Harivansh Rai Bachchan Birthday: बच्चन जी के पत्र भी किसी साहित्य से कम नहीं

भुलाए नहीं भूलेंगे डॉ हरिवंश राय बच्चन

  • प्रदीप सरदाना

वरिष्ठ पत्रकार एवं संस्थापक संपादक- punarvasonline.com

आज महान कवि और लेखक डॉ हरिवंश राय बच्चन जी की 116वीं जयंती है। 27 नवंबर 1907 को इलाहबाद के निकट अमोढ़ा गाँव में जन्मे बच्चन जी ने यूं तो अपने जीवन में कई संघर्ष किए। लेकिन सन 1935 में लिखी उनकी ‘मधुशाला’ तब इतनी लोकप्रिय हुई कि अपनी इस दूसरी पुस्तक से ही बच्चन जी 28 बरस की उम्र में ही, देश के एक लोकप्रिय कवि बन गए। दिलचस्प यह है कि ‘मधुशाला’ आज भी उतनी ही लोकप्रिय है जितनी बरसों पहले थी।

सन 2003 में 18 जनवरी को जब उनका निधन हुआ तब वह 96 बरस के थे। बच्चन जी ने साहित्यिक दुनिया में जो काम किता है वह सदा अमर रहेगा।

यह मेरा सौभाग्य रहा है कि बच्चन जी जैसी हस्ती से जहां मुझे मिलने के अनेक अवसर मिले। वहाँ उनसे एक गुरु और मार्ग दर्शक के रूप में भी मुझे सीखने का अवसर कई बरस तक मिलता रहा। यहाँ तक हमारे अखबार ‘पुनर्वास’ के भी वह संरक्षक थे। साथ ही हमारी लेखकों,पत्रकारों और कलाकारों की संस्था ‘आधारशिला’ भी 1982 में उन्हीं के आशीर्वाद और संरक्षण में शुरू हुई थी।

‘पुनर्वास’ का जब मैंने 1978 में प्रथम प्रकाशन आरंभ किया तो बच्चन जी ने जिस तरह मार्ग दर्शन किया वह सब मेरे लिए बड़ा संबल बना । जब गत 11 जनवरी को ‘पुनर्वास’ के इस न्यूज़ पोर्टल ‘punarvas online.com’ का केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकार्पण किया तब भी हम सभी ने बच्चन जी को बहुत याद किया। गडकरी साहब ने भी बच्चन जी के पुत्र अमिताभ बच्चन के साथ बच्चन जी की अमर कृति ‘मधुशाला’ को भी याद किया।

बच्चन जी को कवि के रूप में तो अपार ख्याति मिली ही। साथ ही एक लेखक के रूप में भी वह इतने विख्यात हुए कि उनकी आत्मकथा के चारों भाग आज विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर बन गए हैं।

बच्चन जी ने कुल करीब 60 पुस्तकें लिखीं। जिनमें उनकी काव्य कृतियों में ‘मधुशाला’ के अलावा ‘निशा निमंत्रण’, ‘सतरंगिनी’, ‘खाड़ी के फूल’, ‘सूत की माला’, ‘सोपान’ और ‘मिलन यामिनी’ जैसी पुस्तकें हैं। उधर ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’, ‘नीड़ का निर्माण फिर’, ‘बसेरे से दूर’ और ‘दशद्वार से सोपान तक’ उनकी आत्मकथा के चार अद्धभुत खंड हैं।

मेरे पास हैं मेरे नाम लिखे बच्चन जी के 100 पत्र 

बच्चन जी की साहित्यिक कृतियों के साथ विभिन्न व्यक्तियों को लिखे उनके पत्र भी किसी साहित्य से कम नहीं। इसलिए उनके पत्र भी साहित्यिक जगत में अनुपम स्थान रखते हैं। मैं भी उन भाग्यशाली व्यक्तियों में हूँ जिसके पास उनके लिखे पत्रों का खजाना है। यूं बच्चन जी ने मुझे करीब 125 से अधिक पत्र लिखे होंगे। लेकिन मैं उनमें से करीब 100 पत्र ही सँजो कर रख सका। आज भी वे पत्र मेरे पथ प्रदर्शक बनकर मुझे राह दिखाते हैं।

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