हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मामला

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे लाइन पर 4 हजार झुग्गियों को हटाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक 2 मई तक बढ़ा दी है। जस्टिस सौजन्य किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।

मंगलवार को एएसजी ने कोर्ट को बताया कि इसका समाधान निकालने में समय लगेगा। उन्होंने कोर्ट से इस मसले का व्यावहारिक हल निकालने के लिए समय देने की मांग की। उसके बाद कोर्ट ने 2 मई तक हाई कोर्ट के आदेश पर लगी रोक को बढ़ाने का आदेश दिया।

5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पचास हजार लोगों को सात दिनों के अंदर हटाना संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि इस मामले में कुछ लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है। कोर्ट ने कहा था कि इसमें एक मानवीय पहलू शामिल है। किसी को इस स्थिति और समस्याओं का मूल्यांकन करना चाहिए। आप यह सुनिश्चित कीजिए कि वहाँ आगे से कोई अतिक्रमण न हो।

जस्टिस कौल ने कहा है कि हमें इस मामले को सुलझाने के लिए व्यावहारिक रुख अपनाना होगा। रेलवे की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि यह रातों रात नहीं किया जा रहा है। पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। उन्होंने कहा कि नियमों का पालन हुआ है। यह मामला अवैध खनन से शुरू हुआ था।

याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा था कि भूमि का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार का है। रेलवे के पास भूमि कम है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है उसे आप कैसे डील करेंगे। लोग 50-60 साल से रह रहे हैं, कोई तो पुनर्वास की योजना होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आप विकास के लिए हटा रहे हैं। आप सिर्फ अतिक्रमण हटा रहे हैं। तब रेलवे ने कहा कि ये रातों रात नहीं हुआ है।

कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने रेलवे की जमीन खाली करने का आदेश दिया था। इससे 4365 परिवार प्रभावित होंगे। हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद इस क्षेत्र को खाली करने के लिए सात दिनों का समय दिया जाएगा। याचिका दायर करने वालों में हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोग शामिल हैं।

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