Waheeda Rehman: वहीदा रहमान को दादा साहब फाल्के सम्मान, देव आनंद के 100 वें जन्म दिन पर भारत सरकार का वहीदा को उपहार, ‘गाइड है दोनों के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म

  • प्रदीप सरदाना

  वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक

दिग्गज अभिनेत्री वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) को भारत सरकार ने 53 वां ‘दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार (Dada Saheb Phalke Award) देने की घोषणा की है। भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान फाल्के पाना सभी फिल्म हस्तियों का सपना होता है। निसंदेह 85 बरस की वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) का चयन स्वागत योग्य है। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर (Anurag Singh Thakur) ने आज इस पुरस्कार की घोषणा की।

दिलचस्प यह है कि आज सदाबहार अभिनेता रहे देव आनंद (Dev Anand) का 100 वां जन्म दिन है। वहीदा रहमान ने अपने करियर की शुरुआत देव आनंद की फिल्म ‘सीआईडी; से ही कि थी। साथ ही देव आनंद और वहीदा रहमान दोनों के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म भी ‘गाइड’ है। जिसका निर्माण देव आनंद ने ही किया था। फिल्म में राजू गाइड का देव आनंद का किरदार हो या वहीदा रहमान का रोजी वाला किरदार दोनों इतने खूबसूरत रहे कि इस फिल्म की धूम सात समंदर पार तक रही।

इधर वहीदा रहमान पिछले चार दिनों से देव साहब के साथ अपने संस्मरण साझे भी कर रही हैं। इसलिए देव आनद  के 100 वें जन्म दिन पर वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित फाल्के पुरस्कार मिलना, भारत सरकार की तरफ से एक उपहार की तरह है।

वहीदा रहमान के पिछले 67 वर्ष के करियर को देखें तो उन्होंने इस दौरान करीब 100 फिल्मों में काम किया है। जिनमें उनकी पहली हिन्दी फिल्म ‘सीआईडी’ से उनकी पिछली फिल्म ‘विश्वरूपम’ तक एक से एक शानदार, यादगार फिल्में हैं। यूं 2021 में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स की एक फिल्म ‘स्केटर गर्ल’ में वहीदा रहमान ने काम किया था।

वहीदा रहमान ने सन 1955 में सिर्फ 17 बरस की उम्र में अपना फिल्म करियर शुरू किया था। वह अब भी कभी कभार कोई फिल्म करती रहती हैं। फिल्म न करें तो टीवी शो में शामिल होकर अपनी उपस्थिती दर्ज करा देती हैं। अपनी पुरानी फिल्मों को भी वह टीवी पर देख लेती हैं।

नायिका के रूप में उनकी यादगार फिल्मों में प्यासा, चौदहवीं का चाँद, कागज के फूल, साहिब बीबी और गुलाम, बीस साल बाद, कोहरा, दिल दिया दर्द लिया, पत्थर के सनम, राम और श्याम, आदमी, प्रेम पुजारी,धरती मुझे जीने दो, रेश्मा और शेरा, तीसरी कसम, फाल्गुन और खामोशी हैं।

साथ ही अदालत, कभी कभी त्रिशूल, सवाल, नमक हलाल, चाँदनी, रंग दे बसंती दिल्ली-6 और लव इन बॉम्बे उनकी दूसरी पारी की वे उल्लेखनीय फिल्में हैं जिनमें उनका किरदार चरित्र अभिनेत्री का रहा।

बता दें इस बार दादा साहब फाल्के पुरस्कार निर्णायक मण्डल मैं आशा पारेख, चिरंजीवी, परेश रावल, प्रसन्नजीत  चटर्जी और शेखर कपूर थे ।

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