आम बजट से लेकर अडानी मामले तक

संसद का बजट सत्र मंगलवार से शुरू गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के संबोधित किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश किया। इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार को अडाणी समूह, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सहित तमाम मुद्दों पर घेरा। विपक्ष ने महंगाई, रोजगार, चीन के साथ सीमा विवाद, अर्थव्यवस्था, सेंसरशिप सहित अन्य मुद्दों पर सरकार से कटघरे में खड़ा किया। ऐसे अनुमान के मुताबिक में बजट सत्र हंगामेदार भरा रहा। संसद का यह बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर छह अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान बीच में करीब एक माह का अवकाश भी रहेगा। बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होकर छह अप्रैल तक चलेगा। करीब 66 दिन लंबे इस पूरे सत्र के दौरान कुल 27 बैठकें होंगी। इस दौरान वित्त मंत्री 2023-24 का बजट पेश करेगी तो सरकार की कोशिश संसद में लटके विधेयकों को पास करने पर जोर होगा। राज्यसभा में 26 और लोकसभा में नौ विधेयक पारित होने की प्रतीक्षा में है।
केंद्र सरकार ने बजट सत्र से पहले विभिन्न विषयों पर आम राय बनाने के लिए सोमवार को सियासी दलों के सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक किया, जिसमें में 27 दलों के 37 नेताओं ने भाग लिया था। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संसद की कार्रवाई का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए यह बैठक बुलाई थी। बैठक में एमसीपी, टीएमसी समेत कई दल शामिल हुए थे। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां फिलहाल विदेशी एजेंसी द्वारा भारतीय पूंजीपति अडानी के खिलाफ जारी की गई रिपोर्ट और बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को भारत सरकार द्वारा बैन किए जाने के मुद्दे पर सरकार को घेरा। वामपंथी दल और आरजेडी ने भारत में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को बैन करने और अडानी के खिलाफ विदेशी एजेंसी की रिपोर्ट के साथ-साथ भारत सरकार की आर्थिक नीतियों पर सरकार को घेरेगी. आरजेडी की ओर से महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा भी सदन में उठाया।

बजट सत्र ऐसे समय शुरू हो रहा है जब तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव मुहाने पर है। इन तीन राज्यों के अलावा छह राज्यों में और भी इसी साल चुनाव होने है। अगले साल 2024 में लोकसभा आम चुनाव भी है। बजट सत्र के जरिए भी चुनावी राज्यों को साधने की कवायद की जा सकती है।

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