साहित्य, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी है श्री मां सरस्वती

लखनऊ । निरालानगर स्थित रामकृष्ण मठ में सरस्वती पूजा बड़े हर्षोल्लास एवं परम्परा से की गई। इस मौके पर श्री मां शारदा देवी की भी पूजा बड़े भक्तिभाव से हुई।

मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महराज ने कहाकि श्री रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि श्री मां शारदा देवी स्वयं सरस्वती एवं ज्ञानदायनी है। जीवों को अज्ञान का अंधकार नाश करने के लिए उनका अविर्भाव हुआ था। इसी वचन को ध्यान में रखते हुए सरस्वती पूजा में मां सरस्वती के साथ मां सारदा देवी की पूजा भी की गई। कहा कि बसंत ऋतु के आगमन की सूचना है देवी सरस्वती। श्री मां शारदा के आशीर्वाद से हमारे जीवन में ज्ञान का प्रकाश होते रहे एवं हमारा जीवन भी वसंत ऋतु जैसा प्राणवान एवं आनन्दपूर्ण हो जाए, इसी विश्वास के साथ सरस्वती पूजा की जाती है।

इस अवसर पर स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि वीणापाणी सरस्वती इस युग में श्री मां सारदा के रूप में अभिविमूर्त हुई है। अगर हम श्री मां शारदा देवी के पावन जीवन तथा अनूठा वाणी का अनुसरण करें, तब हम अवश्य माता सरस्वती के आशीर्वाद से यर्थात ज्ञान प्राप्त करेगें एवं जीवन सफल हो जायेगा।

मां की पूजा पश्चिम बंगाल, नरेन्द्रपुर से आए हुए अलिख झा द्वारा सम्पन्न हुआ एवं तंत्रधारक के रूप में कोलकाता के श्रीदाम सखा चक्रवर्ती थे। श्री मां सरस्वती देवी की स्तुति में भक्ति गीत मठ के महाराज द्वारा गाया गया। उनके साथ तबले पर शुभम राज ने साथ दिया।

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