पिछले नौ वर्षों में, विद्युत क्षेत्र में 17 लाख करोड़ रुपये का हुआ निवेश, विद्युत और ऊर्जा मंत्री RK Singh ने दी जानकारी

केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने कहा है कि बिजली सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा है, जो विकास के लिए अनिवार्य है और उन्होंने बताया कि एक विकासशील तथा विकसित देश के बीच एक प्रमुख अंतर करने वाली विशेषता यह है कि एक विकसित देश में लोडशेडिंग नहीं होती है। उन्होंने कहा, ‘कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक उसके पास पर्याप्त बिजली न हो। भारत में बिजली की कमी 2014 में लगभग 4.5 प्रतिशत थी जो आज घटकर एक प्रतिशत से भी कम रह गई है। हमने 19 महीनों में 29 मिलियन घरों में बिजली पहुंचाते हुए सार्वभौमिक बिजली पहुंच सुनिश्चित की है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने बिजली क्षेत्र के इतिहास में ऊर्जा पहुंच का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ विस्तार कहा है।” केंद्रीय मंत्री ने 18 जनवरी,  2024 को नई दिल्ली में मनीकंट्रोल पॉलिसी नेक्स्ट समिट को संबोधित करते हुए यह बात कही।

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आर. के. सिंह ने बिजली क्षमता वृद्धि और बिजली वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण का ब्यौरा दिया। उन्होंने कहा, “हमने लगभग 194 गीगावॉट बिजली क्षमता बढाई है, जिसमें से लगभग 107 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा है। हमने 1,93,0000 सर्किट किमी ट्रांसमिशन लाइनों का निर्माण किया, जिसने पूरे देश को एक आवृत्ति पर एक ग्रिड में जोड़ा, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत ग्रिड बन गया। हमने आज बिजली हस्तांतरण क्षमता को 36 गीगावॉट से बढ़ाकर 117 गीगावॉट कर दिया है। हमने 3,000 सबस्टेशन जोड़े, 4000 सबस्टेशन उन्नत किए, लगभग 5.5 लाख सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी, 2.5 लाख सर्किट किमी. हाइटेंशन लाइन जोड़ी, लगभग 7.5 लाख ट्रांसफार्मर और विविध अन्य उपकरण लगाए।”

केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इन सबके परिणामस्वरूप,  हम ग्रामीण बिजली उपलब्धता को 2015 में 12.5 घंटे से बढ़ाकर आज लगभग 21 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.8 घंटे तक लाने में सक्षम हुए हैं। “जनरेटर के दिन गए। हमारे पास नियम हैं जो कहते हैं कि चौबीसों घंटे बिजली अब एक अधिकार है, कोई भी बिजली वितरण कंपनी अनावश्यक लोडशेडिंग नहीं कर सकती है; यदि वे ऐसा करती हैं, तो उन्हें जुर्माना देना होगा और उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलेगा।

आर. के. सिंह ने कहा कि भारत भी एक ऐसे देश के रूप में उभरा है, जो ऊर्जा परिवर्तन में सबसे आगे है। उन्होंने कहा, “नवीकरणीय क्षमता वृद्धि की हमारी दर सबसे तेज़ रही है। हमारे पास 187 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता है। हमने प्रतिज्ञा की थी कि 2030 तक हम अपनी 40 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन से प्राप्त करेंगे, और आज, हमारी 44 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से है। हमने अब अपना लक्ष्य बढ़ा दिया है और जबकि हमने 2030 तक अपनी क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने का वादा किया है, हम 2030 तक अपनी क्षमता का 65 प्रतिशत गैर-जीवाश्म-स्रोतों से प्राप्त कर रहे होंगे।

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आर. के. सिंह ने उद्योग जगत को बताया कि पिछले नौ वर्षों में बिजली क्षेत्र में किया गया कुल निवेश लगभग 17 लाख करोड़ रुपये है, और निर्माणाधीन क्षमता 17.5 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश के बराबर है। उन्होंने कहा, “हमारे पास लगभग 99 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता निर्माणाधीन है और लगभग 32 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा बोली चरण के स्तर पर है। हम हर वर्ष लगभग 40-50 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता की बोली लगा रहे होंगे। थर्मल क्षमता में, हमारे पास लगभग 27 गीगावॉट क्षमता निर्माणाधीन है, हमने अतिरिक्त 12 गीगावॉट की बोली आमंत्रित की है और  21 गीगावॉट सर्वेक्षण और जांच के स्तर पर है तथा और 22 गीगावॉट प्रारंभिक चरणों के स्तर पर है। हमारे पास 47 गीगावॉट पनबिजली क्षमता स्थापित है, 18 गीगावॉट निर्माणाधीन है और 13 गीगावॉट सर्वेक्षण और जांच के विभिन्न चरणों में है।”

विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार ने बिजली क्षेत्र में बदलाव किया है और इसे व्यवहार्य बनाया है। उन्होंने कहा, “एटीएंडसी घाटे को 27 प्रतिशत से घटाकर 15.41प्रतिशत कर दिया गया है, हम इसे और कम करके 10 से 11 प्रतिशत पर लाना चाहते हैं। हम लोग नियम बना रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि लोग उनका पालन करें। जो कोई भी उनका उल्लंघन करेगा, उस पर मुकदमा चलाया जाएगा।”

