244 साल पहले आज के ही दिन हुई थी भारतीय पत्रकारिता की शुरुआत, जानिए कौन थे इसके जनक और कौनसा था देश का पहला अखबार

स्तुति सरदाना। आज पत्रकारिता के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं। प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और डिजिटल पत्रकारिता के बाद सोशल मीडिया भी पत्रकारिता का एक अभिन्न अंग बन चुका है। लेकिन जब 244 साल पहले देश में पत्रकारिता की शुरुआत हुई थी तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह माध्यम इतना शक्तिशाली हो जाएगा।

विश्व में प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार तो 15 वीं शताब्दी के मध्य में हो गया था। जब जोहन गूटनबर्ग (Johannes Gutenberg) ने ऐसे धातु के अक्षरों का आविष्कार किया जिससे पुस्तक और अखबार दोनों छापे जा सकते थे। लेकिन विश्व के पहले मुद्रित अखबार ‘रिलेशन’ (Relation Newspaper) का प्रकाशन सन 1605 में हुआ। हालांकि भारत में पहली प्रिंटिंग मशीन (Printing Machine) 1674 में पहुंची। लेकिन देश में पहले मुद्रित सार्वजनिक अखबार का प्रकाशन 1780 में हुआ। जब जेम्स ओगस्टन हिकी (James Augustus Hickey) ने कोलकाता से 29 जनवरी 1780 को ‘बंगाल गज़ट’ (Bengal Gazette) नाम से एक अँग्रेजी साप्ताहिक प्रकाशित किया।

इसीलिए हम 29 जनवरी को भारत में पत्रकारिता (Journalism in India) की शुरुआत मानते हैं। इसके अनुसार भारतीय पत्रकारिता को आज 244 वर्ष हो गए हैं।

पत्रकारिता और अखबार निकालना कितना मुश्किल और संघर्षों से भरा होगा उसका अहसास 1780 में ही हो गया था। एक तो उस समय अखबार को सरकार या धन्ना सेठों से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती थी। बल्कि ईस्ट इंडिया कंपनी की तत्कालीन  सरकार अखबारों पर अंकुश लगाने के प्रयासों में शुरू से जुट गयी थी।

अंग्रेज़ सरकार और उसके अधिकारियों की आलोचना या उन पर टीका टिप्पणी करने पर तुरंत जुर्माना और जेल की सज़ा थी। जिससे लोग अखबार निकालकर जन-जन में सरकार के विरुद्द कोई वातावरण ना बना सकें। आज़ादी की आवाज़ बुलंद न कर सकें।

‘बंगाल गज़ट’ ईस्ट इंडिया कंपनी के आला अफसरों की जिंदगी और उनके काम काज पर भी लेख प्रकाशित करता था। एक बार उसमें गवर्नर की पत्नी पर कटाक्ष करते हुए एक लेख छपा तो हिकी को, 500 रुपए जुर्माने के साथ 4 महीने के कारावास की सज़ा दे दी गयी। लेकिन इसके बावजूद अखबार में फिर से गवर्नर के साथ सर्वोच्च न्यायधीश की भी आलोचना की तो इस बार हिकी को 5000 रुपए के जुर्माने के साथ  एक साल की जेल दे दी गयी। इसलिए कई यतनाओं के चलते ‘बंगाल गज़ट’ दो साल में ही बंद हो गया। लेकिन देश का पहला अखबार निकालने के लिए हिकी और ‘बंगाल गज़ट’ का नाम इतिहास में दर्ज हो गया। तभी हम आज भी वह सब याद कर रहे हैं।

‘बंगाल गज़ट’ (Bengal Gazette)को देख कुछ अन्य लोगों ने कुछ और अँग्रेजी अखबार निकाले। जिनमें कुछ ने सरकार के पक्ष में लिखा तो उन्हें आर्थिक सहायता भी मिलने लगी। लेकिन कुछ ने अंग्रेज़ सरकार के आगे घुटने टेकने की जगह उनके जुर्मों को सहते हुए भी अखबार निकाला।

हालांकि हिन्दी का अखबार छापने में काफी विलंब हुआ। हिन्दी से पहले भारतीय भाषा का पहला अखबार बांग्ला  में 1819 में ‘संवाद कौमुदी’ आया। जिसका प्रकाशन राजा राम मोहन राय (Raja Ram Mohan Roy) ने किया था। इसके बाद 1822 में गुजराती अखबार ‘मुंबईना समाचार’ का प्रकाशन हुआ। लेकिन हिन्दी का पहला अखबार ‘बंगाल गज़ट’ के  प्रकाशन के 46 साल बाद संभव हो सका। ।

 हिन्दी का प्रथम  समाचार पत्र  ‘उदन्त मार्तण्ड’

हिन्दी का पहला अखबार था –‘उदन्त मार्तण्ड’ । जिसका प्रकाशन 30 मई 1826 को हुआ। इसीलिए हम हर बरस 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इसका प्रकाशन कानपुर निवासी जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता  से किया। यह एक साप्ताहिक पत्र था जिसका प्रकाशन प्रत्येक मंगलवार को होता था। लेकिन सरकार ने इस हिन्दी पत्र को भी कोई आर्थिक सहायता तो क्या डाक से भेजने की भी सुविधा नहीं दी। हालांकि कई कठिनाइयों के चलते भी शुक्ल जी इसे करीब डेढ़ साल तक प्रकासित करते रहे। लेकिन 79 अंक प्रकाशन के बाद दिसंबर 1827 में ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन भी बंद हो गया। लेकिन देश के प्रथन हिन्दी समाचार पत्र होने का इसका गौरव बरकरार है।

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