Frankfurt Book Fair: दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले में भारत की धूम, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन और न्यूजीलैंड जैसे कई देशों ने भारतीय पुस्तकों में दिखाई दिलचस्पी

  • प्रदीप सरदाना 

वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक 

जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में आयोजित हो रहे दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले में भारतीय पुस्तकों में  दुनिया भर के लोग रूचि दिखा रहे हैं। गत 18 अक्तूबर से 22 अक्तूबर तक आयोजित इस पुस्तक मेले में विश्व के 7 हजार से अधिक प्रकाशक भाग ले रहे हैं। जिसमें भारत से भी  जिसमें साहित्य अकादेमी, प्रकाशन विभाग और नेशनल बुक ट्रस्ट सहित लगभग 30 सरकारी-गैर सरकारी प्रकाशकों ने हिस्सा लिया है। साहित्य अकादेमी की पुस्तकों में ही न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, चीन और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने अनुवाद में अपनी रुचि दिखाई है।

यह पुस्तक मेला पुस्तक बेचने से ज्यादा पुस्तकों के प्रकाशन को बढ़ावा देने, नए रुझानों, नवीनता और उसके विस्तार के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। इस बार इस पुस्तक मेले का और भी महत्व है क्योंकि यह मेले का 75 वां वर्ष है।

साहित्य अकादेमी ने अपने स्टाल पर अपने यहाँ से प्रकाशित 100 से अधिक पुस्तकों के कॉपीराइट उपलब्ध कराएँ हैं जिससे उनके अनुवाद अनेक विदेशी भाषाओं में शीघ्र और बिना किसी अड़चन के प्रकाशित हो सकें।

साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने बताया कि साहित्य अकादेमी ने जिन विभिन्न भारतीय भाषाओं के लेखकों की कुछ पुस्तकों के कॉपीराइट उपलब्ध कराएँ गए हैं उनमें प्रमुख हैं – रवींद्रनाथ टैगोर, एस.एल. भैरप्पा, मनोज दास, राजेंद्र सिंह बेदी, निर्मल वर्मा, भीष्म साहनी, ताराशंकर वंधोपाध्याय, जयकांतन, कपिला वात्सयायन, गुरुदयाल सिंह आदि।

इनके अलावा कुछ बच्चों की किताबें के भी कॉपीराइट उपलब्ध कराएँ गए हैं। ज्ञात हो कि 1949 से आयोजित हो रहे इस पुस्तक मेले में साहित्य अकादेमी पूर्व में भी कई बार भाग ले चुकी है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रकाशन विभाग, इंडिया नेशनल स्‍टैंड के रूप में 75वें फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में भागीदार कर रहा है। प्रकाशन विभाग के स्टॉल के साथ-साथ इंडिया नेशनल स्‍टैंड का उद्घाटन 18 अक्टूबर को फ्रैंकफर्ट में भारतीय वाणिज्य दूतावास के कॉन्‍सुलेट कॉमर्स विनोद कुमार द्वारा किया गया।

प्रकाशन विभाग की अतिरिक्त महानिदेशक शुभा गुप्ता और उपनिदेशक कुलश्रेष्ठ कमल भी इस मेले में हिस्सा ले रहे हैं।

अपने उत्‍कृष्‍ट साहित्यिक भंडार से प्रकाशन विभाग ने कला और संस्कृति, इतिहास, सिनेमा, व्यक्तित्व और जीवनियां, भूमि और लोग, गांधीवादी साहित्य और बच्चों के साहित्य जैसे व्यापक विषयों पर पुस्तकों का अपना समृद्ध संग्रह मेले में प्रस्‍तुत किया है।

मेले में रखी गई पुस्तकें आगंतुकों और पुस्तक प्रेमियों का मन मोह लेंगी। प्रकाशन विभाग द्वारा राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री के भाषणों पर विशेष रूप से प्रकाशित प्रीमियम पुस्तकें भी यहां प्रस्तुत की गई हैं। पुस्तकों के अलावा, आगंतुक स्टॉल पर प्रकाशन विभाग की लोकप्रिय पत्रिकाएं आजकल,  योजना, कुरूक्षेत्र और बाल भारती को भी विशेष रूप से रखा गया है।

साहित्य अकादेमी ने मेले में किया विचार गोष्ठी का आयोजन

साहित्य अकादेमी ने फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में शनिवार को एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जिसका शीर्षक था “भारत का विचार”। इस विचार गोष्ठी में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक,राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे, अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा तथा अकादेमी के सामान्य परिषद के सदस्य नरेंद्र बी. पाठक ने भाग लिया।

साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि इतिहास में, अलग-अलग लोगों के भारत के बारे में अलग-अलग विचार थे। प्रकाशन और अनुवाद में व्यापक तेज़ी आने के बाद भारत की वास्तविक छवि दुनिया के सामने आई है। अन्य वक्ताओं ने भी कहा कि भारत के बाहर के लोगों ने विभिन्न देशों के इतिहास की पुस्तकों, यात्रा वृतांतों, दार्शनिक साहित्य आदि के माध्यम से भारत के बारे में जानकारी प्राप्त की जो असलियत से दूर थी।

तो वहीं साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि भारत के बारे में विचार विभिन्न तरीकों से साहित्यिक रचनाओं में परिलक्षित हुए हैं जो ज्यादा विश्वसनीय हैं। उन्होंने कहा कि न केवल विदेशी बल्कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के लोगों के भी सदियों से भारत के बारे में अलग-अलग विचार थे।

इससे पहले शुक्रवार को भी साहित्य अकादेमी ने भारतीय साहित्य की विरासत शीर्षक से एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया था। साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने भारतीय साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अभी हमारे धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों को छोड़कर अधिकांश भारतीय साहित्य का दुनिया की अन्य भाषाओं में अनुवाद नहीं हुआ है जो की बेहद ज़रूरी है और यह हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है।

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे ने भारतीय साहित्य की प्राचीनता ,उसकी समृद्धता और उसकी विविधता की चर्चा करते हुए उसे समावेशी साहित्य का अन्यतम उदाहरण बताया।

साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि भारतीय साहित्य की उत्कृष्टता से दुनिया को परिचित के लिए विभिन्न भारतीय भाषा में उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के तहत ही हम इस पुस्तक मेले में शामिल हुए हैं।

भारतीय साहित्य पूरी पृथ्वी की भलाई की कामना करता है

साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि भारतीय साहित्य केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी पृथ्वी की भलाई की कामना करता है।

के. श्रीनिवासराव ने यह भी बताया कि अभी तक न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका कनाडा, चीन और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने साहित्य अकादेमी की पुस्तकों के अनुवाद में रुचि दिखाई है। कुछ पोलिश और इजरायली भाषा के प्रकाशकों ने भी संपर्क किया है। विश्व के इस सबसे बड़े पुस्तक मेले में 100 से अधिक देशों के हजारों प्रकाशक, एजेंट, लाइब्रेरियन और लेखक आदि इकट्ठा हुए हैं। यह पुस्तक मेला पूरी दुनिया के पुस्तक प्रकाशकों के लिए विभिन्न देशों और भाषाओं की पुस्तकों के अधिकार और लाइसेंसों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री के लिए सुविधाजनक मंच उपलब्ध कराता है। तभी  फ्रैंकफर्ट में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस पुस्तक मेले की प्रतीक्षा विश्व के असंख्य साहित्य प्रेमियों को रहती है।

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