बढ़ती बिजली मांग के बारे में बोलते हुए, ऊर्जा मंत्री ने बताया कि 2014 में, अधिकतम मांग 130 गीगावॉट के आसपास थी, जबकि आज यह 243 गीगावॉट के आसपास है। उन्होंने कहा, “2030 तक, बिजली की अधिकतम मांग 400 गीगावॉट को पार करने की संभावना है, जो अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि का संकेत है। पिछले वर्ष, मांग 9 प्रतिशत की दर से बढ़ी और इस वर्ष, 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। दैनिक आधार पर, मांग पिछले वर्ष के समान दिन की तुलना में 8-10 गीगावॉट अधिक है। हमारे जितना बड़ा और तेजी से बढ़ने वाला कोई दूसरा बाजार नहीं है।”

आर. के. सिंह ने कहा कि राष्ट्र इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, “हम 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय क्षमता को पार कर जाएंगे। हमारे पास पहले से ही 7 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन बनाने की योजना है।”

उन्होंने बताया कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी है, क्योंकि भारत में, कुछ देशों द्वारा आर्थिक सहायता और संरक्षणवादी उपाय अपनाए जाने के बावजूद, नवीकरणीय ऊर्जा की लागत दुनिया में सबसे सस्ती है। उन्होंने कहा, “हम ऊर्जा भंडारण क्षमता भी बढ़ा रहे हैं। हमारे पास लगभग 35 गीगावॉट पंप भंडारण परियोजनाओं की क्षमता है। हम बैटरी भंडारण क्षमता का भी निर्माण कर रहे हैं, हालांकि यह फिलहाल महंगी है। जब तक हमारे पास अधिक भंडारण क्षमता नहीं होगी, तब तक कीमत कम नहीं होगी।’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ग्रिड-स्केल भंडारण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना ला रही है, जिससे भंडारण की कीमत में और कमी आएगी। उन्होंने कहा, “सौर मॉड्यूल और सेल पर आयात शुल्क के साथ-साथ मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची जैसी चीजों के कारण, परिणाम यह हुआ है कि मॉड्यूल निर्माण की क्षमता लगभग 20 गीगावॉट से बढ़कर अब लगभग 50 गीगावॉट हो गई है; 2030 तक, हमारे पास लगभग 24 गीगावॉट पॉलीसिलिकॉन मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता होगी।”

आर. के. सिंह ने कहा कि हालांकि हम पवन ऊर्जा उपकरणों के निर्माण में अग्रणी हैं, लेकिन घरेलू स्तर पर बड़ी क्षमता के पवन टर्बाइनों का निर्माण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “मैंने विनिर्माताओं से कहा है कि एक समय आएगा जब मैं कहूंगा कि मैं 5 मेगावाट से कम की कोई भी टरबाइन स्वीकार नहीं करूंगा।” उन्होंने आगे कहा कि वह चाहते हैं कि उद्यमी एचवीडीसी ट्रांसमिशन लाइन के क्षेत्र में प्रवेश करें। श्री सिंह ने कहा, “बॉयलर और स्टीम टर्बाइन जैसे थर्मल उपकरणों की विनिर्माण क्षमता कम हो गई है, क्योंकि दुनिया ने सोचा था कि भारत थर्मल क्षमता वृद्धि से दूर जा रहा है, इस क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है।”

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि भारत इस बदलाव का नेतृत्व कर रहा है और एकमात्र देश है, जिसने दोनों एनडीसी हासिल किए हैं, हालांकि हमारा प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का एक तिहाई है। उन्होंने कहा, “हमने 2030 के लक्ष्य वर्ष से 11 साल पहले ही,  2019 तक एमिशन इंटेंसिटी को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता हासिल कर ली थी। हमारे ऊर्जा-बचत कार्यक्रम विश्व-अग्रणी हैं; हमारी परफॉर्म अचीव ट्रेड योजना के परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में 107 मिलियन टन प्रति वर्ष, हमारे एलईडी कार्यक्रम में 113 मिलियन टन प्रति वर्ष और स्टार रेटिंग कार्यक्रम में 57 मिलियन टन प्रति वर्ष की कमी आई है। हमारे पास निर्माण क्षेत्र के लिए भी ऊर्जा दक्षता का कार्यक्रम है, जो उत्सर्जन में कमी के संपूर्ण दायरे को सम्मिलित करता है।”

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मंत्री महोदय ने बताया कि सरकार ने जनरल नेटवर्क एक्सेस जैसे विनियमों के माध्यम से नियमों और विनियमों को पूरी तरह से व्यवसाय-अनुकूल बना दिया है। उन्होंने कहा, “कनेक्टिविटी का आवंटन सीधे किया जाएगा और एक बार जब आप एक प्वाइंट पर जुड़ जाते हैं, तो आप पूरे देश से जुड़ जाते हैं। आप कहीं भी बिजली पैदा कर सकते हैं और कहीं भी खरीद और बेच सकते हैं। इसके अलावा, आपको कनेक्ट होने के लिए ट्रांसमिशन लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। हमने ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस नियम भी पेश किए हैं, जो गारंटी देते हैं कि आप अपनी इच्छानुसार किसी से भी ऊर्जा खरीद सकते हैं।

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