोहन भी। यह भारत की प्राचीन 64 कलाओं में से एक है। लेकिन आज जब मनोरंजन के विभिन्न साधन पग पग पर मौजूद हैं तो ये प्राचीन कला नेपथ्य में जाने लगी है। मेरे भरसक प्रयास हैं कि हमारी जिस जादू कला को विश्व ने अपनाया, वह हमारे यहाँ जीवित रहे। इसलिए हम आज भी  अपने जादू के शो नियमित रूप से कर रहे हैं। जिससे आज सभी छात्र, सभी युवा जादू कला को अच्छे से जान सकें, समझ सकें ।

 

 

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