सुधरते बाजार के बीच Yes Bank के शेयर्स में 12 फीसदी की भारी गिरावट
शेयर मार्केट में अनिश्चितताओं का दौर जारी है। एक तरफ कोविड की मार और अमेरिकी बाजारों में मंदी की आशंकाएं है और तो दूसरी तरफ देश में बढ़ती मंहगाई है। शेयर बाजार की गतिविधीयों पर अपना नकारात्मक प्रभाव दिखाती रहती हैं। बात करें पिछले दो कारोबारी दिनों की तो घरेलू बाजार ने अपने बीते सप्ताह के गिरावट को सुधारते हुए हरे रंग में रंगते दिखा। यानी सेंसेक्स और निफ्टी बढ़त के साथ बंद हुए। लेकिन यस बैंक के लिए सबकुछ ठिक चलता नहीं नजर आ रहा है। यस बैंक के शेयर होल्डर्स के लिए सप्ताह का पहला दिन झटकों भरा रहा है। बैंक को दो बूरी खबरों का सामना करना पड़ा जिसका असर बैंक के शेयर्स पर भी देखने को मिला।
नकारात्मक असर Yes Bank पर पड़ा है। बैंक को एटी-1 मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से झटका मिला है और साथ ही बैंक के लिेए पहले कारोबारी सप्ताह के नतीजे भी अच्छे नहीं रहे हैं।
बंबई उच्च न्यायालय द्वारा अतिरिक्त टियर-1 (एटी1) बांडों को राइट-ऑफ कर दिया। राइट-ऑफ करने के यस बैंक प्रशासक के मार्च 2020 के फैसले को रद्द करने के बाद सोमवार के कारोबार में यस बैंक के शेयरों में 12 प्रतिशत की गिरावट आई। अधिक प्रावधान के कारण दिसंबर तिमाही में लाभ में 80 फीसदी की गिरावट ने काउंटर पर कमजोरी को जोड़ा। यस बैंक ने मार्च 2020 में बेलआउट के हिस्से के रूप में 8,415 करोड़ रुपये के एटी-1 बॉन्ड को राइट ऑफ कर दिया था। जबकि प्रबंधन ने कहा कि उसके पास अदालत के खिलाफ अपील करने के लिए मजबूत कानूनी आधार हैं। हालांकि प्रबंधन ने संकेत दिया कि बैंक हाल के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की प्रक्रिया में है।
क्या हैं AT1 बॉन्ड?
AT1 बॉन्ड असुरक्षित बॉन्ड होते हैं जिनकी निरंतर (बिना किसी अवधि) अवधि होती है। दूसरे शब्दों में, बैंकों द्वारा जारी किए गए इन बांडों की कोई परिपक्वता तिथि नहीं होती है। उनके पास एक कॉल विकल्प होता है, जिसका उपयोग बैंकों द्वारा इन बांडों को निवेशकों से वापस खरीदने के लिए किया जा सकता है। ये बांड आम तौर पर बैंकों द्वारा अपने कोर या टियर -1 पूंजी को मजबूत करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
इसके बाद बैंक के तिमाही नतीजों में लगभग 79 फीसदी की कमी दर्ज हुई है। इस कमी के कारण बैंक का नेट प्राफिट भारी गिरावट के साथ 55,07 करोड़ रूपये पर आ गया। बैंक की ओर से बीते शनिवार को ऐलान करते हुए कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में उसे फंसे कर्जों (NPA) के लिए अधिक प्रावधान करना पड़ा, जिसका असर उसके नेट प्राफिट पर दिखा। इस अवधि में बैंक की मुख्य नेट इंटरेस्ट इनकम 11.7 फीसदी बढ़कर 1,971 करोड़ रुपये, जबकि नॉन-इंटरेस्ट इनकम 55.8 फीसदी बढ़कर 1,143 करोड़ रुपये हो गई।