सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को लगाई फटकार, कहा विज्ञापनों में बहे 1650 करोड़ रुपये एक हफ्ते के अंदर रैपिड रेल में लगाएँ, बांसुरी स्वराज बोलीं निक्कमी और बहानेबाज है आम आदमी सरकार

दिल्ली भाजपा की मंत्री बांसुरी स्वराज ने कहा की यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि दिल्ली की चुनी हुई आम आदमी पार्टी सरकार से काम कराने के लियें सुप्रीम कोर्ट को उन्हे लताड़ना पड़ता है। उन्होंने कहा की 24.7.2023 को सुप्रीम कोर्ट ने टिपण्णी करते हुए कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हवा में अपने हाथ खड़े कर दिए है। रैपिड रेल (RRTS) जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में जिससे दिल्ली की ट्रैफिक की समस्या का निवारण और प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है, उस प्रोजेक्ट में केजरीवाल सरकार ने अपने हिस्से के पैसे नही दिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा अगर 1100 करोड़ रुपये केजरीवाल सरकार प्रचार प्रसार और विज्ञापनों पर खर्च कर सकती है पिछले 3 वित्तीय वर्षों में, तो इस मूलभूत ढ़ाचा प्रोजेक्ट में पैसा क्यों नही दे रही।

दिल्ली भाजपा मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अब फिर केजरीवाल सरकार को फटकारना पड़ा और कहा पिछले 3 वर्षों में 1100 करोड़ रुपए और इस साल 550 करोड़ रुपए दिल्ली सरकार ने विज्ञापनों के लिए बजट किये हैं, उस पैसे को एक हफ्ते के अंदर अंदर RRTS प्रोजेक्ट की तरफ़ ट्रांसफर किया जाए।

बांसुरी स्वराज ने कहा की केजरीवाल सरकार एक निक्कमी और बहानेबाज सरकार है। यह सरकार प्रचारक, प्रसार और भ्रष्टाचार में बुरी तरह लिप्त है जो दिल्ली की सुध नही लेती।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केजरीवाल सरकार के विज्ञापन बजट को जब्त करने की सख्त कार्यवाही दिल्ली सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। इससे यह भी पता चल जाता है कि दिल्ली की आम आदमी सरकार की क्या प्राथमिकताएं हैं। यह सरकार सिर्फ और सिर्फ झूठे प्रचार के दम पर चल रही है और कोई भी विकास कार्य इसके मॉडल में है ही नहीं।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली सरकार ने जुलाई में भी सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यह आश्वासन दिया था कि वह दिल्ली से मेरठ के बीच बन रहे रेल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के लिए अपने हिस्से का फंड देगी। तब भी दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसके पास फंड नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापन का बजट जब्त करने की चेतावनी दी थी।

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि कोर्ट में दिए गए आश्वासन को भी दिल्ली सरकार ने पूरा नहीं किया और इस परियोजना के लिए इस साल का अपने हिस्से का 565 करोड़ रुपए रिलीज नहीं किया। यह कोर्ट की अवमानना भी है और इससे यह भी पता चलता है कि दिल्ली सरकार कितनी निरंकुश और नियमविरुद्ध काम कर रही है। इसीलिए अब कोर्ट को यह फैसला करना पड़ा है कि अगर उसने एक सप्ताह में फंड रिलीज नहीं किया तो उसका विज्ञापन का बजट जब्त कर लिया जाएगा। 28 नवंबर को दिल्ली सरकार को कोर्ट में बताना पड़ेगा कि इस दिशा में उसने क्या किया है।

नेता प्रतिपक्ष ने बिधूड़ी ने आगे कहा कि यह मौका नहीं है कि दिल्ली सरकार ने विकास परियोजनाओं को लेकर इस तरह लापरवाही बरती हो। दरअसल निर्माण प्रोजेक्ट्स दिल्ली सरकार के विकास मॉडल में ही नहीं हैं। दिल्ली सरकार के मॉडल में केवल विज्ञापन यानी झूठे प्रचार को ही विकास माना जाता है। दिल्ली सरकार ने पेरिफेरियल रोड्स के निर्माण कार्य में भी अपना हिस्सा नहीं दिया था। इसके बाद प्रगति मैदान टनल जोकि 1000 करोड़ में बनी, दिल्ली सरकार ने इसमें भी अपना 20 फीसदी हिस्सा नहीं दिया। इसके बावजूद मोदी सरकार ने दिल्ली के हितों को देखते हुए इन निर्माण कार्यों को पूरा किया।

बिधूड़ी ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार हमेशा यही बहाना बनाती है कि उसके पास फंड नहीं हैं। दिल्ली मेरठ प्रोजेक्ट की कुल लागत 30,274 करोड़ रुपए है और हैरानी की बात यह है कि दिल्ली सरकार को केवल 1180 करोड़ रुपए देने हैं जोकि कुल 3 प्रतिशत ही है। इस साल दिल्ली सरकार पर 565 करोड़ रुपए बकाया हैं। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार का विज्ञापन का इस साल का बजट ही 550 करोड़ है। पिछले तीन साल का दिल्ली सरकार का विज्ञापन का बजट 1100 करोड़ रुपए है। यह बात स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने कही है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है कि उसके पास विज्ञापन के लिए तो पैसा है लेकिन विकास कार्यों के लिए नहीं।

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि केंद्र सरकार ने राजधानी में भीड़भाड़ कम करने के लिए तीन शहरों को रेपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के तहत मेरठ, अलवर और पानीपत से जोड़ने का फैसला किया है। इससे लोगों को आवाजाही में तो भारी राहत मिलने वाली है ही, ऐसे ही कदमों से दिल्ली का प्रदूषण भी कम होगा लेकिन दिल्ली सरकार निर्माण कार्यों के प्रोजेक्ट को तो विकास मानती ही नहीं है। यही वजह है कि पिछले आठ सालों में दिल्ली में न फ्लाई ओवर बने, न ही नई सड़कें बनाई और न ही वर्तमान सड़कों की मरम्मत की। इसी वजह से सड़कों पर धूल उड़ती है जिससे दिल्ली का प्रदूषण जानलेवा बना हुआ है। यह बात स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की है कि सड़कों की धूल के कारण पीएम-2.5 और पीएम-10 बढ़ा है जोकि प्रदूषण का मुख्य कारक है।

रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े फैसले के बाद तो अब दिल्ली सरकार को मजबूर होकर यह फंड देना ही होगा लेकिन इससे जनता की आंखें भी खुल गई हैं और उसे पता चल गया है कि यह सरकार झूठे प्रचार से उसे किस तरह गुमराह कर रही है।

 

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